कौशल और डिजिटल शिक्षा के प्रति संकल्पित केंद्रीय बजट

किसी देश के आर्थिक विकास और समृद्धि में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है

Update: 2022-02-09 17:27 GMT
रमाशंकर दूबे । किसी देश के आर्थिक विकास और समृद्धि में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। कौशल, तकनीकी नवाचारों तथा अन्य विशिष्टताओं में दक्ष मानव-पूंजी रोजगार सृजन और उत्पादकता में वृद्धि करके अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाती है। केंद्रीय बजट 2022-23 में शिक्षा को प्रमुखता के साथ स्थान दिया गया और शिक्षा के लिए रिकार्ड 1,04,278 करोड़ रुपये आवंटित किये गए जो गत वर्ष 21-22 में आवंटित किए गए 93,224 करोड़ रुपये की तुलना में 11.86 प्रतिशत ज्यादा है
शिक्षा को डिजिटलीकरण की तरफ बढ़ावा देने वाले प्रगतिशील बजट की शिक्षाविदों द्वारा व्यापक रूप से सराहना की गई है, क्योंकि यह बजट राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 और डिजिटल इंडिया मिशन के दृष्टिकोण को आत्मसात करते हुए आनलाइन शिक्षा पद्धति को समृद्ध करने और कौशलयुक्त युवाओं के सृजन के प्रति संकल्पित दिखता है। एक मजबूत डिजिटल शिक्षा नेटवर्क के द्वारा ही पूरे देश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की समावेशिता और पहुंच सुनिश्चित की जा सकती है।
निरंतर विकसित होने वाली प्रौद्योगिकी ने ज्ञानवर्धक ई-सामग्री के साथ डिजिटल शिक्षा को अत्यंत प्रेरक, संवादात्मक और आकर्षक बना दिया है। 21वीं सदी में, जहां हमारे जीवन और कार्य गतिविधियों पर डिजिटलीकरण का बोलबाला है, डिजिटल शिक्षा पद्धति शिक्षार्थियों के लिए उनके कौशल और ज्ञान की आवश्यकता के अनुरूप पाठ्य सामग्री की सुलभता सुनिश्चित करा सकेगी। विभिन्न प्रकार की दिलचस्प ई-सामग्रियों से शिक्षार्थियों के ज्ञान और कौशल में वृद्धि होगी। विषय सामग्री और अद्यतन रोचक आनलाइन पाठ्य सामग्री के साथ शिक्षार्थियों का अधिक जुड़ाव उनके प्रदर्शन और महत्वपूर्ण सोच-क्षमता को बढ़ाएगा।
अन्य देशों की तरह भारत को पिछले दो वर्र्षों के दौरान कोविड महामारी के परिणामस्वरूप शैक्षणिक संस्थानों के बंद होने के कारण पारंपरिक कक्षा शिक्षण में व्यवधान का सामना करना पड़ा है। महामारी के कारण आफलाइन शिक्षण की हानि को कम करने और नियमित शैक्षणिक कैलेंडर बनाए रखने के लिए देश के विद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा आनलाइन प्लेटफार्म और ई-सामग्री का भरपूर उपयोग किया गया जिससे आनलाइन शिक्षण को बढ़ावा मिला तथा शिक्षण-अधिगम और मूल्यांकन आनलाइन मोड में स्थानांतरित होते चले गए। शिक्षा क्षेत्र के सभी हितधारकों ने महामारी के दौरान ई-लर्निंग की संभावनाओं को महसूस किया और इसके अभ्यस्त हो गए।
एनईपी-2020 के अनुसार वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 50 प्रतिशत हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित है जिसे विभिन्न प्रकार के गुणवत्तापूर्ण ई-सामग्री की उपलब्धता के साथ देश भर में एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।
बजट में डिजिटल शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया है और स्कूली बच्चों के लिए ई-सामग्री के विकास और पीएम ई-विद्या योजना के तहत एक कक्षा एक टीवी चैनल कार्यक्रम को 200 टीवी चैनलों तक विस्तारित करने का प्रस्ताव है। इससे समाज के सभी वर्गों से आने वाले स्कूली बच्चों, विशेषकर सरकारी स्कूलों, ग्रामीण क्षेत्रों और वंचित वर्गों से आने वाले बच्चों में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षण सामग्री का वितरण सुनिश्चित हो सकेगा। क्षेत्रीय भाषाओं में उच्च गुणवत्तायुक्त ई-शिक्षण सामग्री वाले लगभग 200 टीवी चैनल निश्चित रूप से बच्चों को उनके क्लास रूम शिक्षण-अनुभव के पूरक का कार्य करेंगे और देश के विभिन्न हिस्सों के छात्रों के बीच स्थित भाषाई बाधाओं को दूर करेंगे। यह योजना ग्रामीण और उपनगरीय क्षेत्रों में रहने वाले उन बच्चों के लिए एक बड़ा वरदान होगी, जहां उचित इंटरनेट कनेक्टिविटी का न होना अभी भी एक समस्या है, और छात्रों को महामारी के पिछले दो वर्षों के दौरान पर्याप्त औपचारिक स्कूली शिक्षा नहीं मिल पाई है। क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा से लगभग 65 प्रतिशत आबादी वाले ग्रामीण भारत में साक्षरता तेजी से बढ़ेगी। इससे देश के सामाजिक, आर्थिक परिदृश्य में एक सशक्त बदलाव सामने आएगा।
