गली में आज चांद निकला
पहला डर उसे अपनी भागवान से लगता है और दूसरा भगवान से
हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत आते ही सभी भारतीय पतियों को अपने वार्षिक जीवन बीमा के नवीनीकरण की चिंता सताने लगती है। पहला डर उसे अपनी भागवान से लगता है और दूसरा भगवान से। केवल अक्षरों का ही हेर-फेर है। क्या पता किसके नाराज़ होने से जीवन डोर टूट जाए? दोनों में से एक की नाराज़गी के चलते बेचारे लता दीदी के गीत 'जीवन डोर तुम्हीं संग बाँधी, क्या तोड़ेंगे इस बंधन को जग के तू़फान आँधी रे आँधी' गाने से वंचित रह जाएंगे। साल भर अपनी पत्नी के ऊपर अपने कामकाजी होने का रोब बाँधने वाला पति करवा चौथ आते ही भीगी बिल्ली की तरह उसकी लल्लो-चप्पो में लग जाता है। उसे लगता है कि अगर भाग्यवान कहीं नाराज़ हो गई तो क्या पता विघ्नहर्ता श्रीगणेश उसके वार्षिक जीवन बीमा का नवीनीकरण रद्द न कर दें। गणेश वैसे भी स्त्रियों के प्रिय हैं। भोले बाबा को गुस्से में श्रीगणेश का सिर काटने पर पार्वती की कटु दृष्टि से बचने के लिए तत्काल सर्जरी सीखनी पड़ी थी। आनन-़फानन में उन्होंने श्रीगणेश की गर्दन पर हाथी का सिर लगाकर अपनी जान बचाई थी। वैसे करवा चौथ व्रत कथा में संदर्भ आता है कि पार्वती के पूछे जाने पर स्वयं शिवजी ने उन्हें बताया था कि करवा चौथ का व्रत करने से गृहस्थी की छोटी-मोटी विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसीलिए तो उन्हें भोले बाबा कहते हैं जो स्वयं ही दूसरे की बला अपने सिर डाल लेते हैं। क्या हलाहल कम था, जो उसके बाद यह सायनाड भी गटक लिया। कई बार लगता है कि अगर करवा चौथ व्रत पतियों को करना होता तो शायद ही किसी पत्नी के वार्षिक जीवन बीमा का नवीनीकरण हो पाता।