तान्या वेल्स: ब्रिटिश गायिका के दिल में धड़कता है भारतीय संगीत
कानों में लटकते लंबे इयरिंग और शादी-पार्टी में पहने जाने वाले हिंदुस्तानी परिधान में सजीधजी सी एक बेहद खूबसूरत महिला स्टेज पर माइक से मुखातिब
कानों में लटकते लंबे इयरिंग और शादी-पार्टी में पहने जाने वाले हिंदुस्तानी परिधान में सजीधजी सी एक बेहद खूबसूरत महिला स्टेज पर माइक से मुखातिब है. संगीत की स्वर लहरियों के बीच खनकती आवाज़ मे माधुरी दीक्षित की फिल्म आजा नचले का एक सेमी क्लासिक गीत गा रही है, डूब कर गा रही है 'ओ रे पिया, ओ रे पिया'… उड़ने लगा क्यूं मन बावरा रे, आया कहां से ये हौसला रे…' गौर से देखने पर पता चलता है. अरे, ये तो हिंदुस्तानी नहीं है, अंग्रेज जैसी दिख रही है.
जी हां, ये ब्रिटिश-स्विश गायिका तान्या वेल्स है. 'ओ रे पिया' में तान्या राहत फतेह अली खान के गाए गीत को गाते हुए उनकी तरह ही सुरों को साध रही है. बेशक संगीत के ज्ञाता दोनों की गायिकी में फर्क ढूंढ लेंगे, सही ढूंढेंगे, लेकिन नई दिल्ली के 'जश्न-ए-रेख़्ता' की महफिल में मौज़ूद संगीत प्रेमी इस सबसे बेखबर तन्मयता से गायिकी में डूबी तान्या को सिर्फ दाद और गहरा प्यार देने को लालायित हैं. तान्या की खलिश भरी नमकीन आवाज़ का जादू श्रोताओं पर पूरी तरह तारी जो है.
अपनी हर उपलब्धि का श्रेय अपने नागपुर वाले गुरूजी को देने वाली तान्या हो भले ही अंग्रेजन, मगर उसके दिल में हिंदुस्तानी संगीत ही धड़कता है. एशिया महाद्वीप का मिला जुला संगीत.
तान्या वेल्स और उनका बैण्ड सेवन आइज़ संगीत की दुनिया में किसी पहचान का मोहताज़ नहीं है. इस ब्रिटिश-स्विस गायिका ने अपना बचपन हिमाचल प्रदेश में बिताया है, जहां वो अपनी बहन के साथ एक इंटरनेशनल स्कूल में तालीम ले रही थीं. यहां रहकर उन्होंने ना सिर्फ हिंदी, संस्कृत, मराठी, पंजाबी जैसी भाषाएं सीखीं, बल्कि दक्षिण भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली कुचिपुडि में भी अपने हाथ आज़माए.
इस दौरान उन्होंने भजन गायन, कव्वाली सहित भारतीय संस्कृति से व्यापक संसर्ग स्थापित किया. इस दौरान उनका परिचय भारतीय शास्त्रीय संगीत से हुआ, जो बाद के सालों में उन्हें ब्रिटेन से फिर वापस हिंदुस्तान लेकर आया. इस बार उनकी मंजि़ल थी नागपुर. जहां उन्होंने अपने गुरू नागपुर के पंडित प्रभाकर धाकड़े से संगीत की बारीकियां सीखीं. वे कहती हैं ' गुरूजी ने मुझे गज़लों से परिचित कराया.'
मेंहदी हसन उनके पसंदीदा गज़ल गायक हैं, जिनकी गज़ल 'दुनिया किसी के प्यार में जन्नत से कम नहीं' बहुत खूबसूरती से गाती हैं. तान्या हिंदी या उर्दू में फ्लुएंटली बात तो नहीं कर पातीं लेकिन जब वो गज़ल गाती हैं तो उर्दू का उनका तलफ्फुज़ विस्मित करता है. यही हाल तब होता है जब 'वो ओ रे पिया' सुनाती हैं. उनका हिंदी का प्रोनाउनसिएशन भी उतना ही साफ है, जितना उर्दू का या अंग्रेजी का.
'आज जाने की जि़द न करो …' यह एक और गीत है जो तान्या के गायन की पहचान बना है. यू ट्यूब पर इसके 2 मिलियन्स से ज्यादा व्यूज़ का दावा किया जाता है. वैसे तो यह गीत पाकिस्तानी है लेकिन बॉलीवुड फिल्मों से लेकर हिंदुस्तानी एलबम तक में इसका इस्तेमाल हुआ है कि यह एक तरह से भारतीय गीत ही हो गया है. राग यमन कल्याण में निबद्ध गज़ल स्टाइल में रचित यह गीत सीमाओं का भेद मिटाकर पूरे उपमहाद्वीप में खूब सुना जाता है.
