लोगों को वैक्सीनेशन के रजिस्ट्रेशन करने में भी तमाम तरह की दिक्कतें अभी भी आ रही हैं. कई लोगों ने तो अपना मोबाइल नंबर वेबसाइट पर डाला तो घंटों तक ओटीपी ही नहीं आया. जिन लोगों ने इन प्रक्रियाओं को पार करके वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया, उनके लिए दूसरी सबसे बड़ी समस्या वैक्सीन सेंटरों पर भारी तादाद में पहुंच रहे लोगों की भीड़ थी. खासतौर से दिल्ली मुंबई जैसे बड़े शहरों में वैक्सीन सेंटरों की बाहर इतनी लंबी कतारें लग गईं की वैक्सीन लगवाने गए लोगों को अपनी बारी का इंतजार करने में घंटों लग गए. कई जगह तो ऐसा भी हुआ कि घंटों इंतजार के बाद जब नंबर आया तो वैक्सीन ही खत्म हो चुकी थी. सीधी सी बात है कि थोड़ी सी सावधानी वैक्सीन सेंटर वाले बरतें तो इस तरह की समस्या से पार पाया जा सकता है. हालांकि यह भी सवाल खड़ा होता है कि क्या सरकारें कोई ऐसा नियम नहीं बना सकती जिसकी वजह से लोगों को इन मुसीबतों का सामना ना करना पड़े.
18 से ऊपर 45 वालों के लिए कई परेशानियां
वहीं जब बात 18 प्लस वालों के लिए आती है तो सरकार के नियम बदल जाते हैं. 18 प्लस वाले लोगों को पहले कोविन पोर्टल पर जा कर खुद को रजिस्टर करना होगा उसके बाद जिस तय तारीख को तय वैक्सीनेशन सेंटर पर बुलाया जाएगा वह वहीं जा कर वैक्सीन लगवा सकते हैं. इसमें सबसे बड़ी समस्या ये है कि जिन व्यक्तियों के पास जिनकी उम्र 18 से 45 के बीच है स्मार्ट फोन नहीं है तो वह खुद को कैसे रजिस्टर करेंगे. खास तौर से निम्न वर्ग जो रिक्शा चलाता है छोटे-मोटे काम करता है उसके पास इतने पैसे नहीं होते की वह स्मार्ट फोन रख सके. अगर हम मान भी लें कि सबके पास स्मार्ट फोन है, तो कितने ऐसे लोग हैं जिनको इतनी जानकारी हो कि कैसे खुद को कोविन एप पर वेक्सीन के लिए रजिस्टर करना है. गांवों में चले जाइए तो वहां आज भी ऐसे लोग बहुतायत में मिल जाएंगे जो अपने स्मार्ट फोन पर केवल गाने सुनते हैं, फिल्म देखते हैं और बात करते हैं. उन्हें नहीं पता है कि कैसे खुद को रजिस्टर करना है. इस संबंध में इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से सवाल पूछा था कि जो लोग अनपढ़ हैं या जिनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है वे कैसे कराएंगे वैक्सीन ? समझा जा रहा है कि सरकार कुछ दिनों में कोर्ट को इसका जवाब देगी और समस्या का समाधान निकाल लिया जाएगा.
यही नहीं आप सोचिए की जो लोग पहाड़ों पे रहते हैं या शहर से दूर दराज के इलाकों में रहते हैं जहा नेटवर्क की समस्या बहुत अधिक होती है. ऐसे में उन लोगों को खुद को रजिस्टर करने में कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में क्या सरकार ऐसा नहीं कर सकती कि 18 प्लस वाले लोग भी जो ऐसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं वह सीधे वैक्सीनेशन सेंटर पर पहुंच कर खुद को रजिस्टर कर लें और वैक्सीन लगवा लें. या फिर सरकार हर इलाके में एक वैक्सीन रजिस्ट्रेशन सेंटर बना दे जहां जा कर वो लोग जो ऐसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं वह खुद को रजिस्टर करवा सकें. हालांकि नोएडा शहर के केमिस्ट असोसिएशन के अध्यक्ष और शहर के प्रमुख समाजसेवी अनूप खन्ना कहते हैं कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन बहुत जरूरी है. इससे भीड़ और कालाबाजारी दोनों पर नियंत्रण रहेगा.
45 साल से ऊपर वालों के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं
स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से वैक्सीन लगवाने के लिए दो नियम हैं पहला उनके लिए जिनके उम्र 45 साल से ऊपर है और दूसरा नियम उनके लिए जिनकी उम्र 18 से 45 साल तक है. 45 साल से ज्यादा वाले लोगों के लिए सरकार ने जो नियम बनाए हैं उसके अनुसार उन्हें वैक्सीन लगवाने के लिए कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा. लेकिन अगर कोई व्यक्ति खुद को रजिस्टर करने में असमर्थ है तो वह सीधे वैक्सीनेशन सेंटर पर जा कर वैक्सीन लगवा सकता है. हालांकि उस वक्त उनके पास एक पहचान पत्र जिसमें, वोटर आईडी कार्ड/आधार कार्ड/पैन कार्ड होना आवश्यक है.
