अमन का रास्ता

भारत और पाकिस्तान के बीच अमन बहाली को लेकर बातचीत का सिलसिला लंबे समय से रुका हुआ है। भारत ने नीति-सी बना ली है कि जब तक पाक समर्थित आतंकवाद पर लगाम नहीं लगती, तब तक पाकिस्तान से बातचीत का सिलसिला शुरू नहीं होगा।

Update: 2022-04-30 03:58 GMT

Written by जनसत्ता; भारत और पाकिस्तान के बीच अमन बहाली को लेकर बातचीत का सिलसिला लंबे समय से रुका हुआ है। भारत ने नीति-सी बना ली है कि जब तक पाक समर्थित आतंकवाद पर लगाम नहीं लगती, तब तक पाकिस्तान से बातचीत का सिलसिला शुरू नहीं होगा। यह बात अनेक मौकों पर दुहराई जा चुकी है। एक बार फिर विदेश मंत्रालय ने इसे जोर देकर रेखांकित किया। उधर, पाकिस्तान की रट रहती है कि जब तक कश्मीर का मसला हल नहीं हो जाता, तब तक बातचीत नहीं हो सकती।

इस तरह दोनों देशों के बीच वर्षों से अमन का रास्ता तलाशने के जो प्रयास चल रहे थे, वे अब ठहर गए हैं। पाकिस्तान की तरफ से न सिर्फ घुसपैठ कराने की कोशिशें जारी हैं, बल्कि सीमा पर संघर्ष विराम को लेकर हुए समझौते का सैकड़ों बार उल्लंघन कर चुका है। जबसे कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म हुआ है, उसकी तल्खी बढ़ गई है और वह दहशत फैलाने के मौके तलाशता रहता है। पुलवामा के बाद भी कई बड़े आतंकी हमलों में उसके हाथ देखे गए हैं। इस तरह हमारे सैकड़ों जवान मारे जा चुके हैं। ऐसे में उसके साथ शांति के लिए बातचीत का कोई बिंदु नहीं बनता।

पाकिस्तान के नए निजाम ने सत्ता की कमान संभालते ही घोषणा कर दी कि वह कश्मीर मसले को नहीं छोड़ने वाला। जबकि उसे पता है कि भारत कश्मीर को अपना अंदरूनी मामला मानता है और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी भी इसे स्वीकार करती है। फिर भी उसने कश्मीर की रट लगा रखी है, तो इससे यही जाहिर होता है कि वह भारत के साथ रार खत्म करने और अमन बहाली को तैयार नहीं है। ऐसे में बातचीत का सिलसिला बने भी तो कैसे। भारत ने अनेक मौकों पर पाकिस्तान को सबूत के साथ बताया है कि उसकी सरजमीं पर आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं और वहीं से भारत में दहशत फैलाने वाली साजिशें रची जाती हैं।

मगर वह जानबूझ कर उन दस्तावेजों को सिरे से खारिज करता रहा है। अगर उसे जरा भी भारत से संबंध मधुर बनाने की इच्छा होती, तो वह इस कदर अड़ियल रुख न अपनाता। हालांकि उसकी सरजमीं पर चल रही आतंकवादी गतिविधियों से केवल भारत की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती नहीं मिलती, बल्कि वहां के लोगों को भी खमियाजा भुगतना पड़ता है। मगर दुनिया को दिखाने के लिए दहशतगर्दों पर नकेल कसने का नाटक करता और फिर उन्हें सरकारी संरक्षण में खुलेआम घूमने देता है।

पाकिस्तान इन दिनों अपनी बदहाली के चरम पर है। कई देशों ने उसे आर्थिक मदद देनी बंद कर रखी है। भारत के साथ उसके व्यापारिक रिश्ते खत्म हैं। इसी तरह चीन से नजदीकी बनाने के लोभ में उसने अमेरिका आदि देशों की मदद खो दी है। वहां के लोग गरीबी और बदहाली में जीने को विवश हैं। मगर वह दहशतगर्दी के सहारे भारत से उलझे रहने में ही जैसे अपना मुस्तकबिल मान बैठा है।

जिन दिनों उसके भारत से संबंध कुछ बेहतर हो रहे थे, उन दिनों उसकी आर्थिक स्थिति भी कुछ बेहतर हो गई थी, क्योंकि उसे दहशतगर्दी पर पैसे खर्च नहीं करने पड़ते थे। इसके अलावा भारत से उसके व्यापारिक रिश्ते भी प्रगाढ़ थे। कई रास्ते खुल गए थे। मगर यह सब शायद उसे रास नहीं आया। इसलिए कि वहां के हुक्मरान सदा भारत से दुश्मनी दिखा कर ही सत्ता पर अपना कब्जा बनाए रखने में सफल होते रहे हैं।


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