उत्तर प्रदेश चुनाव : कितने 'उपयोगी' हैं उत्तर प्रदेश के लिए योगी?

वैसे तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्ति हैं

Update: 2021-12-21 06:52 GMT

अजय झा वैसे तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्ति हैं, पर उनकी एक और खासियत है- भाषा और शब्दों से खेलने में वह माहिर हैं. कुछ समय पहले मोदी ने एक नए शब्द 'आन्दोलनजीवी' का उपहार हिंदी शब्दकोश को दिया था. अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को एक नया नाम दे दिया UP-Yogi. यूपी का साथ मोदी ने योगी शब्द जोड़ दिया और बन गए योगी 'उपयोगी'. योगी को उपयोगी कहना इतना पसंद आया कि उसके ठीक अगले दिन ही उत्तर प्रदेश सरकार का विज्ञापन अख़बारों में छपा जिसमें योगी के लिए उपयोगी शब्द का प्रयोग किया गया.'उपयोगी योगी' एक नारा बनने वाला है और उत्तर प्रदेश चुनावों में इसका जम कर इस्तेमाल होने वाला है.

हालांकि यह एक राजनीतिक बहस का मुद्दा हो सकता है, पर इसमें शक नहीं कि अपने पांच साल के कार्य की बदौलत योगी अपने विरोधियों पर अभी से भारी पड़ने लगे हैं. यह पहला चुनाव है जिसमें उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की जनता को योगी और दो पूर्व मुख्यमंत्री, बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती (Mayawati) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के काम काज की समीक्षा और तुलना कर सकते हैं. ये तीनों नेता अपने अपने दल के मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. योगी की छवि एक साफ़ सुथरे नेता की है. कुंवारे हैं और संन्यास ग्रहण करते समय उन्होंने परिवार को त्याग दिया था, इसलिए उनकी जरूरतें कम हैं. लिहाजा उनपर विपक्ष भी भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप नहीं लगा सकती.
चूंकि योगी मूलरूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं, इसलिए उत्तर प्रदेश की जातिगत राजनीति से परे हैं. मायावती और अखिलेश यादव के कार्यकाल में उनकी जातियों का समाज और प्रशासन में दबदवा होता था, पर योगी, जिनका असली नाम अजय मोहन बिष्ट है और पौड़ी गढ़वाल के राजपूत हैं, जातीय राजनीति से दूर रहे हैं जिस कारण किसी भी जाति का बीजेपी के खिलाफ रोष नहीं है.
उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की सरकार कारगर है
बीजेपी इन दिनों डबल इंजन सरकार की खूब बात करती है और इसके फायदे गिनवाती है. डबल इंजन का प्रयोग भी शायद मोदी ने ही पहली बार किया था, पर उत्तर प्रदेश में डबल इंजन का फायदा सबसे अधिक दिख रहा है, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी उत्तर प्रदेश से ही लोकसभा का चुनाव लड़ते हैं. मूल रूप से गुजरात के रहने वाले मोदी ने व्यापक प्रभाव के लिए उत्तर प्रदेश में वाराणसी (बनारस) से चुनाव लड़ना शुरू किया. पिछले दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव में बीजेपी की उत्तर प्रदेश में एक तरफा जीत हुई. जिसके बदले में उत्तर प्रदेश, जिसे कभी मजाक में लोग उल्टा प्रदेश भी कहते थे, में विकास का काफी काम हुआ है और हो रहा है.
नए-नए एक्सप्रेसवे का निर्माण, बड़े शहरों में मेट्रो रेल की शुरुआत, नए हवाई अड्डों का निर्माण, पूंजीनिवेश में वृद्धि, बिजली सप्लाई की स्थिति में सुधार, धर्म के नाम पर दंगों में कमी, इत्यादि ऐसे काम हैं जिसका असर जमीनी स्तर पर दिख रहा है. कानून व्यस्था की स्थिति में काफी सुधार हुआ है, भले ही उत्तर प्रदेश पुलिस पर एनकाउंटर में अपराधियों को मारने का आरोप लगता रहा है. हालांकि पूर्व में अपराधी विधायक और मंत्री तक बन जाते थे और अब अधिकतर जेल में बंद हैं. इसका एक बड़ा कारण है योगी और उनका कामकाज.
यूपी में बीजेपी फिर से आएगी?
उत्तर प्रदेश में इस बार चुनाव में धर्म के साथ विकास का तड़का भी लगा है. धर्म के नाम पर इतना ही काफी है कि योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मठ के महंत हैं, और आज भी गेरुआ वस्त्र ही धारण करते हैं, वहीं दूसरी तरफ मोदी बनारस के सांसद हैं. तो फिर उत्तर प्रदेश की राजनीति में धर्म का असर तो दिखना ही था. कशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण और अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का कार्य शुरू करने से बीजेपी को फायदा तो मिलेगा ही. बाकी का काम विपक्ष कर रहा है, खासकर समाजवादी पार्टी और AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी. वह जितना मुल्सिम समुदाय की बात करेंगे, उतना ही उत्त्तर प्रदेश के हिन्दू जाति से उठ कर धर्मं के नाम पर लोग इकट्ठा होने लगेंगे जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा.
अभी तक जितना भी ओपिनियन पोल हुआ है, सभी में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को एक बार फिर से बहुमत मिलने की बात की जा रही है. बीजेपी के सीटों में 2017 के मुकाबले कमी आ सकती है, पर बीजेपी की जीत की संभावना बनी हुई है. किसान आन्दोलन का थोड़ा विपरीत असर बीजेपी पर पड़ सकता है, पर कृषि कानूनों के निरस्त्रीकरण और किसान आंदोलन ख़त्म होने के बाद बीजेपी की स्थिति में और भी सुधार दिख सकता है. योगी के मुख्यमंत्री के रूप में पांच वर्षों के कामकाज की जब उत्तर प्रदेश की जनता समीक्षा करेगी तो इस बात की प्रबल संभावना है कि लोग मोदी से सहमत दिखेंगे और कहेंगे कि वाकई में योगी उत्तर प्रदेश के लिए उपयोगी हैं.
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