शुरू हुआ अर्थव्यवस्था का अमृत काल, भविष्य की ही सोचो; आज के छोड़ो सवाल
शुरू हुआ अर्थव्यवस्था का अमृत काल
जो लोग हर बार हर बजट को प्रगतिशील और भविष्य के लिए बताते हैं उन लोगों ने इस बार इस बजट को भी प्रगतिशील और भविष्य के लिए बताया है. बजट बदल जाता है लेकिन इन लोगों की राय नहीं बदलती है. जब तक ऐसे लोग हैं तब तक खराब से खराब बजट को तारीफ की कमी नहीं होने वाली है. हर वित्त मंत्री को ऐसे विचारकों का शुक्रिया अदा करना चाहिए. इनके होने भर से और बोलने भर से हर बजट की शोभा बढ़ जाती है. ऐसे लोगों को इंडस्ट्री के लोग कहा जाता है. इस बजट में एक नए कालखंड का पता चला है जिसका नाम अमृत काल है. वित्त मंत्री ने बजट भाषण के चौथे पैराग्राफ में इसकी जानकारी देते हुए कहा है कि हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और और अमृत काल में प्रवेश कर चुके हैं.
उन्होंने कहा कि "हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और और अमृत काल में प्रवेश कर चुके हैं. 25 वर्ष की लंबी यात्रा के बाद हम भारत@100 पर पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में भारत@100 का दृष्टिकोण निर्धारित किया है."
वित्त मंत्री कह रही हैं कि 25 वर्ष की लंबी यात्रा के बाद हम भारत@100 पर पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में भारत@100 का दृष्टिकोण निर्धारित किया है. 9 बार अमृत शब्द का इस्तेमाल हुआ है. हम आपको 2015 के बजट भाषण के एक अंश के बारे में बताना चाहते हैं. उस साल 2022 में अमृत महोत्सव मनाने का ऐलान हुआ था क्योंकि भारत की आज़ादी के 75 साल पूरे होने थे. तब भी प्रधानमंत्री का विज़न बताया गया था. 2015 से 2022 तक का काल अमृत काल था या नहीं ये तो प्रधानमंत्री बता सकते हैं लेकिन आज बताया गया कि हम अमृत काल में प्रवेश कर चुके हैं. लेकिन 2015 के बजट भाषण का एक अंश सुनेंगे तो लगेगा कि एक ही स्क्रिप्ट है जिसे इस बार थोड़े बदलाव के साथ पेश कर दिया गया है.
अरुण जेटली के भाषण का एक हिस्सा तब मिला जब शुभांगी डेढ़गवे इस बार के बजट की एक घोषणा को 2015 के बजट भाषण में ढूंढ रही थीं. सेम टू सेम. 2022 के बजट में डेढ़ लाख पोस्ट आफिस को पेमेंट बैंक में बदलने की बात कही गई है. लेकिन यही बात 2015 में भी कही जा चुकी थी.
बजट भाषण में कहा गया कि 25 साल आगे का देखना है, सूचक चले गए 17 साल पीछे. रेलवे के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में 2000 किमी के नेटवर्क को कवच के अंतर्गत लाया जाएगा जो कि सुरक्षा और क्षमता संवर्धन के लिए विश्व स्तर की स्वदेशी प्रोद्योगिकी है.
दो ट्रेनों के बीच की टक्कर को रोकने के लिए रक्षा कवच बनाया गया है. एंटी कोलुज़न डिवाइस (ACD) कहते हैं. 2004 की PIB की एक प्रेस रिलीज़ मिली है जिसमें रक्षा कवच का ज़िक्र है. 2004 में कोंकण रेलवे के 760 किलोमीटर रुट को रक्षा कवच के दायरे में लाने की घोषणा है. इसमें लिखा है कि 598 ACD लगाए जा चुके हैं. यानी यह टेक्नालॉजी तो पहले से चली आ रही है. 19 दिसंबर 2010 की डेक्कन हेरल्ड में एक खबर छपी है कि चेन्नई एर्नाकुनम रेल मार्ग पर रक्षा कवच का परीक्षण किया गया है. इसका मतलब है रक्षा कवच का काम तो बहुत पहले से चल रहा है तो फिर इस बजट में इसका ज़िक्र क्यों आया. पिछले साल भी PIB ने सूचना जारी की है कि जिससे पता चलता है कि रक्षा कवच कोई नई टेक्नालॉजी नहीं है. क्या यह इतनी बड़ी घोषणा थी?
