बेहद दबाव भरी नौकरी में इस तरह का प्रदर्शन यकीनन आपको दूसरों से अलग साबित कर देता है
‘अगर मैं बेहोश हो जाऊं या मुझे कुछ हो जाए और इस हवाई जहाज की आपात लैंडिंग करना पड़े तो इस छोटी खिड़की से देखिए
एन. रघुरामन का कॉलम:
'अगर मैं बेहोश हो जाऊं या मुझे कुछ हो जाए और इस हवाई जहाज की आपात लैंडिंग करना पड़े तो इस छोटी खिड़की से देखिए। अगर दरवाजे पर आग या पानी नहीं है तो ये हैंडल दाएं घुमाएं और दरवाजा बाहर की तरफ खोल दें। दरवाजे में स्लाइडर है और वह अपने आप खुल जाएगा। अब आपके पास एक विकल्प है, आप पहले फिसलकर हवाई जहाज से निकल सकते हैं या दूसरे यात्रियों को उस पर कूदकर निकलने का मार्गदर्शन दे सकते हैं।
अगर आप दूसरों की मदद करने का निर्णय लेते हैं तो हवाई जहाज से आखिरी में निकलें, और यह सुनिश्चित करें कि आप मुझे भी साथ ले जाएं, क्योंकि मैं अभी तक बेहोश हूं।' उन्होंने मुस्कराते हुए कहा और आगे बढ़ गईं। एंट्रेंस सीट पर बैठे हम तीन यात्री उनके इस हास्यबोध पर जोर से हंस पड़े। एअर इंडिया के ड्रीमलाइनर एयरक्राफ्ट 787-800 की नीलिमा रिपोते नामक उन सीनियर एयर होस्टेस से मुझे प्यार हो गया, जिन्होंने दरवाजे के पास बैठे लोगों के लिए जरूरी सुरक्षा ड्रिल को इतने सुंदर तरीके से अंजाम दिया था।
अपने नाम की ही तरह उद्घोषणा का उनका तरीका भी अनूठा था। ड्रीमलाइनर को एविएशन की भाषा में 'वाइड बॉडी' कहते हैं, क्योंकि इसमें प्रवेश के दो भिन्न रास्ते होते हैं। गेट जहाज के बीच में होता है, ताकि अलग-अलग क्लास के यात्री दोनों तरफ जा सकें। एयरक्राफ्ट के भीतर दो पाथ-वे भी होते हैं। मैं इस जहाज में हमेशा 11वीं पंक्ति चुनता हूं, क्योंकि वह बैठने की बहुत अच्छी जगह है- खासकर सीट 'सी', जहां पर मैं इस गुरुवार को दिल्ली यात्रा के दौरान बैठा था।
वो इसलिए क्योंकि जो भी जहाज में प्रवेश करता है, उसे मैं यहां से देख सकता हूं। अगर उनमें कोई सेलेब्रिटी होती है तो मुझे उनसे दो मिनट बात करने का मौका मिल जाता है, जिससे मेरा कॉलम और दिलचस्प बन जाता है। नीलिमा की ओर मेरा ध्यान जाने का सबसे बड़ा कारण ये था कि वो हर चीज एकदम ठीक तरह से कर रही थीं। हवाई जहाज में जो कुछ भी हो रहा है, उस पर उनकी नजर थी।
उनकी एक नजर वॉटर-हीटर और माइक्रोवेव पर थी और एक हाथ यात्रियों को पानी की बोतल दे रहा था तो दूसरी नजर और दूसरा हाथ प्रवेश करने वाले हर यात्री को मार्गदर्शन देने पर एकाग्र था। उन्होंने टोन बदले बिना हर यात्री को बताया कि उनकी सीट कहां है और वहां कैसे पहुंचें। उनकी आवाज में मुस्कराहट-स्वागत की भावना की गूंज थी, जो एविएशन इंडस्ट्री के लिए जरूरी प्रसन्नता के अनुरूप थी।
साथ ही आवाज में दृढ़ता भी थी और उसके कारण वे यह सुनिश्चित कर पा रही थीं कि कोई भी यात्री तय सीट से भटके नहीं। यकीन मानिए, आवाज में ऐसी निरंतरता के लिए हमें खुद को अपने काम में पूरी तरह झोंकना होता है। इसके बावजूद वो मशीनी ढंग से काम नहीं कर रही थीं, बल्कि मानवीय-गुणों से भरी व उदार थीं और यात्रियों की जरूरत के मुताबिक लहज़ा रख रहीं थीं। जब वो कहतीं कि 'सर/मैडम, आपका सीट नंबर क्या है?'
और ये जानने के बाद जब वो बोलतीं कि 'सीधे जाकर दाएं या बाएं मुड़ें' तो उन्हें हवाई जहाज के पूरे इंटीरियर के बारे में अच्छी तरह पता था कि हवाई जहाज में क्या-कुछ है और कहां है। जब फ्लाइट हवा में थी तो उन्होंने एप्रन की जेब पानी की बोतलों से भर ली।
ये कुछ यात्रियों को अटपटा लग सकता है। लेकिन जब वे पाथ-वे में चल रही थीं और यात्रियों ने उनसे पानी मांगा तो उन्होंने पॉकेट से आराम से बोतलें निकालीं और किसी जादूगर जैसे मुस्काते हुए अगले ही पल उन्हें दे दी। उन एक महिला के कारण पूरी यात्रा कूल लग रही थी।
फंडा यह है कि आज जब लोग 9 से 5 की नौकरी करने की कोशिश कर रहे हैं, तब एक बेहद दबाव भरी नौकरी में इस तरह का प्रदर्शन यकीनन आपको दूसरों से अलग साबित कर देता है।