वजूद बचाने की कोशिश
पश्चिम बंगाल में इस बार कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट ने औपचारिक रूप से गठबंधन करने का फैसला किया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पश्चिम बंगाल में इस बार कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट ने औपचारिक रूप से गठबंधन करने का फैसला किया है। इसका एलान कुछ रोज पहले हुआ। इसके पहले भी इन दोनों ने आपसी तालमेल से चुनाव लड़ा था। लेकिन समय रहते पूरे गठबंधन का एलान पहली बार हुआ है। क्या इससे हाशिये पर पहुंच गए इन दलों की तकदीर संवरेगी? राज्य में जो सियासी रूझान हैं, उन्हें देखते हुए इसकी उम्मीद करना मुश्किल लगता है। 2016 के विधान सभा चुनाव में दोनों के तालमेल के बावजूद लेफ्ट को नुकसान ही उठाना पड़ा था। बीते साल हुए लोकसभा चुनावों में स्थानीय स्तर पर अनौपचारिक तालमेल के बावजूद कांग्रेस छह से घट कर दो सीटों पर आ गई, वहीं कभी अपने गढ़ रहे इस राज्य में लेफ्ट का खाता तक नहीं खुल सका। जाहिर है, सत्ता के दावेदार के तौर पर उभरती भाजपा और सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की टक्कर में इन दोनों के लिए वजूद बचाने का संकट खड़ा है।