राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में स्कूली शिक्षा
किसी भी देश के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है
किसी भी देश के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है कि उसके देश-प्रदेश में ढांचागत विकास हो। भवन, सड़कें, बांध निर्माण इत्यादि से लेकर आधुनिक स्मार्ट शहर बनाने तक आवश्यक ढांचे का निर्माण किया जाए, लेकिन उससे भी आवश्यक है कि वहां के रहने वाले व्यक्तियों-समाज का मानव विकास हो। गांव के अंदर महिला मंडल का भवन तो है, लेकिन अगर वहां महिलाएं अपने सशक्तिकरण की बात नहीं करती या फिर शौचालय तो है, लेकिन उसका उपयोग नहीं, मोबाइल फोन हाथ में होने से अगर आप इंटरनेट, कैशलेस लेनदेन नहीं कर पा रहे तो इसका अर्थ है कि मानव विकास में कहीं कमी है और मानव विकास शिक्षा तथा शिक्षा नीति पर निर्भर करता है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 के मानव विकास सूचकांक में भारत को 189 देशों में 131वां स्थान प्राप्त हुआ। यह सर्वविदित है कि एचडीआई किसी राष्ट्र में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर का मापन है। नार्वे इस लिस्ट में सबसे ऊपर है। हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका और चीन क्रमशः 72वें व 85वें स्थान पर हैं। किसी भी देश के नागरिकों का मानव विकास वहां की शिक्षा, दीक्षा, शिक्षा में खर्च, जीडीपी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निर्भर करता है। तीन दशकों के इंतजार के बाद हिंदुस्तान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एक सराहनीय बदलाव के साथ सामने आई है और उससे मानव विकास के बेहतरीन परिणाम मिलने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों से यह संभव हुआ है कि देश के विकास के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भारतीय युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक अवसर प्रदान करेगी। 20 मार्च 2020 को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी के बाद 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव के साथ नई शिक्षा नीति देश की समृद्ध प्रतिभा, सर्वोत्तम विकास संवर्धन, व्यक्तित्व, समाज, प्रदेश, देश व विश्व की प्रगति एवं भलाई के लिए प्रस्तुत की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 न केवल भारतीय मूल्यों से विकसित शिक्षा प्रणाली को लागू करते हुए उच्चतर गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध करवाएगी, बल्कि भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति विश्व गुरु बनाने में योगदान करेगी।