ईरान में भारतीय सहयोग वाली चाबहार बंदरगाह परियोजना पर कोई अड़ंगा नहीं लगाएगा अमेरिका
भारत और अमेरिका के विदेश एवं रक्षा मंत्रियों की हालिया बातचीत का यह नतीजा भी सामने आना एक शुभ संकेत है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत और अमेरिका के विदेश एवं रक्षा मंत्रियों की हालिया बातचीत का यह नतीजा भी सामने आना एक शुभ संकेत है कि भारतीय सहयोग वाली चाबहार बंदरगाह परियोजना तेजी से आगे बढ़ेगी और उसे लेकर अमेरिकी प्रशासन कोई अड़ंगा नहीं लगाएगा। इसका मतलब है कि आखिरकार अमेरिका को यह समझ आ गया कि व्यापक उद्देश्यों वाली ईरान स्थित यह परियोजना न केवल भारत और अफगानिस्तान, बल्कि खुद उसके हित में है। इस परियोजना के आगे बढ़ने से अफगानिस्तान की पाकिस्तान पर निर्भरता कम करने के साथ वहां चीन के दखल को भी सीमित करने में मदद मिलेगी। दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए जितना आवश्यक यह है कि पाकिस्तान पर लगाम लगाई जाए, उतना ही यह भी कि इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते असर को कम करने के हरसंभव उपाय किए जाएं।
उल्लेखनीय केवल यह नहीं है कि चाबहार बंदरगाह परियोजना के मामले में अमेरिका भारत के दृष्टिकोण से सहमत हुआ, बल्कि यह भी है कि दोनों देश रक्षा-सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर राजी हुए। यह काम एक ऐसे समय हुआ, जब अमेरिका में चुनाव होने जा रहे हैं। इस कारण कई लोगों ने ऐसे सवाल खड़े किए कि जब अमेरिका चुनाव के मुहाने पर है, तब दोनों देशों के बीच विदेश एवं रक्षा मंत्री स्तर की वार्ता का क्या औचित्य? ऐसे सवालों का यही जवाब है कि दोनों देशों के संबंध अब इतने मजबूत हो गए हैं कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला कि अमेरिकी सत्ता की बागडोर किस दल के हाथों में रहती है?
विदेश एवं रक्षा मंत्री स्तर की बातचीत के दौरान अमेरिका और भारत के बीच जो अनेक महत्वपूर्ण समझौते हुए, वे भारतीय हितों की पूíत करने और साथ ही चीन की ओर से पेश की जा रही चुनौती का जवाब देने में मददगार बनने वाले भी हैं। चीन केवल भारत ही नहीं, एशिया और यहां तक कि पूरी दुनिया के लिए चुनौती बन रहा है। वास्तव में वह विश्व व्यवस्था के लिए खतरा बन गया है। इस खतरे से निपटने के लिए समान सोच वाले देशों के लिए तेजी से आपसी सहयोग बढ़ाना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र अपनी प्रासंगिकता खोता जा रहा है। क्या इससे खराब बात और कोई हो सकती है कि चीन के अड़ियल रवैये के कारण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कोविड-19 महामारी को लेकर कोई गंभीर चर्चा नहीं कर सकी।
बदली हुई परिस्थितियों में यह भी जरूरी है कि भारत ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन जैसी संस्थाओं के बजाय क्वॉड को अधिक प्राथमिकता दे। इससे ही उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना कद बढ़ाने में मदद मिलेगी और आज ऐसा करना समय की मांग भी है।