बेहतरी के संकेत

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उद्बोधन और संसद में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश होने के साथ ही बजट सत्र का आगाज हो गया।

Update: 2022-01-31 16:35 GMT

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उद्बोधन और संसद में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश होने के साथ ही बजट सत्र का आगाज हो गया। यह बजट सत्र ऐसे मोड़ पर आयोजित हो रहा है, जब देश तेजी और मजबूती के साथ अर्थव्यवस्था की बहाली की दिशा में बढ़ने को लालायित है। लोग उम्मीदों से भरे हुए हैं। राष्ट्रपति ने अपने उद्बोधन में परंपरागत रूप से सरकार के बेहतर कार्यों का हवाला दिया है। विशेष रूप से महिला सशक्तीकरण और टीकाकरण अभियान की प्रशंसा वाजिब ही है। इसमें कोई शक नहीं कि हमारा विशाल देश इस मुश्किल दौर में भी बेहतर प्रदर्शन की पूरी कोशिश कर रहा है, पर हमें और बेहतर करने की ओर बढ़ना है। शायद इसी संकल्प के साथ आर्थिक सर्वेक्षण सदन में पेश किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वे में वित्त वर्ष 2022 के लिए 9.2 प्रतिशत जीडीपी विकास दर का अनुमान लगाया है। अनुमान है, भारतीय अर्थव्यवस्था साल 2022-23 के दौरान 8 से 8.5 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगी। यह बात छिपी नहीं है कि पिछले वर्ष अच्छे नहीं बीते हैं। कोरोना व लॉकडाउन की वजह से बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था को क्षति पहुंची है, इसीलिए उसकी स्थिति सामान्य होने में वक्त लग रहा है।

आर्थिक सर्वेक्षण में पेश आंकड़े निस्संदेह आशा जगाते हैं। कृषि क्षेत्र की विकास दर 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। यह एक महत्वपूर्ण कामयाबी तो रहेगी ही, लेकिन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में हमें अब पांच प्रतिशत से ज्यादा की विकास दर की दिशा में गंभीरता से काम करना चाहिए। बजट में कृषि आय बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास दिखें, तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए। कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आज बडे़ पैमाने पर मदद की जरूरत है, ताकि देश के कुल विकास में कृषि का योगदान बढ़े। औद्योगिक विकास दर 11.8 फीसदी रहने का अनुमान है और सेवा क्षेत्र 8.2 फीसदी की दर से वृद्धि करेगा। कंस्ट्रक्शन सेक्टर में विकास दर 10.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है, लेकिन यह बहुत हद तक देश की समग्र माली हालत पर भी निर्भर करेगा। कुल मिलाकर, हमारा आर्थिक सर्वे बुनियादी रूप से बेहतर आर्थिक संकेत दे रहा है। ऐसा लगता है कि आगामी महीनों में हम अर्थव्यवस्था में वांछित तेजी लौटा सकते हैं। सर्वे में महंगाई पर चिंता जताई गई है और उसके लिए बाह्य कारणों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। मतलब ईंधन की कीमतों की ओर इशारा स्पष्ट है। हालांकि, यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह बाह्य कारणों को हावी न होने दे।
महंगाई को नियंत्रित रखना इसलिए भी जरूरी है कि क्यों यह एक अकेली ऐसी वजह है, जो अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचा सकती है। देश के लिए कच्चा तेल, निवेश, विनिवेश, रोजगार और विकास की चुनौती बरकरार है। ऐसी चुनौतियों से बहुत मजबूती और मनोयोग से निपटने की जरूरत है। सरकार के आर्थिक सलाहकारों की टीम में बार-बार परिवर्तन को रोकना चाहिए। एक विशेषज्ञ टीम को अर्थव्यवस्था को उबारने की जिम्मेदारी दी जाए और उसे काम करने के लिए समय एवं स्वतंत्रता दी जाए, ताकि वह टीम बेहतर परिणाम दे सके। आर्थिक सर्वेक्षण अगर आगामी दिनों में दृढ़ नीतियों और सरकार की दृढ़ आर्थिक सलाहकार टीम को प्रेरित करे, तो आम आदमी के हित में देश की अर्थव्यवस्था के कायाकल्प में आसानी होगी।

हिन्दुस्तान

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