अमृत काल के इस बजट का सच कमाल का है. तभी हम इस सवाल से परेशान थे कि आज़ादी का अमृत महोत्सव ठीक है लेकिन भारत अमृत काल में कैसे प्रवेश कर गया है. क्या अमृत काल में झूठ बोलना बंद हो गया है, पुरानी घोषणा को नया बताकर हेडलाइन बनवाना बंद हो गया है? इस बार के बजट के 5 वें पैराग्राफ में अमृत काल के निर्धारित लक्ष्य बताए गए हैं. सूक्ष्म आर्थिक स्तर- समय कल्याण पर ज़ोर देते हुए व्यापक आर्थिक विकास में सहायता करना, डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं फिनटेक, प्रोद्योगिकी समर्थित आर्थिक विकास में सहायता करना, सार्वजनिक पूंजी निवेश की सहायता से निजी निवेश आरंभ करना, ऊर्जा परिवतर्न एवं जलवायु कार्ययोजना को बढ़ावा देना.
ठीक इसी तरह 2015 में 2022 के लिए दस टारगेट तय किए गए थे. लेकिन जब 2022 आया तो उन टारगेट की बात ही नहीं हुई. आगे हम उसका कुछ-कुछ ज़िक्र करेंगे लेकिन अभी अमृत काल पर ही अटके हुए हैं. क्या पता इस अमृत मंथन से कुछ निकल जाए और कुछ मिल जाए. 25 साल बाद हम 100 साल में प्रवेश करेंगे और उसके लिए दृष्टिकोण निर्धारित किया गया है. इस तरह की बातों का क्या मतलब है. तब तो फिर अमृत काल अनंत काल तक जारी रहे क्योंकि हर पच्चीस, पचास और सौ साल पर भारत की आज़ादी का कोई न कोई लैंडमार्क साल होगा ही.
आबादी का एक बड़ा हिस्सा आर्थिक विषमता के विष का शिकार है.नौजवान बेरोज़गारी का विष पी रहा है. सरकार ने कहा है कि साठ लाख रोज़गार पैदा होगा, लेकिन कैसे होगा और किस तरह का रोज़गार पैदा होगा, इस पर कोई ठोस जवाब नहीं है. केंद्र सरकार में पौने नौ लाख पद खाली हैं. उनकी भर्ती का भी कहीं कोई ज़िक्र नहीं है. इस अमृत काल में जिनके पास नौकरी है वे कम सैलरी का विष पी रहे हैं. आम लोग महंगाई के कारण गरीब हो रहे हैं और गरीबी का विष पी रहे हैं. इतनी सारी विषमताओं और विष भरे माहौल के बीच अमृत काल कब आ गया और भारत कब अमृत काल में प्रवेश कर गया? इस काल में अमृत का कौन सा लक्षण है? पत्रकारों ने जब पूछा कि बजट में मध्यम वर्ग को राहत नहीं मिली. मेडिकल खर्च बढ़ा है लेकिन आयकर में छूट नहीं बढ़ी, बीमा के प्रीमियम पर आयकर छूट नहीं बढ़ा, आयकर में किसी और तरीके की राहत नहीं मिली. इतने सारे नहीं नहीं का जवाब वित्त मंत्री ने जिस तरह से दिया है वाकई लगता है कि हम अमृत काल में हैं और सारे लोग अजर अमर हो चुके हैं.
