अम्बानी को धमकी
भारत की अर्थव्यवस्था का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता के उदय के साथ शुरू हुआ माना जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था काफी हद तक व्यापार पर निर्भर थी।
आदित्य नारायण चोपड़ा; भारत की अर्थव्यवस्था का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता के उदय के साथ शुरू हुआ माना जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था काफी हद तक व्यापार पर निर्भर थी। इसी सभ्यता में नागरिक कृषि का अभ्यास करते थे। वे तांबे, कांसे अन्य वस्तुओं से हथियार और बर्तन बनाते थे। वे मोतियों, सोने, चांदी का व्यापार किया करते थे। मुगलकाल में भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपने इतिहास में समृद्धि का अभूतपूर्व अनुभव किया। ब्रिटिश शासन के दौरान भारत कच्चे माल के निर्यातक से प्रासंस्कृत वस्तुओं के निर्यातक में बदल गया। 1750 के दशक में ज्यादातर महीन कपास और रेशम का निर्यात किया जाता था। यूरोप, एशिया और अफ्रीका के बाजारों में भारत 1850 के दशक तक कच्चे माल का निर्यात किया करता था। लेकिन ब्रिटिश ओपनिवेशक शासन के तहत शोषण ने भारत की अर्थव्यवस्था को तबाह करके रख दिया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ही बिड़ला बजाज जैसे उद्योगपति उभर कर सामने आए और आजादी के आंदोलन में भी उनकी बड़ी भूमिका रही। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत की अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई और धीरे-धीरे अनेक औद्योगिक घराने उभर कर सामने आए। भारत के विकास में इन औद्योगिक घरानों की बड़ी भूमिका रही। भारतीय अर्थव्यवस्था जो कि अब दुनिया में सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है। इसका श्रेय भी औद्योगिक घरानों, उद्योगपतियों को दिया जाना चाहिए। अर्थव्यवस्था के विकास में बड़े उद्योगपतियों की भूमिका को देखते हुए उनकी और उनके परिवारों की सुरक्षा सरकारों का दायित्व है। उदारवादी आर्थिक नीतियां लागू हो जाने के बाद खुली अर्थव्यवस्था में उद्योगपतियों की सुरक्षा को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। बाजार मूलक अर्थव्यवस्था में किसी भी उद्योगपति की भूमिका को कम करके आंका नहीं जा सकता। मुकेश अम्बानी भारत के सबसे सफल उद्योगपति अपनी निजी सम्पत्ति के साथ दुनिया के अमीर आदमियों में शामिल हैं। लेकिन उन्हें और उनके परिवार को लगातार जान से मारने की धमकियां मिलना और कई तरह के षड्यंत्रों का सामने आना दुर्भाग्यपूर्ण है। हाल ही में उन्हें, उनकी पत्नी नीता अम्बानी और दोनों बेटों आकाश तथा अनंत अम्बानी को जान से मारने की धमकी दी गई थी। धमकी भरा फोन सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल के लैंडलाइन पर किया गया था। मुम्बई पुलिस ने इस मामले पर जांच शुुरू की और इस संबंध में बिहार के दरभंगा के ब्रह्मपुरा गांव से एक युवक को गिरफ्तार कर लिया और फोन भी बरामद कर लिया। यद्यपि आरोपी युवक की गिरफ्तारी हो गई है। हो सकता है कि उसने यह धमकी शरारतपूर्ण ढंग से सनसनी पैदा करने के लिए दी हो। लेकिन उद्योगपतियों को ऐसी धमकियां दिए जाने की प्रवृति का बढ़ना खतरनाक है। इससे पहले मुकेश अम्बानी के मुम्बई स्थित आवास एंटीलिया के पास विस्फोटकों से लदी मिली स्कार्पियो कार का मामला सामने आया था। उसके बाद से ही नए-नए खुलासे होते रहे हैं। इस केस में मुम्बई पुलिस की क्राइम ब्रांच में तैनात सचिन वाजे की गिरफ्तारी की गई थी। यह गिरफ्तारी स्कोर्पियो के मालिक मनसुख हिरेन का शव बरामद होने के बाद की गई। इस मामले में मुम्बई पुलिस के अधिकारियों की कारगुजारी पर अनेक सवाल खड़े कर दिए। मुम्बई के उद्योगपति बिल्डर फिल्म फाइनेंसर और सोने-चांदी के बड़े व्यापारी लगातार अपराधिक गिरोहों के निशाने पर रहे। कभी मुम्बई में बम विस्फोटों के मुख्य