यह एक पाकिस्तानी कवि फैयाज़ हाशमी की नज़्म है जिसकी धुन पाकिस्तान के ही सोहेल राणा ने रची है. यह नज़्म पाकिस्तान के साथ-साथ हिंदुस्तान में भी भरपूर लोकप्रिय है. आशा भोसले ने लव सुप्रीम एलबम (2006) में इसे गाया है. मीरा नायर की फिल्म मानसून वेडिंग (2001) में इसे यूज़ किया गया है. ए आर रहमान ने इस गीत को एमटीवी अनप्लग्ड सीज़न 2 में इस नंबर को लिया है. यह शंकर टंकर के द श्रुति बाक्स में भी शामिल है जिसे रोहिणी रावदा ने गाया है.
इसके अलावा, अरिजीत ने इसे महेश भट्ट के सीरियल 'नामकरण' के लिए गाया है. प्रीतम ने इस गीत को 'ए दिल है मुश्किल है' फिल्म के लिए शिल्पा राव से गवाया है. उनकी गायी पापुलर गज़ल में रफ्ता रफ्ता वो मेरी हस्ती के सामां हो गए, दुनिया किसी के प्यार में जन्नत से कम नहीं, गुलों में रंग भरे, शामिल हैं. बेशक उन्होंने गज़लें गाई हैं लेकिन वे इसमें बंधने को कतई तैयार नहीं है, उनके संगीत का दायरा बहुत व्यापक है. उन्हें भक्ति संगीत सुनना बहुत पसंद है, गाती भी हैं. 'कौन गली गयो श्याम रे' गाते हुए उन्हें सुनना बहुत भाता है.
अपने पति ब्राइजिलाई गिटारवादक पाउलो विनीसियस के साथ मिलकर उन्होंने अपने बैण्ड सेवन आइज़ की स्थापना की. इस बैण्ड को जैज़ म्युजि़क के रूप में डिस्क्राइब किया जाता है लेकिन यह अपने आप में विविध संस्कृतियों, भाषाओं और संगीत शैलियों को समाए हुए है. सेवन आईज़ की रचनाएं कई शैलियों का मिश्रण हैं, जैज़, ब्राज़ीलियाई, सूफी हिंदुस्तानी संगीत और पश्चिमी शास्त्रीय संगीत आदि. बैण्ड और तान्या दोनों ने महत्वपूर्ण मौकों और खास जगहों पर परफारमेंस दिए हैं.
जिनमें संयुक्त राष्ट्र-न्यूयार्क, यू एन जिनेवा, ईएफजी लंदन-जैज़ फेस्टीवल, टेडएक्स-मलेशिया आदि शामिल हैं. इसके अलावा जश्न-ए-रेख़्ता उत्सव–नई दिल्ली, फैज़ इंटरनेशनल-लाहौर, सहित अनेक कार्यक्रमों में उन्होंने अपने जलवे बिखेरे हैं. दुनिया भर के विविध संगीत और अलग-अलग भाषाओं को साथ लाने का श्रेय सेवन आइज़ बैण्ड और तान्या को दिया जाता है.
बैण्ड के दो स्टुडियो एलबम द सीड एण्ड सेंसस को यूरोप और अमेरिका सहित दुनिया के दूसरे हिस्सों से भी भरपूर सराहना और प्यार मिला है. तान्या के पति पाउलो दुनिया के शीर्ष गिटारवादकों में शामिल किए जाते हैं. उन्होंने दुनिया के शीर्ष शास्त्रीय गिटारवादकों के साथ संगीत सीखा है. संगीत समीक्षकों की नज़र में वे एक उत्कृष्ट गिटारवादक माने जाते हैं. पाउलो और तान्या मिलकर संगीत के दुर्लभ खजाने की खोज में अनवरत जुटे हैं.
तान्या को उनकी लचीली और अलग तरह की गायन शैली के चलते सितारवादक अनुष्का शंकर (कांस फिल्म समारोह 2014), साउल (आत्मा) सिंगर जोस स्टोन (मामा स्टोन्स 2013), अरबी गायक नताचा एटलस (रोनी स्कॉट्स 2016) के साथ प्रदर्शन का मौका मिला है. एआर रहमान और नितिन साहनी जैसे स्थापित संगीतकारों के लिए उन्होंने स्वर दिया है; इंटरनेशनल परफारमेंस रिसर्च में डबल मास्टर्स (डिस्टिंक्शन के साथ) प्राप्त तान्या अब संगीत और स्टोरी टेलिंग के सहारे संस्कृतियों के बीच की दूरी कम करने का जरूरी उपक्रम कर रही है. शुभकामनाएं.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
शकील खान , फिल्म और कला समीक्षक
फिल्म और कला समीक्षक तथा स्वतंत्र पत्रकार हैं. लेखक और निर्देशक हैं. एक फीचर फिल्म लिखी है. एक सीरियल सहित अनेक डाक्युमेंट्री और टेलीफिल्म्स लिखी और निर्देशित की हैं.