सवाल था कि मिडिल क्लास को टैक्स में राहत नहीं मिली, तो जवाब मिला कि किसान, लघु उद्योगों और जिन्हें सस्ते मकान मिलने हैं क्या वे मिडिल क्लास नहीं हैं? क्या जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सस्ते मकान मिल रहे हैं, उन्हें भी अब मिडिल क्लास कहा जाएगा? भारत का किसान कब से मिडिल क्लास हो गया? जिन योजनाओं का नाम गिना कर वित्त मंत्री मिडिल क्लास का बता रही हैं प्रधानमंत्री उनमें से कुछ योजनाओं का नाम गिना कर गरीब क्लास का बता रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "इस बजट का एक महत्वपूर्ण पहलू है- गरीब का कल्याण. हर गरीब के पास पक्का घर हो, नल से जल आता हो, उसके पास शौचालय हो, गैस की सुविधा हो, इन सभी पर विशेष ध्यान दिया गया है. इसके साथ ही आधुनिक इंटरनेट कनेक्टिविटी पर भी उतना ही जोर है."
आगे बढ़ने से पहले यहां पर एक ऐतिहासिक घटना का ज़िक्र करना चाहूंगा तो आज घटी है. जिस तरह से हम एंकर लोग अपने अगले दिन के कार्यक्रम का प्रोमो करते हैं कि कल सुबह दस बजे से एनडीटीवी इंडिया पर मेरे साथ बजट का प्रसारण देखिए, उसी तरह से आज प्रधानमंत्री ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देने के बाद बीजेपी के कार्यक्रम का प्रचार कर दिया. ये घटना अमृत काल में प्रवेश करने के बाद घटी है.
"1 फरवरी के दिन मुझे 10 बजे से ही बजट का कवरेज करना है, उसकी तैयारी में यह सब डेटा मिल गया. झांसे वाली हेडलाइन से सावधान रहना है तो कल 10 बजे एनडीटी वी इंडिया पर आ जाईए और हम यू ट्यूब चैनल से भी लाइव रहेंगे."
प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया जो दोपहर में दूरदर्शन पर आई थी "कल भाजपा ने मुझे सुबह 11 बजे बजट और आत्मनिर्भर भारत विषय पर बात करने के लिए निमंत्रित किया है. कल 11 बजे मैं बजट के इस विषय पर विस्तार से बात करूंगा."
मुमकिन है इसके बाद इस अमृत काल में प्रधानमंत्री लाल किले से अपने भाषण के बाद अगली रैली का ही प्रचार कर दें कि इतनी तारीख को इतने बजे मेरी एक रैली है. वहां भी विस्तार से भाषण होगा. अब हम अमृत काल में प्रस्तुत इस बजट की बातों का अलग-अलग कालखंड के हिसाब से मूल्यांकन करते हैं. अमृत काल के बजट को सुनते हुए अपने आस पास दो अगरबत्ती ज़रूर जलाएं ताकि वातारण में धुंआ और फैल जाए. 2022 के बजट में 2022 कहां गया? 2015 में आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में दस बिन्दु तय किए गए थे. इसके तहत बताया गया था कि हर परिवार को छत मिलेगी,शहरों में छह करोड़ घर बनेंगे. हर घर में बिजली होगी, पानी की सप्लाई होगी. शौचालय होगा. सड़क से जुड़ा होगा. हर घर के एक सदस्य को रोज़गार मिलेगा या आर्थिक अवसर में भागीदारी मिलेगी. गरीबी में कमी लाई जाएगी. गरीबी दूर की जाएगी. पौने दो लाख बस्तियों को सड़कों से जोड़ा जाएगा. इसके लिए दो लाख किलोमीटर सड़क बनेगी. हर गांव और हर शहर में मेडिकल सुविधा मिलेगी.
2022 में शहर और गांवों में छह करोड़ घर बनने थे. इतने नहीं बने और टारगेट भी कम कर दिया गया है. दो लाख किमी सड़क बनी या नहीं इसका तो कहीं ज़िक्र ही नहीं है. 2022 में किसानों की आमदनी दो गुनी नहीं हुई. इसकी भी बात गायब कर दी गई. आप देख रहे हैं कि 2022 के टारगेट का क्या हश्र हुआ है फिर भी आपको बताया जा रहा है कि अब विज़न अगले 25 साल का है जब भारत की आज़ादी की सौंवी सालगिरह मनाई जाएगी और उस साल 25 साल पुराने विज़न के पूरे होने का कोई हिसाब नहीं दिया गया तब. 75 साल के टारगेट का पता नहीं, अब सौ साल के टारगेट की तरफ आपको धकेला जा रहा है.
