सीमेंट के बहाने

इसे महज इत्तेफाक कहें या हिमाचल की नई नवेली सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कड़ी परीक्षा कि जिस दिन मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू सीमेंट के बढ़ते दामों पर नकेल कस रहे थे,

Update: 2022-12-18 14:45 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |इसे महज इत्तेफाक कहें या हिमाचल की नई नवेली सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कड़ी परीक्षा कि जिस दिन मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू सीमेंट के बढ़ते दामों पर नकेल कस रहे थे, उसी दिन अडानी गु्रप राज्य में अपने दो सीमेंट प्लांट पर ताले लटका देता है। मुख्यमंत्री ने आम लोगों की आवासीय जरूरतों को देखते हुए सीमेंट के दाम पर नियंत्रण की जो मुहिम शुरू की है, यह उसके खिलाफ एक सीधा टकराव जान पड़ता है। अडानी ग्रुप ने एक तरफा कार्रवाई करते हुए न केवल सीमेंट उत्पादन पर विराम लगाया है, बल्कि प्रदेश की आर्थिकी तथा रोजगार के अनेक अवसरों पर भी कुंडली मारी है। जाहिर है इससे पहले से महंगे हो चुके सीमेंट की आपूर्ति पर दबाव आएगा, लेकिन यह सुक्खू सरकार की ऐसी अग्रि परीक्षा है जो उसके इरादों की मजबूती का फैसला करेगी। पिछले अनेक वर्षों से सीमेंट फैक्ट्रियां हिमाचल से कच्चा माल व विद्युत का भरपूर इस्तेमाल करके अपनी उत्पादन क्षमता में इजाफा करती व मुनाफा कमाती रही है, जबकि हिमाचली उपभोक्ता के लिए यह सौदा हमेशा महंगा होता रहा है। पड़ोसी राज्यों की तुलना में हिमाचल में बना सीमेंट हिमाचल के लोगों के लिए महंगाई का सबब है।

अडानी ग्रुप ने अपने कर्मचारियों को काम से बेदखल करते हुए जो कारण बताए हैं, वे इतने मासूम नहीं कि इस तरह की बिजलियां गिर जाएं। कंपनी कहती है कि कच्चे माल और माल ढुलाई का खर्चा बढऩे के कारण अलाभकारी उत्पादन को जारी रखना संभव नहीं। यह बहाना बनाने का सदुपयोग हो सकता है, लेकिन इस अनावश्यक फैसले की जद में कई ग्रंथियां हैं। बहरहाल आकस्मिक शटडॉउन के कारण हिमाचल के विकास, सरकार के सरोकार, औद्योगिक माहौल, रोजगार व आर्थिकी पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। वर्तमान सरकार के सामने केवल सीमेंट फैक्टरी प्रबंधन नहीं, बल्कि देश का सर्वोच्च औद्योगिक घराना अडानी ग्रुप खड़ा है। यह वही ग्रुप है जिससे आजिज सेब उत्पादकों ने इस बार भाजपा सरकार को नचा दिया था। हिमाचल के परिप्रेक्ष्य में अडानी ग्रुप विशुद्ध रूप से महज औद्योगिक घराना नहीं, बल्कि देश के सियासी वातावरण का ताकतवर पक्ष भी है। यह चाहे तो सीमेंट उत्पादन को लेकर सुक्खू सरकार को नचा सकता है, टकरा सकता है, यह इसलिए भी कि कमोबेश इसी तरह की परिस्थितियों में उत्तराखंड के दो तथा जम्मू-कश्मीर के तीन सीमेंट प्लांट चल रहे हैं, तो हिमाचल में यह दाग क्यों लगा। ऐसे में हो सकता है अडानी ग्रुप के दोनों प्लांट सरकार से कुछ रियायत चाहते हों या यह भी माना जा सकता है कि माल ढुलाई की दरों पर अंकुश लगाने की जरूरत हो।

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