कहिए जी देश बदल रहा है: इंच टेप वाले मैट्रीमोनीयल्स में लड़कियां नापते दूल्हे राजा..!

जब कभी 16 साल की एक लड़की अपने सपनों में दूल्हे के साथ खुद को पाती है

Update: 2021-11-29 05:13 GMT
जब कभी 16 साल की एक लड़की अपने सपनों में दूल्हे के साथ खुद को पाती है, एक गोरेपन की क्रीम न जाने क्यों उसके चेहरे पर प्रश्नचिन्ह बनकर चिपक जाती है। कोई अपने आप को तयशुदा लहंगे में फिट करने के लिए सपने में भी मीठा खाने से घबराती है, तो कोई खुद को पतला करने के लिए 3 महीने के लिए जिम की फीस चुकाती है। कभी किसी को शरीर पर अतिरिक्त उभार लाने के लिए पैडेड कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है तो कोई रोज झड़ते बालों के लिए घरेलू नुस्खे अपनाती है। किसी का कद कम तो मुश्किल, किसी की मुश्किल ही यही कि वो है लड़कों जितनी लंबी। ऐ खुदा, बार बार क्यों इतने इम्तिहान है सजाता? एक ही सांचे से लड़कियां क्यों नहीं बनाता?
कहिए जी देश बदल रहा है, आगे भी बढ़ रहा है। वाकई, बदल तो रहा है लेकिन उन लोगों का क्या कीजियेगा जो अपनी सोच बदलने को तैयार नहीं। मुश्किल ये है कि बदली सोच वाले तो उंगली पर गिनने लायक हैं और जिन पर है पिछड़ी सोच का साया उनकी संख्या है ज्यादा।
ये एक मेट्रीमोनियल साइट पर पूरे होशो हवास में दिया गया विज्ञापन है। जिसमें कहा गया है कि लड़की अलां दर्जे तक पढ़ी, फलां गुणों से भरी होनी चाहिए। गुणों की इस फेहरिस्त में शामिल है- सुंदर चेहरा, गोरा रंग, दुबली लड़की, पारंपरिक सोच के साथ एकदम सही नाप में मॉर्डन विचारधारा, आदि। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। लड़के ने इसके आगे जाते हुए लड़की के ब्रा साइज, कमर के नाप और पैरों के साइज को भी तयशुदा पैमाने के हिसाब से होने की मांग की है।
इतना ही नहीं लड़का चाहता है कि लड़की मैनीक्योर-पैडीक्योर किये रहे, उसका ड्रेसअप 80 प्रतिशत कैजुअल और 20 प्रतिशत फॉर्मल हो और इससे भी आगे इस तरह की बातें हैं जो सार्वजनिक तौर पर लिखने में भी मेरी कलम गुस्से से कांप रही है। किसी ने इन जनाब को ये नहीं कहा है कि सिंड्रेला की खोई जूती की तरह ये भी इंच टेप लेकर निकल पड़ें।
देशभर में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो अपनी बेटियों को नापने के लिए इनके आगे बिछा देंगे। हालांकि इस विज्ञापन को लेकर कई लोगों ने शिकायत दर्ज करवाई है और खुद उस मेट्रिमिनियल ने इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने का और ऐसे लोगों को अपने मंच से हटाने का वादा भी किया है।
बहरहाल सवाल यह है ये कौन लोग हैं? क्या हमारे ही समाज से आते हैं? जवाब है हां, ये लोग हमारे ही आस पास मौजूद लोग हैं जो इसी सोच के साथ जीते हैं और इसी सोच को बढ़ावा देते हैं। तयशुदा पैमाने के हिसाब से दुल्हन ढूंढने वाला यह भारत का अकेला लड़का नहीं है। ऐसे लोग भरे पड़े हैं। उससे भी ज्यादा गलत यह है कि अब भी लड़कियों को भी इसी सोच के साथ बड़ा किया जाता है।
अगर आपको लगता है कि टीवी में दिख रही, शहरों में बड़ी कम्पनियों में काम कर रही, यूट्यूब के चैनल्स में ग्लैमर के साथ पूरे आत्मविश्वास से अपनी बात कहती लड़कियों का क्या? लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये कुल लड़कियों का मुट्ठी भर भी नहीं है। उसपर इनमें से भी अधिकांश लड़कियां इसी सोच के साथ बड़ी की जाती हैं कि उनका 'दिखना' उनके 'टिकने' से ज्यादा जरूरी है।
