ब्रिटेन में कोरोना के नए वेरिएंट से वर्ष के अंतिम दिनों में एक बार फिर हालात वही लग रहे हैं जो महामारी के शुरूआत के दिनों में थे। यह भी आशंका बढ़ रही है कि क्या दुनिया एक बार फिर लॉकडाउन की तरफ बढ़ रही है?
पहले कोविड-19 वायरस के लक्षणों की चर्चा होती थी लेकिन अब कोविड-20 की चर्चा होने लगी है। वैज्ञानिकों ने वायरस के नए स्ट्रेन को वीयूआई-2020.12/01 नाम दिया है। विशेषज्ञ अभी इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं। नए वेरिएंट के मिलने के बाद यूरोप समेत दुनिया के दूसरे देशों में हड़कम्प मचा हुआ है। इससे भारत भी अछूता नहीं है।
भारत को ब्रिटेन से आने वाली उड़ानों को रोकने की जरूरत इसलिए पड़ी क्युकी भारत में कोरोना के तेजी से फैलने के पीछे विदेश से यात्रा कर लौटे लोगों को बड़ी वजह माना गया था। ऐसी रिपोर्टें भी सामने आ रही हैं कि कोविड-20 का वायरस अब ब्रिटेन से बाहर निकल चुका है। इटली, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, नीदरलैंड और दक्षिण अफ्रीका में भी इस वायरस से ग्रस्त मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। कोरोना के नए वायरस के संबंध में अलग-अलग मत सामने आ रहे हैं।
वर्ल्ड हैल्थ आर्गेनाइजेशन के इमरजैंसी चीफ माइक रायन का कहना है कि नया स्ट्रेन िमलना सामान्य बात है और यह बेकाबू नहीं है जबकि इसके उलट ब्रिटेन के स्वास्थ्य सचिव मेट हैनकॉक ने नए वेरिएंट के लिए बेकाबू शब्द का इस्तेमाल किया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने आशंका जताई है कि वायरस का नया स्ट्रेन 70 प्रतिशत से ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
किसी भी वायरस में लगातार म्यूटेशन होता रहता है, ज्यादातर वेरिएंट खुद ही म्यूटेट होने के बाद मर जाते हैं लेकिन कभी-कभी वायरस म्यूटेट होने के बाद पहले से कई गुणा ज्यादा मजबूत और खतरनाक होकर सामने आता है। अभी तक ऐसा साक्ष्य मौजूद नहीं है जिससे यह सिद्ध हो सके कि यह नया वायरस संक्रामक रूप से ज्यादा घातक है। वायरस कितना खतरनाक है, इसका पता तो अभी एक-दो सप्ताह बाद ही लगेगा।
कोरोना की नई लहर काफी जटिल है। भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देशों में इसे लेकर चुनौतियां काफी बढ़ चुकी हैं। अगर दोबारा से लॉकडाउन की स्थिति बनती है तो इससे बड़ी मुश्किल से पटरी पर लौट रही अर्थव्यवस्था के लिए घातक होगा और सामाजिक पहलु से भी काफी नुक्सानदेह होगा। भारत में वायरस की शृंखला तोड़ने के िलए चिकित्सा तंत्र ने बड़ी मेहनत की है। नई जटिलताएं परेशानियां बढ़ाने वाली साबित हो सकती हैं।
लॉकडाउन के दौरान लोगों की सारी बचत खर्च हो चुकी है, जबदरस्त छंटनी के चलते बेरोजगारी अभी तक बढ़ी हुई है। कोरोना की आने वाली वैक्सीन क्या नए वायरस से लड़ने में कामयाब होगी या नहीं, यह भी अभी तय नहीं है। हालांकि वैक्सीन कम्पनियां अलग-अलग दावे कर रही हैं। ब्रिटेन कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण को मंजूरी देने वाला पहला देश है। यह भी देखना होगा कि ब्रिटेन में वैक्सीन कितनी प्रभावशाली रहती है।
यदि वैक्सीन ज्यादा कारगर नहीं रहती तो फिर वैक्सीन को भी लगातार अपडेट करना पड़ेगा। भारत में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार घट रही है लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। भारत सरकार को सबसे पहले यह पता करना होगा कि क्या नया वायरस स्ट्रेन भारत में मौजूद है या नहीं।
सरकार पहले से ही कोरोना वायरस के लिए मोलिक्यूलर एपिडमोलॉजिकल सर्विलांस कर रही है। जब तक कोई ठोस जानकारी नहीं मिलती तब तक हमारे पास यही विकल्प है कि ब्रिटेन से आए लोगों के टैस्ट, ट्रेस और आइसोलेट भी करना होगा। नए वायरस वेरिएंट के संबंध में शोध करने की जरूरत है। भारत में लॉकडाउन खुलने का अर्थ शायद लोगों ने समझ लिया कि कोरोना का खतरा टल गया है। ब्रिटेन में पैदा हुआ नया वायरस पूरी दुनिया के लिए चेतावनी है कि किसी भी तरह की लापरवाही खतरनाक हो सकती है। सभी से मेरा आग्रह है कि अभी भी किसी तरह की ढिलाई न बरतें।