हमारे सौर मंडल में कम से कम 135 चाँद और हैं
धरती से अक्सर आसमान में देखने पर एक खूबसूरत चीज नजर आती है
धरती से अक्सर आसमान में देखने पर एक खूबसूरत चीज नजर आती है। जिसे हम चांद कहते हैं। जी हां वही चांद जो पूर्णिमा पर पूरी तरह से नजर आता है और अमावस्या के दिन न जाने कहां गायब हो जाता है। पूरी दुनिया में इसकी खूबसूरती के जलवे हैं। लेकिन चाँद के बारे में अधिकतर लोगों को बहुत ही कम ना के बराबर जानकारी होती है। तो आइए जानते है चन्द्रमा या चाँद के बारे में जानकारियाँ। हमारे सौर मंडल में कम से कम 135 चाँद और हैं। लेकिन किसी पर जीवन का अस्तित्व नहीं है। सिवाय पृथ्वी के।
पृथ्वी पर भी आज अगर जीवन संभव है तो सिर्फ चाँद के कारण। कैसे? वो ऐसे की जब पृथ्वी से थिया नाम का ग्रह टकराया तो धरती 23.5 डिग्री तक झुक गयी थी। और अगर उस समय चाँद न बना होता तो ये फिर से सीधी हो जाती। चाँद के गुरुत्वाकर्षण के कारण ही धरती अब तक झुकी हुयी है। इसी झुकाव के कारण धरती पर अलग-अलग तरह के मौसम पाए जाते हैं। यदि चाँद न होता और धरती सीधी हो जाती तो दिन और रात दोनों बराबर यानी कि 12 घंटे के होते और दोनों ध्रुवों पर बर्फ ही बर्फ होने के साथ भूमध्य रेखा का क्षेत्र आग से झुलस रहा होता। कई ग्रहों पर ऐसा होता है। जिसके 2 उदाहरण है बुद्ध और मंगल। मंगल ग्रह के 2 चाँद हैं। लेकिन उनकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी कम है कि जिससे मंगल ग्रह को कोई फर्क नहीं पड़ता। इस वजह से वहां कोई भी मौसम नहीं पाया जाता। बुद्ध ग्रह का कोई चाँद नहीं है इस वजह से वहां भी कोई मौसम नहीं पाया जाता।
इतना ही नहीं जब धरती अस्तित्व में आई तो उस वक़्त 6 घंटे के दिन रात होते थे। ये चाँद ही था जिसने अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति से धरती की गति को धीमा किया जिसकी वजह से आज हम 12 घंटे के दिन और रात देखते हैं। ये भी धरती पर जीवन की उत्पत्ति का एक कारण था। इस तरह हम ये तो कह ही सकते हैं की अगर चाँद न होता तो ये चाँद से मुखड़े भी धरती पर ना होते। चाँद, धरती और थिया ग्रह की आपसी टक्कर से निकला हुआ 81 मिलियन बिलियन कचड़ा है। जो चट्टानों और धूल का मिश्रण है। जब चाँद अस्तित्व में आया था तो उस समय पृथ्वी और चाँद की दूरी लगभग 22000 कि.मी. थी जबकि आज ये लगभग 400000 कि.मी. दूर है। लगभग हर 24 घंटे में चाँद की सतह पर 5 टन धूमकेतु के टुकड़े टकराते हैं।