क्रिप्टो पर शक

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने फिर चेताया है

Update: 2022-12-22 05:57 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वबेडेस्क | भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने फिर चेताया है कि अगला आर्थिक संकट क्रिप्टोकरेंसी की वजह से पैदा होगा। हालांकि, यह आशंका नई नहीं है। शक्तिकांत दास हमेशा से ही क्रिप्टोकरेंसी के मुखर विरोधी रहे हैं। अनेक मौकों पर उन्होंने इशारा किया है कि भारत की वित्तीय स्थिरता के लिए डिजिटल मुद्रा संकट पैदा कर सकती है। यही कारण है कि भारत में केंद्रीय बैंक ने क्रिप्टो क्षेत्र के अनुकूल माहौल नहीं बनाया है। क्रिप्टो के प्रति सख्त रुख की वजह से इसका विस्तार भारत में ज्यादा तेजी के साथ नहीं हो सका है। दुनिया के अनेक देशों में क्रिप्टो पर लोगों का विश्वास नहीं जमा है और उस पर निवेश करने वालों की संख्या भी कम है। इसमें खास बात यह है कि जब केंद्रीय बैंक ने एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा की ओर कदम बढ़ाया है, तब भी शक्तिकांत दास के विचार में बदलाव नहीं आया है। 'बीएफएसआई इनसाइट समिट 2022' में बोलते हुए उन्होंने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी का कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है और यह भारत की वित्तीय स्थिरता के लिए भारी जोखिम पैदा करता है।

वाकई, किसी भी वस्तु या मुद्रा का मूल्य तय करने का काम बाजार करता है और एक हाथ से दूसरे हाथ में जाते हुए मूल्य का स्पष्ट होना जरूरी है। यह अभी सवाल है कि क्रिप्टो का मूल्य क्या है और वह कैसे तय होगा? लोग धन खर्च करके क्रिप्टो खरीदते हैं और क्रिप्टो की कीमत पिछले वर्ष में बहुत बढ़ी है, लेकिन क्या यह बढ़त जारी रहेगी? क्या विश्व स्तर पर गैर-मान्यता प्राप्त इस मुद्रा का संभावित मूल्य बना रहेगा? यह मुद्रा डूबी, तो कौन देश या कौन सा केंद्रीय बैंक इसकी जिम्मेदारी लेगा? अगर क्रिप्टो एक उत्पाद है, तो उसे बनाने वाली कंपनी क्या इसे किसी दिन वापस ले सकती है या क्या वह कंपनी बंद हो सकती है? कंपनी बंद हुई, तब क्या होगा? आरबीआई गवर्नर इसे 100 प्रतिशत सट्टा गतिविधि मानते हैं, तो कोई आश्चर्य नहीं। उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी के एक दिग्गज खिलाड़ी एफटीएक्स का हवाला दिया है। ध्यान रहे, हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी का एक एक्सचेंज एफटीएक्स तबाह हुआ है। एक झटके से निवेशकों के चालीस अरब डॉलर का सफाया हो गया है। एफटीएक्स के 30 वर्षीय मालिक सेमुअल बैंकमैन फ्राइड पर अरबों डॉलर की चोरी का आरोप लगा है। अमेरिका इसे अपने इतिहास की सबसे बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी में से एक मान रहा है। सेमुअल को गिरफ्तार कर लिया गया है और बहामास से अमेरिका लाया जाना है। इस प्रकरण का उदाहरण देते हुए शक्तिकांत दास ने कहा है कि एफटीएक्स प्रकरण के बाद मुझे नहीं लगता कि हमें कुछ और कहने की जरूरत है।
यह सवाल अभी भी बरकरार है कि क्रिप्टोकरेंसी से क्या सार्वजनिक फायदा होता है? तो क्या इन मुद्राओं को प्रतिबंधित कर देना चाहिए? इन मुद्राओं से खतरा है, तो रिजर्व बैंक भी क्यों ऐसी ही मुद्रा के विस्तार की ओर बढ़ रहा है? वस्तुस्थिति यह है कि सरकार ने क्रिप्टो को मान्यता तो नहीं दी है, लेकिन इस पर वह 30 प्रतिशत विशेष कर और जीएसटी अलग से वसूलती है। अगर ज्यादा जोखिम है, तो क्रिप्टो को अनियमित ढंग से भी क्यों चलने दिया जाए? इसके अलावा भारत में जिस ई-रुपये की शुरुआत हुई है, उसे वैध व तार्किक ढंग से चलाना होगा। क्रिप्टो से यह डिजिटल मुद्रा अलग और फायदेमंद रहे, किसी निवेशक को नुकसान न हो, पूरे विश्वास के साथ इससे लेन-देन हो, तो हमारा रिजर्व बैंक एक मिसाल पेश कर पाएगा।


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