राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में स्कूली शिक्षा

किसी भी देश के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है

Update: 2022-04-06 18:58 GMT

किसी भी देश के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है कि उसके देश-प्रदेश में ढांचागत विकास हो। भवन, सड़कें, बांध निर्माण इत्यादि से लेकर आधुनिक स्मार्ट शहर बनाने तक आवश्यक ढांचे का निर्माण किया जाए, लेकिन उससे भी आवश्यक है कि वहां के रहने वाले व्यक्तियों-समाज का मानव विकास हो। गांव के अंदर महिला मंडल का भवन तो है, लेकिन अगर वहां महिलाएं अपने सशक्तिकरण की बात नहीं करती या फिर शौचालय तो है, लेकिन उसका उपयोग नहीं, मोबाइल फोन हाथ में होने से अगर आप इंटरनेट, कैशलेस लेनदेन नहीं कर पा रहे तो इसका अर्थ है कि मानव विकास में कहीं कमी है और मानव विकास शिक्षा तथा शिक्षा नीति पर निर्भर करता है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 के मानव विकास सूचकांक में भारत को 189 देशों में 131वां स्थान प्राप्त हुआ। यह सर्वविदित है कि एचडीआई किसी राष्ट्र में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर का मापन है। नार्वे इस लिस्ट में सबसे ऊपर है। हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका और चीन क्रमशः 72वें व 85वें स्थान पर हैं। किसी भी देश के नागरिकों का मानव विकास वहां की शिक्षा, दीक्षा, शिक्षा में खर्च, जीडीपी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निर्भर करता है। तीन दशकों के इंतजार के बाद हिंदुस्तान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एक सराहनीय बदलाव के साथ सामने आई है और उससे मानव विकास के बेहतरीन परिणाम मिलने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों से यह संभव हुआ है कि देश के विकास के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भारतीय युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक अवसर प्रदान करेगी। 20 मार्च 2020 को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी के बाद 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव के साथ नई शिक्षा नीति देश की समृद्ध प्रतिभा, सर्वोत्तम विकास संवर्धन, व्यक्तित्व, समाज, प्रदेश, देश व विश्व की प्रगति एवं भलाई के लिए प्रस्तुत की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 न केवल भारतीय मूल्यों से विकसित शिक्षा प्रणाली को लागू करते हुए उच्चतर गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध करवाएगी, बल्कि भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति विश्व गुरु बनाने में योगदान करेगी।