यह बजट एक ऐसे शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का प्रस्ताव करता है जो रोजगार केंद्रित होगा। इसके लिए आनलाइन प्रशिक्षण के माध्यम से युवाओं के कौशल, अपस्किलिंग और रीस्किलिंग के लिए एक डिजिटल स्किलिंग प्लेटफार्म 'देश-स्टैक ई-पोर्टलÓ आरंभ करने का प्रस्ताव है। रोजगार क्षेत्रों की मांगों को पूरा करने के लिए प्रतिभाशाली और कुशल युवाओं को तैयार करने के लिए उठाया गया यह एक स्वागत योग्य कदम है। यह देश में कुशल युवाओं की कमी को दूर करेगा और युवाओं को अपने कौशल को परिष्कृत करने और उन्हें अपने पेशेवर जीवन के उद्देश्यों को निर्धारित करने और आजीविका प्राप्ति में मदद करेगा। नियोक्ताओं की जरूरतों के साथ तालमेल बिठाते हुए अधिकाधिक युवा रोजगार योग्य बनेंगे। इससे अधिक से अधिक रोजगार का सृजन होगा। उद्योगों और अन्य क्षेत्रों की आवश्यकताओं को उन संबंधित क्षेत्रों में युवाओं को कुशल बनाकर ही पूरा किया जा सकता है। उद्योगों की मांग के अनुरूप 'राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचेÓ को संरेखित करने का कदम युवाओं को नियमित रूप से खुद को उन्नत करने और नौकरियों की मांगों के अनुरूप अपने को सदा कुशल और प्रासंगिक बनाए रखने के लिए उत्साहित करेगा।
इसके अलावा, बजट के अनुसार, युवाओं में कौशल को बढ़ावा देने के लिए राज्यों के आइटीआइ नए-नए कौशल पाठ्यक्रम तैयार करेंगें और कौशल के साथ-साथ महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा देने के लिए वर्चुअल स्किलिंग ई-प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी। युवाओं में उद्यमशीलता या नौकरी-कौशल के प्रशिक्षण से उनके उद्यमी बनने या वांछित नौकरी पाने के लिए अवसर प्राप्त होंगें। युवाओं को अपने करियर के निर्माण के लिए तेज गति से आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। एक प्रगतिशील अर्थव्यवस्था के रूप में भारत में विभिन्न क्षेत्रों में कुशल युवाओं को रोजगार देने की अपार संभावनाएं हैं।
भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन के साथ तालमेल बिठाते हुए बजट में एक 'डिजिटल विश्वविद्यालयÓ स्थापित करने का प्रस्ताव है, जो डिजिटल मोड में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय होगा जो पूरे देश के छात्रों को विश्व स्तर की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करेगा। यह विश्वविद्यालय हब और स्पोक माडल के आधार पर होगा जहां एक केंद्रीकृत हब से आनलाइन शिक्षा सामग्री देश के विभिन्न स्थानों अर्थात स्पोक से प्राप्त की जा सकेगी। देश के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय डिजिटल विश्वविद्यालय के साथ सहयोग करेंगे। देश के दूर-दराज के क्षेत्रों के छात्र घर बैठे विभिन्न भारतीय भाषाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा आनलाइन माध्यम से प्राप्त कर सकेंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित होगी और उच्च शिक्षा में जीईआर को बढ़ावा मिलेगा। डिजिटल विश्वविद्यालय का निर्माण आज की आवश्यकता है, क्योंकि यह न केवल जनता में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि इससे देश की ग्रामीण आबादी को समान रूप से गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा मिल सकेगी। आनलाइन शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए, विगत वर्षों में देश के कई विश्वविद्यालयों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पूर्ण रूप से डिजिटल माध्यम से पाठ्यक्रम संचालित करने की अनुमति प्रदान की गई है।
वर्तमान समय के डिजिटल युग में, जब शिक्षा केवल कक्षाओं और पाठ्य पुस्तकों तक ही सीमित नहीं है, भारतीय भाषाओं में शक्तिशाली ई-सामग्री के साथ डिजिटल शिक्षा विद्यालयीय और उच्च शिक्षा में नामांकन को बढ़ावा देगी। इससे समाज के सुदूर क्षेत्रों और सभी वर्गों तक शिक्षा की पहुंच बनेगी, शैक्षिक विषमताएं मिटेंगी, एक जीवंत ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा और शिक्षा का लोकतंत्रीकरण सुनिश्चित हो सकेगा । युवाओं को कुशल बनाने और शिक्षा में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा बजट के ये प्रस्ताव एनईपी-2020 और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के दृष्टिकोण के साथ पूरी तरह से मेल खाते हैं, ताकि समाज में सभी को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके।
( लेखक गुजरात केंद्रीय विश्‍वविद्यालय, गांधीनगर के कुलपति हैं )
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