आरोपी और भारत द्वारा वांछित अंडरवर्ल्ड माफिया डॉन दाउद इब्राहिम यानि डी गिरोह का शासन चलता था। डी गिरोह उद्योगपतियों, फाइनेंसरों और अन्य को जान से मारने की धमकी देकर करोड़ों की वसूली करता रहा है। अपनी काली कमाई को सफेद करने के लिए डी गिरोह फिल्मों में धन निवेश करता था। एक तरह से सपनों की नगरी में डी गिरोह ने पूरा आतंक मचा रखा था। मुम्बई पुलिस ने आक्रामक रुख अपनाया और डी गई रोह के सारे नेटवर्क को छिन्न-भिन्न कर दिया। मुम्बई के सीरियल बम धमाकों के बाद दाऊद भाई समेत पाकिस्तान भाग गया। दाऊद पाक की खुफिया एजैंसी आईएसआई की शरण में जी रहा है। पाकिस्तान में बैठकर वह भारत में हिंसक वारदातों के षड्यंत्र रचता रहता है। आज भी उसके अनेक गुर्गे मुम्बई में सक्रिय हैं। लेकिन पुलिस की सख्ती के चलते दाऊद गिरोह की कमर टूट चुकी है। सरकार ने हाल ही में उद्योगपति मुकेश अम्बानी के सुरक्षा कवर को बढ़ाकर जैड प्लस कर दिया है। यह टॉप कैटेगरी की सुरक्षा है। सरकार ने केन्द्रीय खुफिया और सुरक्षा एजैंसियों द्वारा अम्बानी पर खतरे की समीक्षा किए जाने के बाद यह कदम उठाया है। मुकेश अम्बानी को पहली बार 2013 में भुगतान आधार पर सीआरपीएफ कमांडो का जैड श्रेणी का सुरक्षा कवर दिया गया था। मुकेश अम्बानी की पत्नी नीता अम्बानी को वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है, जिसमें कमांडो की संख्या कम होती है। पिछले महीने केन्द्र सरकार ने अडानी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अडानी को सीआरपीएफ कमांडो का जैड श्रेणी का वीआईपी सुरक्षा कवर मुहैया कराया है। इसके अलावा कुछ अन्य उद्योगपतियों को भी अलग-अलग श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध कराई जाती है। मुकेश अम्बानी समेत कई अन्य उद्योगपतियों ने पर्सनल सुरक्षा गार्ड भी रखे होते हैं। संपादकीय :ज्ञानवापी का 'बोलता सच'गरबा में हंगामा क्यों?तेलंगाना की राष्ट्रीय आकांक्षा?संघ प्रमुख का संदेशऔर रावण फिर फुंक गया!वायुसेना की प्रचंड शक्तिभारत के सबसे पुराने और सफल औद्योगिक घराने में शामिल किए जाने वाले टाटा समूह के अध्यक्ष, सकरणी टेलीकॉम कम्पनी के भारती टेलीकॉम के चेयरमैन तथा प्रबंध निदेशक सुनील भारती मित्तल, विप्राे समूह के अध्यक्ष अजीम हाशिम प्रेम जी, बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला और कई अन्य उद्योगपतियों की सुरक्षा भी बहुत जरूरी है। अतिविशिष्ट लोगों की सुरक्षा को लेकर अक्सर सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। उद्योगपतियों को सुरक्षा दिए जाने का मामला अदालतों में भी पहुंचा है। जून माह में त्रिपुरा हाईकोर्ट में विकास सादर नामक व्यक्ति ने जनहित याचिका दायर कर मुकेश अम्बानी और उनके परिवार को मुम्बई में सुरक्षा मुहैया कराने के आधार पर खतरे की आशंका का ब्यौरा मांगा था। इस याचिका पर त्रिपुरा हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय के पास रखी वह मूल फाइल पेश करने का निर्देश दिया था। जिसके आधार पर अम्बानी परिवार को सुरक्षा प्रदान की गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। उद्योगपतियों की सुरक्षा का मामला काफी संवेदनशील है और इस संबंध में गोपनीय जानकारियां सामने लाया जाना गम्भीर सुरक्षा चूक हो सकती है। हैरानी होती है जब लोग व्यर्थ में ऐसी जनहित याचिकाएं दायर करते हैं। देश में औद्योगी क घरानों के प्रमुखों की सुरक्षा बहुत जरूरी है। अगर उन्हें अपनी सुरक्षा का भरोसा होगा तो ही वे खुलकर और बिना किसी भय के काम करेंगे। विकास की पहली शर्त होती है शांति और सुरक्षा। भय, आतंक और गिरोहों की धमकियों के बीच विकास सम्भव नहीं है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की प्रतिष्ठा बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को शिखर तक पहुंचाने वाले उद्योगपतियों की सुरक्षा बहुत जरूरी है।