सीखने को तैयार नहीं

केंद्र सरकार ने फिर एक कथित कोरोना प्रोत्साहन पैकेज घोषित किया है। अगर सरकारी दावे को मानें तो यह पैकेज छह लाख 29 हजार करोड़ रुपए का है।

Update: 2021-06-30 03:31 GMT

केंद्र सरकार ने फिर एक कथित कोरोना प्रोत्साहन पैकेज घोषित किया है। अगर सरकारी दावे को मानें तो यह पैकेज छह लाख 29 हजार करोड़ रुपए का है। फिर वही कर्ज गारंटी और कर्ज लेना आसान बनाने की घोषणाएं हैं। जनता को सीधे मदद के नाम पर उस एलान को शामिल कर लिया गया है, जो पहले से अमल में है- यानी गरीब लोगों को दी जा रही अनाज सहायता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में ये एलान कर चुके थे कि अगले नंवबर तक ये अनाज दिया जाएगा। अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने जो कथित पैकेज किया, उसमें इस पर आ रहे 65 हजार करोड़ रुपए को भी शामिल दिखा दिया गया। पिछले साल जब कोरोना महामारी का पहला दौर आया था, तो ऐसे ही उपायों को साथ लेकर खुद प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। उसका क्या असर हुआ? एक अगर ऐसी सरकार होती, जो जनता के साथ संवाद में यकीन करती, तो उससे ये सवाल पूछा जाता। आसान शर्तों पर दिया गया कर्ज शेयर बाजार में पहुंच गया। नतीजा है कि दलाल स्ट्रीट तो चमक रहा है, जबकि मेन स्ट्रीट (असल अर्थव्यवस्था) की मुसीबतों का कोई अंत नहीं है।

अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये रूझान ताजा पैकेज के साथ और आगे बढ़ेगा। अब फिक्की और सीआईआई जैसे संगठन और इक्रा जैसी एजेंसियां- जिनकी मुख्य चिंता उद्योग जगत है- भी कह रही हैं कि असल समस्या उपभोग और मांग का खत्म हो जाना है। जब तक इस मोर्चे पर सकारात्मक पहल नहीं होगी, अर्थव्यवस्था का इंजन फिर से नहीं चल पाएगा। लेकिन इसके लिए इस पैकेज में कुछ नहीं है। पर्यटन क्षेत्र में जान फूंकने के लिए पांच विदेशी पर्यटकों को वीजा फीस से मुक्त करने की बात कही गई है। लेकिन जिस देश में टीकाकरण चार फीसदी लोगों का हुआ हो और जहां सबसे पहले पहचाना गया कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट दुनिया की चिंता बना हुआ हो, वहां सिर्फ वीजा फीस बचने के कारण कौन आने को प्रेरित होगा? इसी तरह स्वास्थ्य ढांचा पुख्ता करने के लिए निजी क्षेत्र को आसान शर्तों पर कर्ज का एलान हुआ है। जबकि महामारी को लहरों का सबक है कि ऐसी स्थितियों में ये क्षेत्र सबसे अप्रभावी साबित होता है। तो इस पैकेज से क्या होगा, कोई समझ सकता है।


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