खतरा टला नहीं है
भारत में कोरोना संक्रमण का रोजाना का आंकड़ा घट कर अब एक हजार सात सौ इकसठ रह गया है। संक्रमण से होने वाली रोजाना मौतों की संख्या भी एक सौ सत्ताईस पर आ गई है।
Written by जनसत्ता: भारत में कोरोना संक्रमण का रोजाना का आंकड़ा घट कर अब एक हजार सात सौ इकसठ रह गया है। संक्रमण से होने वाली रोजाना मौतों की संख्या भी एक सौ सत्ताईस पर आ गई है। यह वाकई राहत की बात है। दो साल बाद पहली बार हम सामान्य स्थिति में आ पाए हैं। लेकिन इसका यह मतलब भी निकालना सही नहीं होगा कि महामारी चली गई है। सच तो यह है कि खतरा बरकरार है।
चिंता की बात ज्यादा इसलिए भी है कि केरल में हालात अभी भी गंभीर हैं। देश में चौबीस घंटे के दौरान संक्रमण के जो एक हजार सात सौ इकसठ मामले आए, उनमें से सात सौ उन्नीस मामले अकेले केरल से हैं। इसी तरह चौबीस घंटे में संक्रमण से देश में जो एक सौ सत्ताईस लोग मरे, उनमें एक सौ अठारह मौतें केवल केरल में हुर्इं।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि केरल के हालात चुनौतीपूर्ण हैं। हैरानी इसलिए भी होती है कि देश में केरल की स्वास्थ्य सेवा को एक आदर्श माडल के रूप में देखा जाता रहा है। महामारी से निपटने में भी केरल सरकार ने जिस तरह से काम किया, उसकी मिसाल सब जगह पेश की जाती रही है। इसलिए अगर वहां हालात बिगड़े हुए हैं तो यह दूसरे राज्यों के लिए भी खतरे की बात तो है ही।
पिछले दो साल में देश महामारी की तीन लहरें देख चुका है। दूसरी लहर के दौरान भारत दुनिया के उन देशों में शामिल था, जहां संक्रमणसे सबसे ज्यादा तबाही हुई। अमेरिका और ब्राजील के बाद सबसे ज्यादा लोग भारत में मरे। हालांकि तीसरी लहर में कहर इसलिए ज्यादा नहीं बरपा कि आबादी के बड़े हिस्से को टीका लग चुका था और पिछली गलतियों से सरकारों और लोगों ने सबक भी लिए।
इसलिए ज्यादा मौतें नहीं हुर्इं। पर अब चौथी लहर की बात हो रही है। हालांकि विशेषज्ञ चौथी लहर को लेकर बहुत चिंतित नहीं हैं। भारत के ज्यादातर राज्यों में टीकाकरण का काम तेजी से चल रहा है। लेकिन अब एक मुश्किल यह है कि जिन लोगों ने एक साल पहले टीके लगवाए थे, उनका असर अब कितना रह गया होगा, कोई नहीं जानता। ऐसे में अगर प्रतिरोधक क्षमता कम पड़ने लगी तो फिर से लोग संक्रमण के शिकार हो सकते हैं। यह बड़ा खतरा है।
इसे देखते हुए ही टीकाकरण पर बने राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह ने कोविशील्ड की दूसरी खुराक समय घटा कर आठ हफ्ता करने की सिफारिश की है। इसके अलावा अठारह साल से ऊपर वाले सभी लोगों को बूस्टर खुराक देने पर भी विचार कर रही है। इसमें कोई संदेह नहीं कि संक्रमण से बचना है तो टीकाकरण और बचाव के उपायों पर ही जोर देना होगा।
दुनिया के कुछ देशों में एक बार फिर से बिगड़ते हालात डराने वाले हैं। चीन में फिर से कोरोना संक्रमण फैल रहा है और कुछ शहरों में पूर्णबंदी भी लगा दी गई। फ्रांस, इटली और जर्मनी में भी पिछले हफ्ते जिस तेजी से लाखों मामले अचानक आ गए, उससे लगने लगा कि कहीं पहले जैसे हालात तो नहीं बन रहे! दक्षिण कोरिया और हांगकांग में भी स्थिति विस्फोटक है। अभी भी पूरी दुनिया में संक्रमण के कुल मामलों में इकतालीस फीसद मामले एशिया से हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एशिया में एक बार फिर संक्रमण फैलने का खतरा बताया है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी अब सामान्य दिनों की तरह शुरू होने जा रही हैं। इसलिए खतरा कहीं ज्यादा है।