पिछले दिनों एक मनोरंजक कार्यक्रम के बीच में आए विज्ञापन ने मेरे इस विश्वास को और भी बढ़ाया। इस विज्ञापन में एक गोरी, छरहरी लड़की फोन पर बात करते हुए एक गाड़ी में आकर बैठती है और कहती है ड्राइवर फलां जगह चलो।
ड्राइविंग सीट पर बैठा लड़का जैसे ही पीछे मुड़ता है लड़की को अपनी गलती का एहसास होता है और वह कहती है-'अरे सॉरी, मैं समझी मेरी टैक्सी है' और लड़का मुस्कुराहट के साथ अतिरिक्त विनम्रता के साथ अपना पोर्टफोलियो परोसते हुए कहता है-'वैसे तो मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ लेकिन आपके लिए टैक्सी ड्राइवर भी बन सकता हूँ।'
अब यहां तक भी ठीक था लेकिन फिर आता है वह ब्रांड जो लड़की को और आकर्षक बनाने का दावा करता है, क्योंकि उसके बिना तो लड़का, लड़की की तरफ देखता भी क्यों भला? मतलब अगर आप आकर्षक नहीं तो आपके लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर तो नहीं ही मिलने का रे बाबा।
कुछ साल पहले तक पड़ोस में रहने वाली वह युवती हमेशा मेरे जेहन में ताजा रहती है जिसके माता-पिता 19 की उम्र में उसकी ग्रेजुएशन की डिग्री से ज्यादा उसकी शादी के लिए आतुर थे। मुश्किल ये थी कि बच्ची का वजन अधिक था और तमाम दहेजी प्रलोभनों के बावजूद लड़की का रिश्ता कहीं तय नहीं हो पा रहा था। आखिर घर वालों ने जबरदस्ती उस लड़की को जिम जॉइन करवाया और बाहर के सारे खाने पर सख्ती से रोक लगा दी। और जिम के पहले दिन ही घर के बाहर अपनी टू व्हीलर स्टार्ट करते हुए, लड़की ने रोते-रोते कहा-'बस ये शादी तक के लिए छोड़ रही हूं। इसके बाद मुझे समोसा खाने देना।'
बाजार में मौजूद तमाम तरह के सौंदर्य प्रसाधन या कॉस्मेटिक अपने शौक से रूप निखारने के लिए उपयोग में लाये जाएं तो फिर भी जायज लगते हैं। लेकिन अगर इनका उपयोग जबरन का नियम बन जाये तो ये बोझ हो जाते हैं। केवल कॉस्मेटिक्स ही क्यों आजकल बाजार में शेपवेयर के नाम पर शरीर के तमाम हिस्सों को उभारने वाले साधन मिल रहे हैं और इससे भी बात न बने तो सर्जरी का ऑप्शन भी है। बस आपकी जेब में दम होना चाहिए, फिर तो काली लड़की को गोरा दिखाना और मोटी लड़की का वजन घटाना बाजार खूब जानता है।
तो जब तक इस बाजार का भाव बढ़ने वाले हैं ये बाजार भी जिंदा रहेगा। मुझे हाल ही में लॉस एंजिल्स की 29 वर्षीय चेल्सी हिल की शादी याद आ रही है जिसके वीडियो अभी इंटरनेट पर धूम मचा रहे हैं। चेल्सी 2010 से व्हीलचेयर पर हैं, वे कमर से नीचे लकवाग्रस्त हैं और यह बात उनके सच्चे प्यार यानी उनके पति जे ब्लूमफील्ड को उससे प्यार करने से रोक नहीं पाई। आत्मविश्वास से भरपूर चेल्सी न केवल एक बहूत अच्छी डांसर हैं बल्कि एक कम्पनी की संस्थापक और सीईओ भी हैं। वे लॉस एंजिलिस में रोलैट्स नाम से एक व्हीलचेयर डांस टीम को लीड करती हैं।
चेल्सी अपने इरादों के दम पर किसी भी चुनौती से लड़ने को प्रतिबद्ध हैं और इसमे उनकी ताकत बनते हैं जे। इस दम्पत्ति ने यह साबित कर दिया है कि विवाह जैसे पवित्र बंधन के लिए शारीरिक स्तर पर नहीं वैचारिक स्तर पर मजबूत होना ज्यादा जरूरी है। अब हर बात में विदेशों की नकल करने वाले हम, क्या इस बात से भी सबक लेंगे?
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए जनता से रिश्ता उत्तरदायी नहीं है।

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