तांडवी तेज हुंकार उठा है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म किये जाने के बाद राज्य की राष्ट्रीय

Update: 2021-06-29 14:14 GMT
तांडवी तेज हुंकार उठा है
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आदित्य चौपड़ा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म किये जाने के बाद राज्य की राष्ट्रीय मुख्यधारा में शामिल राजनीतिक दलों को इस बात का अहसास हो चुका है कि अब 370 की वापसी नहीं हो सकती। चुनावी राजनीती के लिए भले ही वह कुछ भी बयानबाजी करते रहें। अनुच्छेद 370 की वापसी असंभव है। इस सत्य को उन्होंने स्वीकार भी कर लिया है। जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह ने कश्मीर मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक कर कश्मीरी राजनीतिक दलों से दिल खोलकर बात की उससे जम्मू कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा देने की उम्मीद काफी बढ़ी है। राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुरूआत होना भी तय है। राज्य में शांति बहाली को लेकर भी रोडमैप तैयार कर लिया गया। इसी बीच आतंकी वारदातें तेज हो गई हैं। साफ है की पाकिस्तान और उसके अन्य प्रतिष्ठानों को तकलीफ हुई। जिस तरह से जम्मू में एयरफोर्स स्टेशन के टैक्निकल एरिया पर ड्रोन से हमला किया गया। वह पूरी तरह से सुनियोजित था। यह हमला भारतीय सुरक्षाबलों को एक चुनौती है। इस घटना के 24 घंटे के भीतर ही आतंकियों ने कश्मीर के पुलवामा में पूर्व एसपीओ फैयाज अहमद, उनकी पत्नी और बेटी की गोली मार कर हत्या कर दी। फैयाज का बेटा सेना में है। इससे पहले भी आतंकियों ने श्रीनगर के बाहरी इलाके नौगाम में पुलिस इंस्पैक्टर परवेज अहमद डार की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी थी जब वह नमाज अदा करने जा रहे थे। गत 17 जून को जम्मू-कश्मीर के जवान जावेद अहमद की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह जवान एक जज के पीएसओ के तौर पर नियुक्त था। यह घटनाएं पाकिस्तान की बौखलाहट और उसके संरक्षण में पल रहे आतंकी संगठनों की हताशा का ही नतीजा है। 14 फरवरी 2019 के पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारतीयसेना की बालाकोट आतंकी शिविर पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान को पूरी दुनिया में शर्मसार होना पड़ा ​था। उसके बाद 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम ने कश्मीर मुद्दों ने पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर दिया। पाकिस्तान पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से खुद को अलग करने और आतंकी ढांचा नष्ट करने का अंतर्राष्ट्रीय दबाव लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका की सहायता बंद होने से पाकिस्तान भीख का कटोरा लेकर चीन के पास पहंुचा और पाकिस्तान के हुक्मरानो ने अपने देश को चीन के हाथों में गिरवी रख दिया।


जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सुरक्षाबलों ने आतंकवाद के सफाये के लिए सफल अभियान चलाया और एक के बाद एक आतंकवादी मार गिराये। जिसके चलते वहां आतंकी कमांडरों की उम्र कुछ महीने ही रह गई। आतंकवाद अब घाटी के कुछ इलाकों में ही सीमित होकर रह गया। राज्य में विकास कार्यों ने गति पकड़ी है और जनजीवन सामान्य हो रहा है। अब जबकि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की कवायद शुरू होने वाली है तो पाकिस्तान को यह सहन नहीं हो रहा।

हम कई दशकों से देख रहे हैं कि जब भी भारत और पाकिस्तान में शांति वार्ता का खाका तैयार होता था आतंकी संगठन हिंसक वारदातें कर देते थे और शांति वार्ता पटरी से उतर जाती थी। पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी ताकतें नहीं चाहती कि भारत-पाक में शांति हो।

आतंकवाद और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकते इसलिए भारत को सख्त स्टैंड लेना पड़ा। हमारे जवानों का खून बहाने वाले पाकिस्तान से वार्ता कैसे कर सकते हैं। अब जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली कोे मोदी सरकार हर संभव प्रयास कर रही है और वहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू करने के लिए राजनीतिक दल तैयार तो पाकिस्तान बौखला उठा है। बचे-खुचे आतंकवादियों ने फिर से अपनी साजिशों को अंजाम देना शुरू कर दिया है। आतंकी जम्मू-कश्मीर के हालात को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उधर पाकिस्तान की हालत काफी खराब है। एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान को ग्रे सूची में ही रखा गया है। पाकिस्तान की आर्थिक हालत बहुत खस्ता है। प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तान की सेना जनरल कमर जावेद बाजवा की स्तिथि भी काफी कमजोर हो रही है। कश्मीर मुद्दे पर कमर जावेद की नीतियों से नाखुश पाकिस्तान की सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का एक गुट उनके खिलाफ बगावत पर उतर आया है। इमरान खान सेना की कठपुतली ही है। दरअसल पाकिस्तान की सियासत भारत विरोध पर आधारित है। जब भी वहां हुक्मरान कमजोर होते हैं तो कश्मीर का राग छोड़ देते हैं। पाकिस्तान की सत्ता तक पहंुचने का मार्ग कश्मीर मुद्दा ही रहा है। कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर इमरान खान ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हंगामा जरूर मचाया लेकिन उन्हें किसी ने मुंह नहीं लगाया। इमरान खान और कमर बाजवा को उम्मीद थी कि नरेंद्र मोदी और जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों में वार्ता विफल होगी लेकिन बैठक सफल रही। इससे भी इमरान को घरेलू राजनीति के लिए कोई आक्सीजन नहीं मिली। अब पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आकाओं ने जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अवरुद्ध करने के लिए फिर से साजिशें रचनी शुरू कर दी हैं।

कभी-कभी शांति के पौधों को सींचने के लिए रक्त की आवश्यकता होती है। पाकिस्तान बाज नहीं आ रहा इसलिए उस पर फिर सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत है। निर्दोषों की हत्या करने वाले पाकिस्तान को धरती के ​नक्शे पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।

निर्जर पिनाक शिव का टंकार उठा है,

हिमवंत हाथ में ले अंगार उठा है।।

तांडवी तेज फिर से हुंकार उठा है,

लोहित में था जो गिरा कुठार उठा है।

संसार धर्म की नई आग देखेगा,

मानव का करतल पुनः नाग देखेगा।।
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