सीमेंट के बहाने
इसे महज इत्तेफाक कहें या हिमाचल की नई नवेली सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कड़ी परीक्षा कि जिस दिन मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू सीमेंट के बढ़ते दामों पर नकेल कस रहे थे,
जनता से रिश्ता वेबडेस्क |इसे महज इत्तेफाक कहें या हिमाचल की नई नवेली सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कड़ी परीक्षा कि जिस दिन मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू सीमेंट के बढ़ते दामों पर नकेल कस रहे थे, उसी दिन अडानी गु्रप राज्य में अपने दो सीमेंट प्लांट पर ताले लटका देता है। मुख्यमंत्री ने आम लोगों की आवासीय जरूरतों को देखते हुए सीमेंट के दाम पर नियंत्रण की जो मुहिम शुरू की है, यह उसके खिलाफ एक सीधा टकराव जान पड़ता है। अडानी ग्रुप ने एक तरफा कार्रवाई करते हुए न केवल सीमेंट उत्पादन पर विराम लगाया है, बल्कि प्रदेश की आर्थिकी तथा रोजगार के अनेक अवसरों पर भी कुंडली मारी है। जाहिर है इससे पहले से महंगे हो चुके सीमेंट की आपूर्ति पर दबाव आएगा, लेकिन यह सुक्खू सरकार की ऐसी अग्रि परीक्षा है जो उसके इरादों की मजबूती का फैसला करेगी। पिछले अनेक वर्षों से सीमेंट फैक्ट्रियां हिमाचल से कच्चा माल व विद्युत का भरपूर इस्तेमाल करके अपनी उत्पादन क्षमता में इजाफा करती व मुनाफा कमाती रही है, जबकि हिमाचली उपभोक्ता के लिए यह सौदा हमेशा महंगा होता रहा है। पड़ोसी राज्यों की तुलना में हिमाचल में बना सीमेंट हिमाचल के लोगों के लिए महंगाई का सबब है।