भारत को क्या मिला?
भारत काफी समय से अमेरिका से प्राथमिकता वाले देश का दर्जा पाने की कोशिश कर रहा है। 2020 में भारत का यह दर्जा खत्म हो गया था। अगर साथ ही ये दर्जा बहाल होता, तो ताजा करार को द्विपक्षीय लाभ का समझौता माना जाता।
भारत काफी समय से अमेरिका से प्राथमिकता वाले देश का दर्जा पाने की कोशिश कर रहा है। 2020 में भारत का यह दर्जा खत्म हो गया था। अगर साथ ही ये दर्जा बहाल होता, तो ताजा करार को द्विपक्षीय लाभ का समझौता माना जाता। लेकिन अभी बात इसके उलट दिखती है। India US trade agreement
ऐसे व्यापार समझौते बहुत कम होते हैं, जिसमें कोई एक देश दूसरे देश के नए उत्पादों के लिए अपना बाजार खोलता है। भारत और अमेरिका के बीच हुआ ताजा करार इसी श्रेणी का मालूम पड़ता है। अमेरिका ने कहा है कि इस समझौते के तहत भारत अमेरिकी पोर्क और उससे बनने उत्पादों का आयात करेगा। ऐसा पहली बार होगा जब अमेरिका से पोर्क के उत्पाद भारत को निर्यात किए जाएंगे। साथ अमेरिका ने उसके कृषि उत्पादों पर लगी पाबंदियां हटाने का स्वागत किया है। यानी अमेरिका के कृषि उत्पाद भी भारत आएंगे। बदले में बताया गया है कि भारत से अमेरिका के लिए आम और अनार का निर्यात फिर शुरू हो जाएगा, जिसे 2020 में अमेरिका ने रोक दिया था। स्पष्टतः यह किसी नए उत्पाद को बाजार मिलना नहीं है। अमेरिकी कृषि मंत्री टॉम विलसैक और अमेरिकी वाणिज्य प्रतिनिधि कैथरीन टाई ने एक बयान में कहा- "दो साल से अमेरिकी पोर्क के लिए भारतीय बाजार में जगह पाने की कोशिशें हो रही थीं। यह नया अवसर उन कोशिशों का अंजाम है और दिखाता है कि भारत-अमेरिका वाणिज्य संबंध सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।"
कैथरीन टाई पिछले साल नवंबर में भारत आई थीं। तब ट्रेड पॉलिसी फोरम में उन्होंने इस बारे में बात की थी। उन्होंने अमेरिकी पोर्क के भारतीय बाजार तक पहुंच को जरूरी बताया था। बहरहाल, इस समझौते के तहत भारत को क्या लाभ होगा, यह नहीं बताया गया है। इसलिए ये सवाल उठता है कि ये समझौता व्यापारिक है, या अमेरिका से रणनीति संबंध बढ़ाने के लिए भारत ने यह रियायत दी है? अमेरिका से रणनीति रिश्तों से भी भारत को क्या लाभ हो रहा है, यह स्पष्ट नहीं है। लेकिन अमेरिका उसका लाभ दूसरे क्षेत्रों में भी ले रहा है, यह ताजा करार से साफ हुआ है। ये ध्यान में रखने की बात है कि भारत काफी समय से अमेरिका से प्राथमिकता वाले देश का दर्जा पाने की कोशिश कर रहा है। यह अमेरिका की एक योजना है जिसे जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफेंसेज कहा जाता है। इस योजना के तहत अमेरिका विकासशील देशों के कुछ उत्पादों को अपने बाजार में कर-मुक्त निर्यात की इजाजत देता है। 2020 में भारत का यह दर्जा खत्म हो गया था। अगर साथ ही ये दर्जा बहाल होता, तो ताजा करार को द्विपक्षीय लाभ का समझौता माना जाता। लेकिन अभी बात इसके उलट दिखती है।