श्रद्धांजलि : राहुल बजाज को कैसे याद करूं?

राहुल बजाज को कैसे याद करूं

Update: 2022-02-12 17:58 GMT

Soumitra Roy

राहुल बजाज को कैसे याद करूं? साथ में बजाज जुड़ा है, तो स्कूटर से बेहतर और क्या यादें हो सकती हैं? वाकई, वह बुलंद भारत था और उसकी इकलौती तस्वीर थी- बजाज स्कूटर पर सवार पूरा परिवार. इस स्कूटर ने पूरे भारत को धर्म, जाति, सांप्रदाय से परे एक सूत्र में पिरो दिया.

तब लगता था कि देश वाकई तरक्की कर रहा है. कुल जमा 10 साल का था, जब रायपुर में बगल के तीसरे मकान में टिकरिहाजी के "सपनों की उड़ान" को साकार होते देखकर हमारी अम्मा ने भी ज़िद पकड़ ली थी कि स्कूटर आकर ही रहेगा.
पिताजी ने भी हार मानकर बुकिंग करवा ली. तब बजाज स्कूटर की महीनों लंबी बुकिंग चलती थी. 7 महीने के लंबे इंतज़ार और अम्मा के कई उपवास, कीर्तन और मन्नतों के बाद एक दिन पिताजी एक हाथ में मछली और दूसरे में रसगुल्ला लेकर घर लौटे.
अम्मा हैरान. मुस्कुराते हुए उन्होंने अम्मा के हाथों स्कूटर के कागज़ रख दिये. फिर क्या था- अम्मा को पहली बार पिताजी पर फ़क्र करते पाया. तब हम जैसे मध्यम वर्ग के लोग छोटे-छोटे ख़्वाब देखा करते थे. अब वे सनीमा, बाजार, रेस्टोरेंट और गांव तक लांग ड्राइव में तब्दील होने लगे.
सबसे आगे मैं, फिर पिताजी और पीछे अम्मा और दीदी सब चल पड़ते. पिताजी की डिमांड बढ़ गई थी. घुम्मी के लिए दीदी उनके पैर दबाती, अम्मा पसंद का भोजन और हम उनकी पीठ खुजलाते थे.
राहुल बजाज ने उसी बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर दिखाई थी, जो मेरी पहली फुलटाइम नौकरी के बाद बजाज क्लासिक में बदली. राहुल बजाज को याद करें तो उनके दादा और गांधीजी के प्रिय जमनालाल बजाज को भी न भूलें.
राहुल सत्ता के आगे कभी नहीं झुके. परिवार के जींस और बंगाल में पैदाईश का असर कहें या उनकी ख़ुद्दारी, गलत को गलत कहना उनके स्वभाव में रहा. आज की पीढ़ी को लाखों की हायाबूसा पर हवाई सफ़र करते हुए उन सपनों का शायद ही अहसास होता होगा, जो मुझे पिताजी की बजाज स्कूटर को बिना नागा सुबह धोते/ पोंछते हुआ करता था.
क्या करें. बजाज अकेला ही तो था. हमारे सपनों की तामील करने वाला. राहुल बजाज भी सत्ता के सामने रीढ़ सीधी रखने वाले अकेले उद्योगपति थे. उनकी कमी हमेशा खलेगी.
नमन.
श्रद्धांजलि.
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