नीति का विजन विद्यार्थियों के व्यवहार-विचार व बुद्धि में भारतीय होने के गुण विद्यमान होंगे। साथ में ज्ञान, कौशल, विवेक और सोच में ऐसा परिवर्तन आए कि उनका स्थायी विकास, मानवाधिकारों के प्रति सजगता, जीवन यापन तथा मानव एवं वैश्विक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हो। पुरानी शिक्षा पद्धति टेन प्लस टू वाली व्यवस्था से बदलकर 5 जमा 3 जमा 3 जमा 4 वाली एक नई शिक्षा व्यवस्था लागू होगी। पूर्व में 6-16 वर्ष तक दसवीं कक्षा तथा उसके पश्चात जमा दो 16 से 18 वर्ष की विद्यालय शिक्षा से बदलकर मूलभूत शिक्षा 3 वर्ष की आंगनवाड़ी पूर्व स्कूली शिक्षा के साथ कक्षा 1 व कक्षा दो आयु वर्ष 3 से 8 वर्ष तक रहेगी जिसे मूलभूत शिक्षा या फिर फाऊंडेशनल कहा जाएगा। इसके उपरांत वर्ष 9 से 11 तक तीसरी, चौथी व पांचवीं जिसे प्रिपेरेटरी आरंभिक शिक्षा, तदनंतर 3 वर्ष की मिडिल छठी से आठवीं आयु वर्ग 12 से 14 वर्ष और उसके बाद 4 वर्ष की सेकेंडरी शिक्षा क्रमशः नवमी 15 वर्ष की दसवीं एसएससी 16 वर्ष की फर्स्ट ईयर जूनियर कॉलेज और सेकंड ईयर जूनियर कॉलेज 17 व 18 वर्ष के नाम से होंगे। बच्चों के मस्तिष्क का 90 फीसदी विकास 6 वर्ष की अवस्था से पूर्व हो जाता है। बाल मनोवैज्ञानिक की भाषा पूर्व सक्रिय चरण प्रिएक्टिव स्टेज में बच्चों की भाषा में पकड़, समझ अच्छी बन सकती है, लेकिन वर्तमान समय में गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल्यावस्था देखाभाल शिक्षा उपलब्ध केवल नाममात्र की है। इसलिए 3 वर्ष के बच्चों को शामिल कर प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा की एक मजबूत बुनियाद शामिल होने से यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मील का पत्थर साबित होगी।
फाउंडेशन स्टेज में 5 वर्ष तक खेल खेल में शिक्षा, गतिविधि आधारित शिक्षण बहुस्तरीय शिक्षा में बच्चों के शुरुआती वर्षों में विद्यालय में आने से उनका संज्ञानात्मक विकास सांस्कृतिक विकास संवाद के लिए प्रारंभिक भाषा, साक्षरता, संज्ञानात्मक ज्ञान के विकास में सुदृढ़ता आएगी। प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा की गुणवत्तापूर्ण पहुंच के लिए प्रशिक्षित आंगनवाड़ी केंद्रों, कार्यकत्रियों, शिक्षकों को प्रशिक्षित व सशक्त बनाया जाएगा ताकि बच्चों का आधार उनकी नींव मजबूत बन सके। प्रिपेरेटरी स्टेज 3 वर्ष की होगी जो कि फाउंडेशन स्टेज से आगे बढ़ेगी और उसमें शिक्षण अधिगम, संवादात्मक कक्षा शैली के जरिए होगा। इसमें शारीरिक शिक्षा, कला, भाषा विज्ञान, गणित के साथ-साथ पढ़ने-लिखने और बोलने पर बल दिया जाएगा। इसके उपरांत मिडिल स्टेज में विद्यार्थी प्रवेश करेंगे और इसमें उन्हें विषय विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जाएगा। यहां पर विद्यार्थियों की कई विषयों की अवधारणा स्पष्ट होगी जिसमें विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, कला, खेल, मानविकी और व्यावसायिक विषय भी शामिल होंगे। हाई स्कूल या सेकेंडरी स्टेज में चार साल के बहु विशेष अध्ययन शामिल होंगे और विद्यार्थियों के विषय चुनाव के लिए लचीलापन और विकल्प बने रहेंगे।
उपरोक्त सभी स्तरों पर पाठ्यचर्या और शिक्षा विधि का समग्र केंद्र बिंदु शिक्षा प्रणाली को रटने की पुरानी प्रथा घोटांत विद्या से अलग वास्तविक समझ और ज्ञान की समग्रता की ओर ले जाना होगा। इसके अतिरिक्त संज्ञानात्मक क्षेत्र जिसमें व्यक्तित्व निर्माण, चरित्र निर्माण, 21वीं शताब्दी के मुख्य कौशल, शैक्षिक, तकनीकी व जीवन मूल्यों की पहचान भी की जाएगी ताकि इस शिक्षा पद्धति से पढ़ने वाले विद्यार्थियों का समग्र विकास सुनिश्चित हो सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भाषा सिखाने पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। छोटे बच्चों के लिए अपने घर की भाषा में सार्थक अवधारणाओं को समझाया जाएगा और उसके बाद स्थानीय भाषा को भाषा के रूप में पढ़ाया जाता रहेगा। विज्ञान सहित सभी विषयों में पुस्तकें मातृ भाषा में उपलब्ध करवाई जाएंगी। इसके अतिरिक्त द्विभाषी शिक्षण अधिगम सामग्री सहित द्विभाषी अप्रोच का उपयोग किया जाएगा। सभी भाषाओं को सभी छात्रों को गुणवत्ता के संग आत्मसात करवाने का प्रावधान भी होगा ताकि सीखने व सिखाने में विभिन्न भाषाओं का एक्सपोजर बच्चों का सटीक तरीके से हो सके। भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी के कोर्स के अलावा विदेशी भाषाएं जैसे कोरियाई, जापानी, थाई, फ्रेंच, जर्मनी, स्पेनिश, पुर्तगाली और रूसी भी माध्यमिक स्तर पर व्यापक रूप में सिखाई जाएंगी जिससे बच्चों को विश्व ज्ञान और उनकी संस्कृतियों के बारे में जानकारी के अतिरिक्त घूमने-फिरने की सहजता को बढ़ावा मिल सके और वे अच्छी तरह से सीख सकें।
निखिल शर्मा
लेखक कांगड़ा से हैं


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