अमेरिका में अभूतपूर्व

डॉनल्ड ट्रंप का चार साल का कार्यकाल आज जो बाइडेन के राष्ट्रपति पद का शपथ लेने के साथ ही खत्म हो जाएगा। लेकिन

Update: 2021-01-20 11:10 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। डॉनल्ड ट्रंप का चार साल का कार्यकाल आज जो बाइडेन के राष्ट्रपति पद का शपथ लेने के साथ ही खत्म हो जाएगा। लेकिन अपने चार साल के शासनकाल में अमेरिका को कहां पहुंचा दिया, उसकी एक झलक पिछले कई दिनों से देखने को मिल रही है। आज दुनिया में चर्चा इस खबर की होनी चाहिए थी कि जो बाइडेन शपथ ग्रहण के बाद अपने कार्यकाल के पहले ही दिन कई बड़े और अहम ऑर्डर जारी करेंगे। इस बारे में जो तैयारी हुई है, उसकी खबर मीडिया में पहले ही छप गई है। इसके मुताबिक बाइडेन के कार्यकाल के पहले दस दिन एग्जिक्यूटिव ऑर्डर्स के रहेंगे।

मोटे तौर पर इन आदेशों के जरिए बाइडेन निवर्तमान राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के शासनकाल के कई ऐसे आदेशों को पलट देंगे, जिनका डेमोक्रेटिक पार्टी आरंभ से विरोध करती रही है। इसके अलावा कुछ ऑर्डर कोरोना महामारी से निपटने के उपायों से संबंधित होंगे। लेकिन आज चर्चा इस बात की अधिक है कि शपथ ग्रहण समारोह कैसी अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था के बीच होगा। पूरा देश हिंसा के अंदेशे में ड़ूबा हुआ है।


इस खबर ने चिंता और बढ़ा दी है कि ट्रंप समर्थक धुर दक्षिणपंथियों की पैठ सुरक्षा में तैनात नेशनल गार्ड्स में भी हो गई है और शपथ ग्रहण समारोह के दौरान हॉल के अंदर हमला हो सकता है। हालांकि इसके लिए एफबीआई ने तैनात गार्ड्स की पूरी जांच पड़ताल की है। इस खबर ने भी काफी सनसनी फैलाई कि वॉशिंगटन में हथियार के साथ एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। उससे शपथ ग्रहण समारोह में जाने का फर्जी पास भी बरामद हुआ। अमेरिकी मीडिया में लगातार ये खबरें छायी हुई हैं कि तमाम सुरक्षा उपायों के बावजूद राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समर्थक 20 जनवरी को देश में हिंसा करने पर आमादा हैं।
क्या अमेरिका में ऐसा कभी हुआ था? बहरहाल, ये खबर राहत देने वाली है कि ट्रंप के चार साल के कार्यकाल में अमेरिका को जैसे अनुभवों से गुजरना पड़ा, उससे देश को निकालने के लिए आक्रमक रुख की जरूरत डेमोक्रेटिक पार्टी ने महसूस की है। जो बाइडेन का मकसद देश का ध्यान बांटने वाले मुद्दों से हटाकर बड़े मुद्दों और उनके समाधान की तरफ ले जाना है। सचमुच अगर वे ऐसा कर पाए, तो देश इस समय जैसे सामाजिक ध्रुवीकरण और कानून व्यवस्था संबंधी चिंताओं का शिकार है, उससे निकलने का रास्ता तैयार हो सकता है। और सिर्फ उससे अमेरिका अपनी पुरानी प्रतिष्ठा फिर हासिल कर सकता है।


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