निजी अस्पतालों का यही हाल

प्राइवेट अस्पताल चाहे भारत में हों या अमेरिका में उनका चरित्र एक जैसा ही है।

Update: 2021-06-24 03:35 GMT

प्राइवेट अस्पताल चाहे भारत में हों या अमेरिका में उनका चरित्र एक जैसा ही है। वे कहने को भले चैरिटी के लिए बनते हों और इस नाम पर सरकारों से सुविधाएं ले लेते हों, लेकिन असल में उनकी नजर में मुनाफे से बड़ा कुछ और नहीं होता। इसी बात की पुष्टि हाल में अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी (जेएचयू) के इस अध्ययन से हुई। इसके मुताबिक कुछ सबसे ज्यादा कमाई वाले अस्पतालो ने अपने यहां इलाज कराने की फीस इलाज पर असल में आने वाली लागत से दस गुना तक तय कर रखी है। गौरतलब है कि अमेरिका में अस्पतालों को अपनी फीस और चिकित्सा संबंधी तमाम शुल्क खुद तय करने का अधिकार है। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों ने मेडिकल बीमा करा रखा है, उनकी तरफ से बीमा कंपनी अस्पतालों से सौदेबाजी कर लेती है। इस कारण उन्हें व्यवहार में बिल अपेक्षाकृत कम चुकाना पड़ता है। लेकिन जिनके पास बीमा पॉलिसी नहीं है, उन पर ऐसी फीस दर का बहुत बुरा असर होता है। यही वजह है कि अमेरिका में हेल्थ केयर फॉर ऑल (सबके लिए मुफ्त इलाज) की मांग जोर पकड़ रही है।

कोरोना महामारी ने इस मांग में नई जान फूंक दी है। जेएचयू की रिपोर्ट ने प्राइवेट सेक्टर आधारित वर्तमान चिकित्सा व्यवस्था को पहले से भी ज्यादा कठघरे में खड़ा कर दिया है। हालांकि अस्पतालों का दावा है कि जेएचयू ने जिस तरह लागत और बिल की तुलना की है, वह तरीका गुमराह करने वाला है। लेकिन ऐसे दावों को आम लोग अब आसानी से स्वीकार नहीं करते। अस्पतालों के दमनकारी रुख का हाल यह है कि ज्यादातर अस्पताल अपनी असल लागत से पांच से दस गुना तक ज्यादा बिल मरीजों को थमा देते हैं। जो लोग बिल नहीं चुका पाते उन पर बड़ी संख्या में प्राइवेट अस्पतालों ने उन मरीजों पर मुकदमा कर दिए हैं। अध्ययनकर्ताओं ने बताया है कि अमेरिका में ऐसे मुकदमे बहुत आम हैं। जाहिर है, अस्पतालों के ऐसे तौर-तरीकों के कारण मेडिकल प्रोफेशन में लोगों का भरोसा खत्म हो जा रहा है। इस अध्ययन से तथ्य यह सामने आया है कि प्राइवेट सेक्टर आधारित इलाज व्यवस्था लोगों की सेहत और चिकित्सा का ख्याल रखने में विफल है। ये बात भारत के लिए भी उतनी ही सच है, जितनी अमेरिका के लिए। हैरतअंगेज है कि अपने देश में जेएचयू की रिपोर्ट ज्यादा चर्चित नहीं हुई। जबकि उस पर व्यापक चर्चा की जरूरत है।


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