बच गया वोडाफोन, एजीआर पर एक और पहल हो

सरकार ने टेलिकॉम क्षेत्र को बड़ी राहत दी है। कंपनियों को चार साल तक एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) और स्पेक्ट्रम का बकाया नहीं चुकाना होगा।

Update: 2021-09-17 02:15 GMT

सरकार ने टेलिकॉम क्षेत्र को बड़ी राहत दी है। कंपनियों को चार साल तक एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) और स्पेक्ट्रम का बकाया नहीं चुकाना होगा। एजीआर की परिभाषा बदली गई है। इसमें अब 'नॉन-टेलिकॉम' आइटम शामिल नहीं होंगे। स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज (एसयूसी) को भी जीरो कर दिया गया है। ये दोनों उपाय अब से लागू होंगे, न कि पिछली तारीख से। इनसे कर्ज से दबी दूरसंचार कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी। इस क्षेत्र पर 8 लाख करोड़ का कर्ज है। इनमें से 1.8 लाख करोड़ रुपये का बकाया तो वोडाफोन आइडिया पर ही है।

वोडाफोन आइडिया को अभी कारोबार से इतनी नकदी नहीं मिल रही है कि वह कर्ज भी चुका सके और उसके साथ अपने नेटवर्क के विस्तार के लिए निवेश भी कर सके। इसीलिए कंपनी में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले आदित्य बिड़ला ग्रुप ने कुछ समय पहले सरकार से राहत की अपील की थी। उसने यह भी कहा था कि सरकार चाहे तो वह वोडाफोन आइडिया में अपनी हिस्सेदारी पब्लिक सेक्टर की किसी कंपनी को बेचने को तैयार है। रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया के बाद बीएसएनएल इस क्षेत्र की चौथी कंपनी है। अच्छी बात यह है कि इन उपायों से वोडाफोन आइडिया के डूबने का डर खत्म हो गया है। सरकार ने जो कदम उठाए हैं, उनमें से कुछ का लाभ तो कंपनियों को तुरंत मिलेगा।
तत्काल राहत एजीआर से जुड़ी देनदारियों और स्पेक्ट्रम के बकाया भुगतान को लेकर मिली है। केंद्र ने यह भी कहा है कि वह बकाया रकम के बदले कंपनियों में हिस्सेदारी भी लेने को तैयार है, बशर्ते वे इसके लिए राजी हों। यह वोडाफोन आइडिया के लिए बड़ी राहत है। मसलन, उसके लिए निवेशकों से पैसा जुटाना आसान हो जाएगा। इस क्षेत्र में बिना इजाजत 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की भी मंजूरी दी गई है। यानी कोई कंपनी चाहे तो विदेशी निवेशकों से भी फंड जुटा सकती है। इसके बावजूद वोडाफोन आइडिया के लिए आने वाला वक्त चुनौतीपूर्ण बना रहेगा। उसे सरकार, बैंकों और वित्तीय संस्थानों का कर्ज चुकाने के साथ अपने नेटवर्क को बेहतर बनाने के लिए निवेश करना होगा।
सरकार ने राहत पैकेज में एसयूसी भी खत्म कर दिया है, लेकिन यह राहत पिछले बकाया पर नहीं मिलेगी। दूरसंचार कंपनियों पर बकाया एजीआर का 70 प्रतिशत तक पेनल्टी और ब्याज की रकम है। अगर सरकार ने मान लिया है कि कंपनियों के नॉन-टेलिकॉम रेवेन्यू में उसकी हिस्सेदारी नहीं है तो यह राहत पिछले बकाया पर भी मिलनी चाहिए थी। बेशक, इसमें सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक पेच है, लेकिन इस बाधा को नया कानून बनाकर दूर किया जा सकता है। सरकार को इसकी पहल करनी चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि दुनिया आज 5जी की ओर तेजी से कदम बढ़ा रही है तो भारत इसमें पीछे नहीं रह सकता। हम पहले ही इस मामले में तय समयसीमा से पीछे चल रहे हैं।

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