ये क्या कह दिया सलमान खुर्शीद ने कि कांग्रेस पार्टी बीजेपी से सबक सीखे?

कांग्रेस पार्टी (Congress Party) के सितारे इन दिनों भले ही गर्दिश में हों, देखने में ऐसा भले ही लगता हो

Update: 2021-05-18 09:30 GMT

अजय झा। कांग्रेस पार्टी (Congress Party) के सितारे इन दिनों भले ही गर्दिश में हों, देखने में ऐसा भले ही लगता हो कि पार्टी में चमचों की फौज पार्टी की एक के बाद एक शर्मनाक हार के लिए जिम्मेदार है और पार्टी को सीजनल या पार्ट टाइम नेता चला रहे हों. यह सब विवाद का विषय है जो सच हो भी सकता है, पर जो बात सच है वह यह है कि पार्टी में अभी भी कुछ बुद्धिमान नेता मौजूद हैं. यह अलग बात है कि बुद्धिमान नेताओं को कांग्रेस पार्टी में संशय भरी निगाहों से देखा जाता है. उन बुद्धिमान नेताओं में से एक हैं सलमान खुर्शीद.


सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) की रगों में उनके नाना डॉ. जाकिर हुसैन और पिता खुर्शीद आलम खान का खून बहता है. दोनों अपने ज़माने के जाने माने नेता और शिक्षाविद थे. डॉ जाकिर हुसैन भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे और खुर्शीद आलम खान भारत सरकार में मंत्री और राज्यपाल थे. चूंकि सलमान खुर्शीद का चुनावी रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है, हारे हैं ज्यादा और जीते हैं सिर्फ दो बार ही, पर दोनों बार जब वह लोकसभा चुनाव जीते तो केंद्र में मंत्री बने, आखिरी कांग्रेस सरकार में भी वह विदेश मंत्री थे. यानि कांग्रेस पार्टी को इसमें कोई संदेह नहीं रहा है कि सलमान खुर्शीद जो सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील हैं, कानून के शिक्षक हैं और लेखक हैं, नेता से ज्यादा बुद्धिजीवी हैं.

सलमान खुर्शीद पर खुश नहीं होगा गांधी परिवार
2014 और 2019 में लगातार बुरी तरह से चुनाव हारने के बाद जिसमें उनकी जमानत तक जब्त हो गयी थी, सलमान खुर्शीद सुर्ख़ियों और विवादों से दूर रहे हैं. पर सोमवार को उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया जिससे कांग्रेस पार्टी में भौंहे तन जायेंगी और इससे सलमान खुर्शीद की मुसीबत बढ़ सकती हैं, क्योकि उन्होंने समझदारी का परिचय देते हुए कांग्रेस पार्टी को उपदेश दे दिया, जो गांधी परिवार के तहत कांग्रेस पार्टी में पूर्णतया वर्जित है.

सलमान खुर्शीद ने कांग्रेस पार्टी को सलाह दी कि पार्टी को हार के लिए बहाने नहीं ढूंढना चाहिए और पार्टी के पुनरुत्थान के लिए उसे बीजेपी से सबक सीखना चाहिए. उन्होंने पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों का उल्लेख किया और कहा कि बीजेपी की दृढ इच्छाशक्ति और दूरगामी योजनाओं का परिणाम है कि पार्टी का इतना विस्तार हुआ और ऐसे राज्यों में जहां उसका प्रभाव नहीं था अब एक बड़ी राजनीतिक शक्ति बन चुकी है.

क्या बीजेपी से सच में कांग्रेस को सीखने की जरूरत है
सलमान खुर्शीद ने बात तो सोलह आने सच कही. बहुत पुरानी बात नहीं है जब बीजेपी उत्तर और मध्य भारत के हिंदी भाषी क्षेत्रों तक ही सिमित थी. इसका प्रभाव दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों तक ही था. फिर उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और गोवा भी उस सूची में जुड़ गया. 2014 के विधानसभा चुनाव के पहले कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था कि बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ हरियाणा में सरकार बनाएगी. कमोबेश यही हाल असम में था.

2016 में बीजेपी असम में भी सत्ता में आ गयी. बिहार में इसका दबदबा बढ़ता गया, उत्तराखंड, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ में बीजेपी कभी सरकार में और कभी नंबर दो की पार्टी बनी. महाराष्ट्र में जहां इसे शिवसेना के सहयोगी दल के रूप में देखा जाता था, वहां बीजेपी लगातार दो बार सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी, उड़ीसा में कांग्रेस पार्टी को पीछे धकेलते हुए नंबर दो की पार्टी बनी, त्रिपुरा में वामदलों को सत्ता से उखाड़ फेंका, पूरे उत्तर पूर्व में अब बीजेपी या इसके सहयोगी दलों की सरकार है, और अब दक्षिण के केन्द्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में भी बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने जीत हासिल की है.

आज की बीजेपी कभी हार नहीं मानती
बंगाल में जहां कांग्रेस और वामदलों का सूपड़ा साफ हो गया, वहां बीजेपी तीन सीटों से सीधे 77 सीटों पर पहुंच गई. पिछले दस वर्षों में बीजेपी वहां तक पहुंच चुकी है जहां चुनाव लड़ने के लिए उसे प्रत्याशी भी नहीं मिलते थे. बीजेपी का विस्तार एक सच है जो कांग्रेस पार्टी के लिए कड़वा सच है. बीजेपी का उत्थान और कांग्रेस पार्टी का पतन दोनों एक साथ हो रहा है. बीजेपी के उत्त्थान और विस्तार के पीछे ढेर सारे कारण हो सकते हैं, पर एक बड़ा कारण है पार्टी का हार नहीं मानना और लगातार प्रयत्नशील रहना. इसका जीता जगता सबूत पश्चिम बंगाल है. बीजेपी राज्य में सत्ता में तो नहीं आयी पर चुनाव ख़त्म होते ही बीजेपी वहां अब अगले चुनाव की तैयारी में जुट गयी है.

कांग्रेस पार्टी हमेशा हार को छुपाने के लिए बहाने ढूढती है
सलमान खुर्शीद ने बात पते की कही. कांग्रेस पार्टी कभी साम्प्रदायिकता को तो कभी वोटिंग मशीन को हार के लिए दोष देती दिखती है. पार्टी में सक्रियता तभी बढ़ती है जब चुनाव सिर पर आ जाता है. पर सलमान खुर्शीद ने पार्टी को उपदेश दे कर बड़ी भूल कर दी जिससे अब उन्हें शक भरी निगाहों से देखा जाएगा. उनपर यह आरोप भी लग सकता है कि वह बीजेपी में जाने की तैयारी कर रहे हों. क्योंकि कांग्रेस पार्टी में उपदेश देने का हक़ सिर्फ गांधी परिवार को है. वहां उसी की चलती है जो रोज बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोशल मीडिया पर आलोचना करता रहे. कांग्रेस के पास अगर दूरगामी योजना होती तो कर्नाटक, मध्य प्रदेश और गोवा में अभी बीजेपी की सरकार नहीं होती. कांग्रेस पार्टी में योजना सिर्फ इतनी ही होती है कि किस राज्य में किस पार्टी के साथ समझौता करना है, ना कि पार्टी को अपने दम पर फिर से खड़ा करने की योजना बनती है.
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