धरती के स्वर्ग कश्मीर में पर्यटकों की बढ़ती आमदरफ्त से निकलती शांति की धुन
कश्मीर में पर्यटक
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। संयम श्रीवास्तव। कश्मीर (Kashmir) में बढ़ती पर्यटकों (Tourist) की संख्या की खबरें दिल को सुकून पहुंचा रही हैं. आज देश के 2 राष्ट्रीय अखबारों ने कश्मीर की पॉजिटिव खबर छापी. एक हिंदी अखबार ने अपने पहले पन्ने पर ही बताया कि कश्मीर पर्यटकों से गुलजार हो रहा है तो दूसरी ओर एक इंग्लिश डेली ने अपने संपादकीय पेज पर एक संपादक का यात्रा वृतांत छापा जिसे पढ़कर कश्मीर में पर्यटकों की आमदरफ्त में शांति की गूंज सुनाई दी. गोला-बारूद की आवाज, सैनिकों की पदचाप के बीच सुरक्षा बलों के साथ स्थानीय नागरिकों के लहूलुहान तस्वीरों के बीच ऐसी खबरें हमें जब कश्मीर से आ रही हैं तो कृपया इसे अपनी राजनीतिक पसंद के चलते दरकिनार न करें. इनका महत्व समझें और अपनी ओर से खुद एक शांति का दिया जलाने की तैयारी करें.
बस ये सोचिए ये नया कश्मीर है यहां जितनी हिंसा हो चुकी है उतना ही प्यार देने को बेताब है यह जगह. मतलब हो सके तो खुद या औरों को कश्मीर जाने के लिए प्रेरित करें. कश्मीर में शायद स्थाई शांति इसी से आ सकेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ट्वीट करके कश्मीर घूमने के लिए प्रेरित कर चुके हैं. पिछले दिनों राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने बताया था कि वैश्विक महामारी के दौर में भी कश्मीर में पर्यटन को घरेलू पर्यटकों का भरपूर सहयोग मिल रहा है. उन्होंने बताया कि जनवरी 2019 में जहां कश्मीर में केवल 3700 पर्यटकों का आगमन हुआ वहीं जनवरी 2020 में यह संख्या 19000 हजार पहुंच चुकी है. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि करीब 26 फिल्मों की शूटिंग कश्मीर में चल रही है. जो कश्मीर के लिए बहुत उत्साहपूर्ण स्थित है.
अब कश्मीर के सभी जिलों में घूम सकते हैं पर्यटक
खबर आ रही है कि 3 दशक में पहली बार कश्मीर के सभी जिलों में घूमने की आजादी मिलने जा रही है. अभी तक पर्यटकों को कश्मीर में श्रीनगर, बडगाम, बारमूला और अनंतनाग ही जाने का मौका मिलता था. अब आतंकवाद से ग्रस्त जिलों में भी सैलानियों को घूमने का मौका मिलने वाला है. कूपवाड़ा का तंगधार, बंगस , बांदीपोरा का गुरेज, पुलवामा का शिकारगाह जैसे दुनिया के सबसे खूबसूरत स्थानों का हम दीदार कर सकते हैं. कुछ सालों से इन जिलों का नाम आतंकवादियों से मुठभेड़ के चलते ही मीडिया में सुनने को मिलता था. बताया जा रहा है कि गुलमर्ग में एक महीने से पहले से सभी होटल फुल हैं. श्रीनगर में भी 40 परसेंट होटल एडवांस बुक हैं. कोरोना महामारी और छिटपुट हिंसा की आती खबरों के बीच भी लोग कश्मीर में जा रहे हैं तो समझ सकते हैं कि ऐसे ही मुगल बादशाह जहांगीर ने इस जगह को धरती का स्वर्ग नहीं कहा होगा.
घाटी में टूरिज्म को मिल रहा है बढ़ावा
घाटी में टूरिज्म के लिए सबसे बेहतर समय अप्रैल से नवंबर के बीच माना जाता है. अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद के दोनों साल कश्मीर के लिए बहुत अच्छे नहीं थे फिर भी पर्यटकों का पहुंचना संतोषप्रद रहा है. इस क्रम को बनाए रखने के लिए स्थानीय प्रशासन और केंद्र लगातार प्रयास जारी है. 7 ट्रैकिंग रूट को मंजूरी दी गई है . पर्यावरण और वन्य जीवों में रुचि रखने वालों की बढ़ती संख्या के चलते अब वन विभाग के गेस्टहाउस और इन्स्पेक्शन हाउस की बुकिंग भी टूरिस्ट करा सकेंगे. 1 मई से इस तरह के करीब 29 रेस्ट हाउसों की बुकिंग शुरू हो रही है. बताया जा रहा है कि जुलाई तक इनकी संख्या 58 कर दी जाएगी.
आतंकवादियों के खिलाफ हुई कमरतोड़ कार्रवाई
इन्स्टिट्यूट ऑफ कन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल 140 आतंकवाद की घटनाओं में करीब 321 लोगों की जान गई है. जिसमें 232 आतंकवादी मारे गए हैं जबकि 56 सुरक्षा बलों के जवान और 33 निर्दोष कश्मीरियों की भी जान गई है. आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादे नुकसान आतंकवादियों का ही हुआ है. 370 की समाप्ति के बाद कोई बड़ी कार्रवाई में आतंकवादी सफल नहीं हुए हैं. इसका असर देश की जनता में ही नहीं कश्मीर के लोगों भी हैं. कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा आम कश्मीरियों से सप्ताह में एक दिन मिलते हैं और उनकी समस्याओं का तत्काल समाधान करते हैं. सभी पंचायतों में एक कंप्लेंट बाक्स रखवाए गए हैं. बुधवार के दिन प्रखंड दिवस कार्यक्रम शुरू किया गया है जिसमें आम कश्मीरियों की समस्याओं का तुरंत समाधान होता है. विश्वास हासिल करने की इन पहल का ही नतीजा है कि लोग पर्यटकों का तहेदिल से स्वागत कर रहे हैं.
कश्मीर के विकास का बजट बढ़ा
केंद्र सरकार ने इस साल के बजट में कश्मीर में पर्यटन के लिए 786 करोड़ आवंटित किए हैं जो पिछले साल 509 करोड़ रुपये से करीब डेढ़गुना है. इसके साथ ही कश्मीर में इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 408 करोड़ दिए गए जो निश्चित रूप से पर्यटकों के आवागमन को सुगम बनाएगा. इसके साथ ही प्रदेश में आर्थिक-सामाजिक- सांस्कृतिक विकास के लिए भी 1.08 लाख करोड़ रुपये बजट जारी कर केंद्र ने अपनी मंशा जता दी थी.
आईएएस और संघ लोक सेवा आयोग की अन्य परीक्षाओं में कश्मीरी युवाओं बढ़ती भागीदारी, सेना और पुलिस की भर्तियों में उमड़ने वाली भीड़ यह बताने के लिए काफी है कि यहां के लोग शांति चाहते हैं. पत्थरबाजी की घटनाएं तो घाटी के लिए इतिहास हो चुकी हैं. देश के बड़े शहरों से घाटी के लिए सीधी उड़ाने शुरू होने से माहौल काफी बदल चुका है.