वैक्सीन सेंटरों पर भीड़ को कैसे काबू किया जाए
जाहिर सी बात है कि जब लोगों को पता है कि कोरोना से बचने के लिए उनके पास अब एक ही रास्ता है कि वह वैक्सीन लगवा लें तो लोग वैक्सीन के लिए मारा-मारी करेंगे ही. लेकिन हमें आपको सबको पता है कि कोरोना वायरस एक ऐसी बीमारी है जो लोगों में तेजी से फैल रही है. खास तौर से एक से दूसरे व्यक्ति तक तो ऐसे में हमें भीड़-भाड़ वाली जगहों पर नहीं जाना चाहिए. पता चला हम कोरोंना से बचने के लिए वैक्सीन लगवाने जा रहे हैं लेकिन वहां से वैक्सीन की जगह कोरोना ही लेकर घर आ गए. सरकार इससे कुछ उपाय कर के बच सकती है और लोगों को भी बचा सकती है.
वैक्सीनेशन सेंटर बढ़ाएं जाए
सरकार को पता है कि लोग वैक्सीन लगवाने के लिए भारी तादाद में आने वाले हैं तो उसे वैक्सीन सेंटर बढ़ा देने चाहिए. जैसे दिल्ली सरकार ने किया है. केजरीवाल सरकार ने फैसला किया है कि वह स्कूलों को भी वैक्सीनेशन सेंटर के तौर पर इस्तेमाल करेगी. हालांकि इससे भी दिल्ली में भीड़ कंट्रोल नहीं हो पाई है. हर सेंटर पर लोगों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं. सरकार को अभी और वैक्सीन सेंटर्स बढ़ाने की जरूरत है.
सोसायटियों और ऑफिसों में पहुंचकर वैक्सीनेशन हो
सरकार को लोगों तक पहुंच कर वैक्सीनेशन को अंजाम देना चाहिए जैसे पोलियो के लिए सरकार ने किया था. माना की अभी सरकार के पास इतना मैन पॉवर नहीं है कि वह घर-घर जा कर वैक्सीन लोगों को दे सके, लेकिन वह दफ्तरों, स्कूंलों सोसाइटीज में जा कर तो ऐसा कर ही सकती है. सोचिए कितना बेहतर होगा कि आपके सोसाइटी में एक कैंप लगे और एक या दो दिन में सबको वैक्सीन लग जाए वो भी बिना किसी हो हल्ला के. इसी तरह गांवों में भी हो सकता है. हर गांव में एक या दो वैक्सीन लगाने वाले लोग पहुंचे और कैंप लगा कर लोगों को वैक्सीन मुहैया करा दें. इससे होगा यह कि उन लोगों को भी वैक्सीन लग जाएगी जिन्हें खुद को रजिस्टर करना नहीं आता है. सूचना आ रही है कि महाराष्ट्र गवर्नमेंट ने सोसायटियों में जाकर वैक्सीनेशन की मंजूरी दे दी है. कई स्टेट गवर्नमेंट ने ऑफिसेस में जाकर वैक्सीनेशन करने की बात कही हैं. अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने मीडिया हाउसेस में जाकर वैक्सीनेशन करने का फैसला किया है. उम्मीद की जा रही है कि वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ते ही क्लस्टर्स में जाकर वैक्सीनेशन का काम भी शुरू हो जाएगा.
वैक्सीन का उत्पादन बढ़ते ही घरों में पहुंचकर वैक्सीनेशन हो
सरकार कुछ भी कर ले लेकिन अगर उसके पास उचित मात्रा में वैक्सीन ही नहीं होगा तो सारे इंतजाम धरे के धरे रह जाएंगे. वैक्सीन की किल्लत से भारत आज भी परेशान है. उसे जितनी मात्रा में वैक्सीन चाहिए भारतीय कंपनियां नहीं दे पा रही हैं. यही वजह है कि भारत को अब विदेशी वैक्सिनों को भी मंजूरी देनी पड़ी है. जिसमें रूस की वैक्सीन 'स्पूतनिक वी' भी शामिल है. इसके अलावा अब खबर आ रही है कि जल्द ही फाइजर और मॉडर्ना को भी भारत मे इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल सकती है. इसके साथ ही उम्मीद की जा रही है कि अगले महीने तक सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक दोनों अपनी उत्पादन बढ़ा चुके होंगे. इसके बाद गवर्नमेंट को आरटी पीसीआर टेस्ट की तरह घरों में पहुंचकर वैक्सीनेशन शुरू करना चाहिए
मास वैक्सीनेशन भी शुरू किया जाए
सरकार को टीकाकरण अभियान जल्दी खत्म करना है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर टीकाकरण अभियान में देर होती है तो कोरोना वायरस में भी वैक्सीन के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार हो सकती है, जिसके बाद वायरस पर वैक्सीन का असर नहीं रह जाएगा. इसके लिए जरूरी है कि मास वैक्सीनेशन भी शुरू किया जाए. इसके लिए सरकार कोई भी एक लक्ष्य निर्धारित कर कुछ निश्चित लोगों का इकट्ठे टीकाकरण कर सकती है
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