Story of Delhi : सरदार सोभा सिंह की बहू को क्यों छोड़ना पड़ा अपना घर, जिनके दामाद बने बोरिस जॉनसन

उसका नाम दिलीप कौर था, पर उसे सब दीप कौर ही कहते थे

Update: 2022-04-25 13:42 GMT

विवेक शुक्ला

उसका नाम दिलीप कौर था, पर उसे सब दीप कौर ही कहते थे. देश के बंटवारे (Partition of India) के समय उसका परिवार सरगोधा (Pakistan) से दिल्ली आया. दिल्ली आते ही दीप कौर ने जिमखाना क्लब में जाकर टेनिस खेलना शुरू कर दिया. तब उसकी उम्र 14 साल थी. उसके पिता मशहूर डॉक्टर थे. उनके दिल्ली और देश के मशहूर बिल्डर सरदार सोभा सिंह से संबंध थे. सोभा सिंह अपने सबसे छोटे पुत्र दलजीत सिंह के लिए किसी सुयोग्य कन्या की तलाश में थे जो उनके परिवार की बहू बन सके. कहते हैं, सोभा सिंह को दीप कौर के बारे में पता चला तो उन्होंने उसके पिता से ऱिश्ते की बात की और बात बन भी गई.
आए थे जिन्ना भी शादी में
अब दलजीत सिंह, जो अपने बड़े भाई खुशवंत सिंह की तरह से लिखने-पढ़ने में रुचि लेते थे, और दीप कौर की शादी हो जाती है. साल था 1950 का. तब दिलीप कौर की उम्र सत्रह साल की थी और दलजीत सिंह की 27 साल. यानी दोनों में दस साल का अंतर था. सोभा सिंह ने शादी की रिसेप्शन अपने 1 जनपथ के भव्य बंगले में दी. उसमें सैकड़ों असरदार और पैसे वाले मेहमान मौजूद थे. इसी बंगले में खुशवंत सिंह की 1939 में शादी हुई थी. उसमें मोहम्मद अली जिन्ना भी मौजूद थे. अब इस बंगले से सोभा सिंह ट्रस्ट चलता है. उनकी नेमप्लेट भी यहां लगी है.
दीप कौर की पुत्री मरीना व्हीलर ने अपनी किताब Homestead: My Mother, Partition and the Punjab में लिखा है कि मेरी मां के पहले पति (दलजीत सिंह) सियासत में बुलंदियां को छूना चाहते थे. उन्हें बाकी दुनिया से कोई मतलब नहीं था. कुछ साल अपने पति के मां-बाप के घर में रहने के बाद मेरी मां वहां से एक दिन एक बैग लेकर निकल गई.
कौन थी वह सोभा सिंह की
दरअसल दीप कौर और दलजीत सिंह में कभी तालमेल नहीं बैठा. दोनों में बातचीत भी कम होती थी. इसलिए दोनों में दूरियां बढ़ने लगीं. इनमें पति-पत्नी वाले संबंध भी नहीं बने. बहरहाल, भारत के 1950 के प्रोग्रेसिव समाज में भी किसी बहू के अपने पति के घर को यूं अचानक से छोड़ देना सामान्य घटना नहीं थी. यह खबर जब धीरे-धीरे राजधानी में फैली तो सनसनी मच गई. लोगों को यकीन नहीं हुआ कि जिस सोभा सिंह को आधी दिल्ली का मालिक कहते हैं, उनकी बहू अपने ससुराल का घर छोड़कर चली जाएगी. हालांकि तब कहते हैं कि दोनों परिवारों ने दीप कौर और दलजीत सिंह के बीच तकरार और मतभेद दूर करने की तमाम कोशिशें की थीं. लेकिन, बात नहीं बनी.
अपने मायके में वापस आने के बाद दीप कौर को लगा कि फिलहाल दिल्ली में रहने से बेहतर होगा कि वह मुंबई शिफ्ट हो जाएं. वह तब अपनी बहन अनूप के पास चली गईं. दिल्ली से दूर कुछ महीनों तक बंबई में रहने के बाद दीप दिल्ली आ गई. वह अपने डॉक्टर पिता के घर रहने लगीं. उसके घर में उसके फैसले को लेकर बवाल कट रहा था. उसके दादा खासतौर पर बहुत खफा थे अपनी पोती के फैसले से. बहरहाल, दीप कौर ने फिर से जिमखाना क्लब में जाकर टेनिस खेलना चालू कर दिया.
मरीना व्हीलर लिखती हैं कि मेरी मां को कनाडा की हाई कमीशन में नौकरी मिल गई. वहां पर उसकी जिंदगी बदल गई. वह डिप्लोमेटिक सर्किल में उठने बैठने लगीं. उसका फिर से शादी करने का कोई इरादा नहीं था. पर उसी दौर में उनकी जिंदगी में पत्रकार चार्ल्स व्हीलर आ गए. वे बीबीसी के दिल्ली में संवाददाता थे.
दोनों करने लगे एक-दूसरे पर जान निसार
कहने वाले कहते हैं कि चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई 1960 में भारत के राजकीय दौरे पर आए. उनके सम्मान में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने एक भोज का आयोजन किया. वहां पर पहली बार दीप कौर और चार्ल्स व्हीलर मिले. दोनों में बातचीत हुई और बातचीत मित्रता और फिर शादी तक जा पहुंची. शादी से पहले दोनों खूब घूमे-फिरे. दोनों एक दूसरे पर जान निसार करने लगे. दोनों की पहली कायदे की डेट की भी रोचक कहानी है. दोनों नेहरु जी के खास प्रोजेक्ट भाखड़ा नांगल डैम को देखने पंजाब गए. उसके बाद दोनों कश्मीर की वादियों में नौका विहार का आनंद लेने और शिकारे में दुनिया की नजरों से दूर रहने के लिए चले गए. अभी तक दोनों ने शादी नहीं की थी. खैर, 29 मार्च, 1962 को दोनों ने दिल्ली में शादी कर ली.
शादी के कुछ समय के बाद चार्ल्स व्हीलर की जर्मनी के शहर बर्लिन में ट्रांसफर हो गया. वहां तीन साल रहने के बाद चार्ल्स व्हीलर को बीबीसी ने 1965 में वाशिंगटन में भेज दिया.
दीप कौर कौन थीं उस प्रधानमंत्री की
तब तक चार्ल्स व्हीलर और दीप कौर दो बेटियों- मरीना तथा शरीन के माता- पिता बन चुके थे. मरीना ने ही आगे चलकर बोरिस जॉनसन से विवाह किया. वही बोरिस जॉनसन जो आजकल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री हैं. जॉनसन तथा मरीना ने 25 सालों तक साथ रहने के बाद तलाक ले लिया है. बहरहाल, दीप कौर और चार्ल्स व्हीलर 1962 में भारत से गए तो फिर तीन बार ही वापस भारत आए.

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