ट्विटर एक उलझन में फंसा नजर आता है। वह ये नहीं समझ पा रहा है कि आखिर किस हद तक अभिव्यक्ति की आजादी के समर्थन में खड़ा हुआ जाए। भारत उसके लिए एक महत्त्वपूर्ण बाजार है। इससे अलग हो जाना उसके लिए आसान नहीं है। दूसरी तरफ लगता है कि भारत सरकार ने उसे सबक सिखाने की पूरी तैयार कर ली है। मंत्री अगर एक वैकल्पिक देसी माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर जाकर उसे प्रोमोट करने लगें, तो इसका यही निष्कर्ष निकाला जाएगा कि भारत सरकार वैकल्पिक तैयारी कर रही है। वह चीन की तरह अपना माध्यम बना लेना चाहती है, जिस पर वह जितना चाहे उतना प्रतिबंध लगा पाएगी। बहरहाल, ट्विटर का कहना है कि उसने हाल ही में भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आदेशों के अनुरूप कुछ कार्रवाई की है। लेकिन वह मीडिया संस्थाओं, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और नेताओं से जुड़े ट्विटर एकाउंट को ब्लॉक नहीं करेगा। साफ तौर पर वह बीच का रास्ता ढूंढने की कोशिश में है।