इनकम टैक्स में कुछ नहीं हुआ इसका जवाब हम दे सकते हैं. जब इनकम ही नहीं बढ़ रही है तो इनकम टैक्स में राहत लेकर क्या करेंगे. आजकल ऐसी दलीलें खूब चल जाती हैं. जैसे हम अमृत काल में प्रवेश कर चुके हैं. चारों तरफ सच्चाई की भरमार है और झूठ भारत छोड़कर चीन चला गया है. अब देखिए प्रधानमंत्री ई विद्या स्कीम की बात हुई. कहा गया कि 200 टीवी चैनलों से अलग-अलग भाषाओं में गरीब बच्चों को शिक्षा दी जाएगी ताकि कोरोना के समय पढ़ाई का जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई हो सके. 80 करोड़ लोग गरीब हैं जिन्हें मुफ्त अनाज दिया गया है. 50 करोड़ आयुष्मान योजना के लाभार्थी हैं. ये कार्ड उन्हीं को मिलता है जिनके पास पक्का घर और फ्रिज और फोन नहीं होता है. ज़ाहिर है टीवी भी नहीं होता तो ये चैनल देखेंगे कहां. पर बात वो नहीं है बात ये है कि 2021-22 के बजट में पीएम ई विद्या का बजट 50 करोड़ रखा गया था. यह राशि भी कितनी कम है. अगर हमसे चूक नहीं हुई है जो संशोधित बजट में पचास करोड़ की जगह एक लाख लिखा हुआ है. इस बार के बजट में भी एक लाख का प्रावधान किया गया है.
हमें यकीन नहीं हुआ कि एक लाख दिया गया होगा. सूचक शुभांगी ने कई बार चेक किया फिर सुशील ने चेक किया. 50 करोड़ का बजट बनाकर एक लाख दिया जाता है. क्या सरकार के यही अमृत वचन हैं इस अमृत काल में. एक लाख रुपए का कोई बजट है, अक्षत छिड़कना है या जल छिड़कना है इस पैसे से. इसी तरह से पिछले साल हेडलाइन बन गई है कि सरकार 10,000 FPO बनाएगी. ये किसान उत्पादकों का एक किस्म का सहकारी संगठन है. घोषणा हुई कि 700 करोड़ दिए जाएंगे लेकिन दिया गया 250 करोड़. जुलाई 2021 में इस योजना को कैबिनेट ने मंज़ूरी दी और हेडलाइन छपी कि 2027-28 तक 6965 करोड़ की मदद से 10000 FPO बनाए जाएंगे तो इस हिसाब से हर साल 980 करोड़ खर्च होना चाहिए लेकिन यहां तो पहले साल का बजट ही 250 करोड़ का है. फिर से वही पैटर्न. पांच छह साल के टारगेट का मिलाकर बजट में घोषणा करो ताकि बजट और टारगेट दोनों बड़ा लगे और उसके बाद फिर दोनों को लस्सी में पानी मिलाकर छांछ कर दो.
फर्टिलाइज़र सब्सिडी में भी भारी कटौती हुई है. एक लाख चालीस हज़ार करोड़ से घटाकर एक लाख पांच हज़ार करोड़ कर दिया गया है. खाद्य सब्सिडी भी 2.9 लाख करोड़ से घटाकर 2.1 लाख करोड़ कर दी गई है. इसका असर आम लोगों के जीवन पर पड़ने वाला है. यूपी में चुनाव है तो मार्च तक महीने में दो बार मुफ्त राशन दिया जा रहा है लेकिन इस भयंकर गरीबी में खाद्य सब्सिडी का कम करना बता रहा है कि अमृत काल मे प्रवेश करने के बाद भी भारत की आम जनता को भुखमरी का विषपान करना होगा. यात्रीगण कृपया ध्यान दें. आप अमृत काल में प्रवेश कर चुके हैं. इस बजट में अगले पच्चीस साल का विज़न है. बजट का दस्तावेज़ पढ़ना पड़ेगा तभी पता चलेगा.
