हिंसक होते बच्चे
पिछले दिनों लखनऊ में एक किशोर ने अपनी मां को इसलिए मार डाला कि वह उसे पबजी खेलने से बरजती थी। मां को मार कर वह उसकी लाश पर खुशबूदार द्रव्य छिड़कता रहा, ताकि बदबू न फैले
क्षमा शर्मा: पिछले दिनों लखनऊ में एक किशोर ने अपनी मां को इसलिए मार डाला कि वह उसे पबजी खेलने से बरजती थी। मां को मार कर वह उसकी लाश पर खुशबूदार द्रव्य छिड़कता रहा, ताकि बदबू न फैले। अपनी छोटी बहन को भी धमकाता रहा कि अगर उसने इस बारे में किसी को बताया, तो वह उसे भी मार देगा। किशोर के पिता शहर से बाहर नौकरी करते थे। जब बदबू बढ़ने लगी, तो उसने अपने पिता को फोन करके कहा कि किसी ने मां को मार डाला है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन खेलों की लत के कारण बच्चे हिंसक हो उठते हैं। अपनी भावनाओं पर उनका नियंत्रण समाप्त हो जाता है। अच्छे-बुरे की पहचान नहीं कर पाते। इन खेलों के नायकों के 'एक्शन' अकसर हिंसा से भरे होते हैं। नायक हाथों में बंदूक और पिस्तौल, किसी खिलौने की तरह लिए होते हैं और किसी को भी उड़ा देते हैं। ऐसे में बच्चों को लगता है कि किसी को मारना भी एक साधारण काम है, खेल है, रोमांच है। जब वे लगातार इन्हें खेलते हैं, तो आदत पड़ जाती है। आदतें आसानी से छोड़ी नहीं जातीं। ऐसे में जो उन्हें इन खेलों को खेलने से रोकता है, वह या तो उसे खत्म कर देते हैं, खत्म करने की सोचते हैं या खुद ही जान दे देते हैं। इस राह में माता-पिता आएं या कोई और, सब हिंसा के शिकार हो जाते हैं।
इसका एक बड़ा कारण यह भी बताया जाता है कि कई बार घर के बड़े लोग भी ऐसे खेल खेलते हैं। बच्चे जब उन्हें ऐसा करते देखते हैं, तो वे भी इन खेलों को खेलना चाहते हैं। पहले छिप-छिप कर, फिर खुलेआम। माता-पिता की अनदेखी भी इसका बड़ा कारण है। एकल परिवारों में माता-पिता इतने व्यस्त होते हैं कि उनके पास बच्चों से बात करने का ज्यादा समय नहीं होता।
वे अकसर इस बात पर भी नजर नहीं रख पाते कि बच्चे क्या कर रहे हैं, क्या खेल रहे हैं, उनके दोस्त कौन-कौन से हैं। दोस्तों के साथ भी बच्चे आनलाइन खेलते हैं। दोस्त उन्हें चिढ़ाते भी हैं कि अरे, तुम्हारे माता-पिता कैसे हैं, जो तुम्हें आनलाइन खेल भी नहीं खेलने देते। इससे बच्चों में हीनता और अपने घर वालों के प्रति नफरत का भाव पैदा होता है। वह अपराध के रूप में बाहर निकलता है।