कुछ हट कर, कुछ डट कर
जनता हमेशा से सरकारों के सख्त तेवर और त्वरित कार्रवाइयों की मुरीद रही है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | जनता हमेशा से सरकारों के सख्त तेवर और त्वरित कार्रवाइयों की मुरीद रही है। इसी परिप्रेक्ष्य में सुक्खू सरकार के आरंभिक कदम भी एक उम्मीद के साथ देखे जा रहे हैं। पुलिस भर्ती बनाम जूनियर ऑफिस असिस्टेंट (आईटी) पेपर लीक मामलों का इतिहास मकाबिल है, तो कहना पड़ेगा कि वर्तमान सरकार के तेवर कहीं अधिक कडक़ व परिणाममूलक दिखाई दे रहे हैं। सरकार का निर्णायक होना और इससे भी अधिक दिखाई देना, जनता में विश्वास बढ़ाता है। इसी संदर्भ में कर्मचारी चयन आयोग का निलंबन एक बहुप्रतीक्षित कार्रवाई है और जिसे सुक्खू सरकार ने अंजाम दिया।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू लगातार अपने एक्शन से बता रहे हैं कि वह प्रशासनिक, राजनीतिक व शासकीय तौर तरीके बदलने के लिए अति कठिन फैसले लेने की क्षमता रखते हैं। पहले दो सीमेंट प्लांट का अचानक बंद होना और अब कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में पेपर लीक का मामला सरकार के मकसद व मंतव्य को टटोल गया। इन दोनों प्रकरणों में सुक्खू सरकार ने साहसिक परीक्षा देते हुए नकेल कसी है। ये ढर्रा बदलने की कसरतें हैं, जो राज्य को अपनी विश्वसनीयता, ताकत व ईमानदारी का एहसास कराती हैं। मुख्यमंत्री ने पूर्व सरकार के अंतिम चरण के फैसलों को पलटते हुए कई कार्यालयों को डिनोटिफाई करके भी अपनी दृढ़ता का विषय बनाया है। हम मानें या न मानें, आज के दौर में सरकारी कार्य संस्कृति, राजनीतिक विवशताओं और चुनावी ख्वाहिशों के बीच कड़े फैसले लेने की हिम्मत करना जोखिम भरा कार्य है, लेकिन हिमाचल में इस बार कुछ हटकर व कुछ डटकर करने का संकल्प दिखाई दे रहा है। बेशक ऐसे फैसलों में विपक्ष अपने हिस्से का विरोध चुन सकता है और सत्ता पक्ष के बीच सहमति का माहौल बनाना कठिनता पैदा करेगा, लेकिन जनता अब नेताओं की जमात में चेहरा बदलना चाहती है। अभी हम यह नहीं कह सकते कि सरकार इसी तरह सभी मोर्चों या व्यवस्था परिवर्तन की राह पर आगे बढ़ेगी, फिर भी आरंभिक प्रदर्शन में एक बदलाव अवश्य ही जनापेक्षाओं के सैलाब में लहर बनकर उभर रहा है।