संसार में सबसे बड़ा, सबसे महान, सबसे ऊपर यदि कोई है, तो वह है परमात्मा

हम सबके भीतर एक छोटापन होता है। सामान्य बातचीत में इसे टुच्चापन भी कहते हैं

Update: 2022-03-25 08:36 GMT
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: 
हम सबके भीतर एक छोटापन होता है। सामान्य बातचीत में इसे टुच्चापन भी कहते हैं। यह मन के किसी कोने में दबा रहता है। जब भी कोई बड़ा या अच्छा काम करने निकलें तो सबसे पहले इसे नियंत्रित कर लें, वरना अपने अच्छे खासे इरादे बिगाड़ बैठेंगे। हमें सिखाया भी जाता है कि सपने बड़े देखो, लक्ष्य बड़े रखो, इरादे विशाल होना चाहिए। मतलब जीवन में अपने से बड़े की ओर चलना चाहिए।
कुछ नाम ऐसे छांट लें जिन्होंने जीवन के व्यावसायिक, राष्ट्रीय, सामाजिक, पारिवारिक और निजी क्षेत्र में ऊंचाइयां छुई हैं और आपके लिए आदर्श बन सकते हैं। ये वे बड़े लोग होंगे जिनकी तरफ आपको चलना है। उनके जैसा नहीं होना है। नकल मत करिए, पर कदम उठाइए और बढ़िए उनकी ओर।
इस संसार में सबसे बड़ा, सबसे महान, सबसे ऊपर यदि कोई है, तो वह है परमात्मा। इसलिए सबसे पहले परमात्मा की ओर चलिए, फिर इन पांच क्षेत्रों के जो आदर्श चुने हैं, उनकी ओर बढ़ें। यदि ठीक से छोटे से बड़े की ओर चल दिए तो भीतर का टुच्चापन या तो चुपचाप पड़ा रहेगा या सपोर्ट करने लगेगा।
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