शोभना जैन का ब्लॉग: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तीसरी बार ताजपोशी क्या भारत के लिए है चिंताजनक? जानें इसके मायने
By लोकमत समाचार सम्पादकीय
नई दिल्ली: अब जब कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव पद पर तीसरी बार ताजपोशी तय है और उनका लगातार बढ़ता कद एक जमाने में बेहद ताकतवर रहे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव माओ त्से तुंग जैसा होता जा रहा है, ऐसे में शी जिनपिंग के नए कार्यकाल में चीन के विस्तारवादी एजेंडे के और बेलगाम होने को लेकर बड़ी तादाद में दुनिया भर में आशंकाएं और गहरी हो गई हैं.
राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तीसरी बार ताजपोशी के कारण भारत के लिए क्या मायने
विशेष तौर पर अगर भारत की बात करें तो दोनों के बीच व्यापारिक संबंधों की गतिशीलता के बावजूद सीमा विवाद सहित अन्य रणनीतिक मुद्दों को लेकर चीन जिस तरह से विश्वास भंग करने का रवैया अपनाता रहा है, उसे लेकर 36 के आंकड़े बने हुए हैं.
लद्दाख सीमा पर गलवान में चीनी सेना के बर्बर हमले के बाद से दोनों देशों की फौजें पिछले दो से अधिक साल से आमने-सामने डटी हैं. तो ऐसे में शी के बेलगाम हो जाने की आशंका वाले तीसरे कार्यकाल के आखिर भारत के लिए क्या मायने हैं.
चीन अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा बरकरार रखने पर अब दे रहा है जोर
खास तौर पर जबकि उनका अपना सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स यह लिख रहा हो कि पिछले वक्त की तुलना में कुल मिलाकर चीन अब अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा बरकरार रखने पर ज्यादा ध्यान दे रहा है क्योंकि वैश्विक सुरक्षा अधिक जटिल होती जा रही है.
इसी परिप्रेक्ष्य में अगर देखें तो भारत के प्रति चीन की सोच शी की इस नई पारी में कैसी हो सकती है, उसे इस बात से समझा जा सकता है कि गलवान में सवा दो वर्ष पूर्व भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई खूनी झड़प का वीडियो भी डेलिगेट्स को दिखाया गया.
इन झड़पों के कारण हालात पहले से ज्यादा चिंताजनक है
इन झड़पों का हिस्सा रहा चीन सेना का एक कमांडर भी इस दौरान मौजूद था. निश्चित तौर पर भारत के लिए यह नई स्थिति पहले से अधिक चिंताजनक है और अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत पर जोर देती है.
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में जिनपिंग की कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस में प्रस्तुत 'वर्क रिपोर्ट' से उनके इस नए कार्यकाल के एजेंडा को कुछ हद तक समझा जा सकता है, जहां वह विचार व्यक्त करते हैं कि चीनी सेना को प्रशिक्षण और युद्ध की तैयारी पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है ताकि सुरक्षित माहौल बनाया जा सके, खतरों और संघर्ष को नियंत्रित किया जा सके.
भारत की राह में चीन ने एक बार फिर अड़ंगा डाला है
इसी सप्ताह चीन ने चार माह के अंदर लगातार चौथी बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत अमेरिकी संयुक्त प्रस्ताव के तहत लश्करे तैयबा के कमांडर पाकिस्तानी आतंकवादी हाफिज तल्हा सईद को ब्लैकलिस्ट करने की कोशिश में एक बार फिर अड़ंगा लगा दिया.
यह आतंकी पकिस्तान के दुर्दांत आतंकी हाफिज सईद का पुत्र है. भारत की नजर इस बात पर रहेगी कि शी की यह 'वर्क रिपोर्ट' विशेष तौर पर इस क्षेत्र में इस सोच को अमलीजामा कैसे पहनाने की कोशिश करती है.