सीखने को तैयार नहीं
केंद्र सरकार ने फिर एक कथित कोरोना प्रोत्साहन पैकेज घोषित किया है। अगर सरकारी दावे को मानें तो यह पैकेज छह लाख 29 हजार करोड़ रुपए का है।
केंद्र सरकार ने फिर एक कथित कोरोना प्रोत्साहन पैकेज घोषित किया है। अगर सरकारी दावे को मानें तो यह पैकेज छह लाख 29 हजार करोड़ रुपए का है। फिर वही कर्ज गारंटी और कर्ज लेना आसान बनाने की घोषणाएं हैं। जनता को सीधे मदद के नाम पर उस एलान को शामिल कर लिया गया है, जो पहले से अमल में है- यानी गरीब लोगों को दी जा रही अनाज सहायता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में ये एलान कर चुके थे कि अगले नंवबर तक ये अनाज दिया जाएगा। अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने जो कथित पैकेज किया, उसमें इस पर आ रहे 65 हजार करोड़ रुपए को भी शामिल दिखा दिया गया। पिछले साल जब कोरोना महामारी का पहला दौर आया था, तो ऐसे ही उपायों को साथ लेकर खुद प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। उसका क्या असर हुआ? एक अगर ऐसी सरकार होती, जो जनता के साथ संवाद में यकीन करती, तो उससे ये सवाल पूछा जाता। आसान शर्तों पर दिया गया कर्ज शेयर बाजार में पहुंच गया। नतीजा है कि दलाल स्ट्रीट तो चमक रहा है, जबकि मेन स्ट्रीट (असल अर्थव्यवस्था) की मुसीबतों का कोई अंत नहीं है।