सरकार ने चिकित्सा और जन स्वास्थ्य का बजट 74, 820 करोड़ से घटाकर 41, 011 करोड़ कर दिया है. बताया गया है कि टीका की ज़रूरत कम है लेकिन हेल्थ सिस्टम पर तो और खर्च होना चाहिए था. क्या हम इसी तरह अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं.
देश की जनता ने पेट काटकर पेट्रोल और डीज़ल पर उत्पाद शुल्क के रुप में करीब चार लाख करोड़ रुपये भेजे हैं. खुद को गरीब बनाकर जनता ने सरकार का खज़ाना भरा. उसके स्वास्थ्य से लेकर मनरेगा तक बजट इस बजट में कम कर दिया गया है. अनब्लेंडेड पेट्रोल भारत में सबसे अधिक बिकता है. 92 प्रतिशत. जब इस पर अक्टूबर के महीने से 2 परसेंट (rupees) टैक्स लगेगा तो आम जनता पर क्या असर पड़ेगा.
कई लोग इस सवाल से जूझ रहे हैं कि जब क्रिप्टो करेंसी को मान्यता ही नहीं दी है तब 30 परसेंट का टैक्स क्यों लगा दिया. अमृत काल में इस तरह के मंथन से ही अमृत निकलेगा. मंथन करते रहिए. इस तरह आप बजट को देखिए. वित्त मंत्री ने कहा है कि 2021-22 के बजट में 34 लाख 83 हज़ार करोड़ खर्चा प्रस्तावित था फिर उसे संशोधित कर 37 लाख करोड़ कर दिया गया. अब सवाल उठ रहा है कि सरकार पूरा पैसा भी खर्च नहीं कर पाई है.यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि बजट घाटा बढ़ा है क्योंकि सरकार खूब खर्च कर रही है लेकिन डेटा तो नहीं बता रहा है कि सरकार खूब खर्च कर रही है.
इस बजट को आप उम्मीद नाउम्मीद के हिसाब से मत देखिए. मोदी सरकार का यह दसवां बजट है. कम से कम एक दशक पूरे होने के मौके पर कई घोषणाओं का हिसाब किया जा सकता था या दिया जा सकता था. स्मार्ट सिटी का तो ज़िक्र ही बंद हो गया है. पीएम गति शक्ति का ऐलान हुआ है जबकि इन्फ्रा प्रोजेक्ट का ऐलान तो 2019 से हो रहा है. 25 साल आगे देखने के लिए कहा जा रहा है जबकि बजट खुद पांच साल, तीन साल पुराने बजट का माल नया बताकर पेश कर रहा है.
गति शक्ति में सरकार ने कहा है कि 22-23 में 25,000 किमी नेशनल हाईवे बनेगा. नेशनल मोनिटाइज़ेश पाइप लाइन में 26, 700 किमी का एसेट बेचा जाएगा. जितना बना नहीं रहे है उससे ज्यादा बेचा जाएगा. वित्त मंत्री ने यह नहीं बताया कि टोल कितना लिया जाएगा. नितिन गडकरी कहते हैं कि अगले तीन साल में टोल से एक लाख 40 हजार करोड़ की कमाई होने लग जाएगी. क्या इंफ्रा पाइप लाइन का ही नाम पति गति शक्ति कर दिया गया है क्योंकि 2019, 2020, 2021 के भाषणों में चाहे वो लाल किला से दिए गए या बजट में, इन्फ्रा पाइपलाइन का ही ज़िक्र है. जिसे अगले पांच साल में खर्च किया जाना था.
बजट को लेकर एक दिन में विश्लेषण का प्रयास ठीक नहीं है. धीरे-धीरे आराम से समझने की कोशिश होनी चाहिए. आप सभी को मुबारक हो, भारत अमृत काल में प्रवेश कर गया है. 25 साल आगे के विज़न वाला बजट आया है, ज़रूरी नहीं कि इसी साल सारा समझ लिया जाए. इस बजट को संभाल कर रखिए अगले 25 साल तक समझते रहिएगा.
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