बैडमिंटन स्टार सायना नेहवाल (Saina Nehwal) की बायोपिक का पोस्टर और टीज़र जारी हो गया है. 'सायना' नाम से बन रही इस फिल्म में परिणीति चोपड़ा (Parineeti Chopra) मुख्य भूमिका में हैं. फिल्म में सायना नेहवाल की भूमिका वहीं निभा रही हैं. सायना फिल्म का पोस्टर सामने आते ही सवाल भी खड़े हो गए हैं. यह सवाल बायोपिक को लेकर होने वाली रिसर्च, बेसिक जानकारी और फैक्ट्स से जुड़े हुए हैं. फिल्म के पोस्टर में सर्विस से पहले के बैडमिंटन शटल की शक्ल में सायना का नाम लिखा है. लेकिन क्रिएटिविटी के नाम पर यहां पर बड़ी गलती कर दी गई है. पोस्टर में दिखाया गया है कि शटल को हवा में ऊपर की तरफ उछाला गया है जैसे ही वह नीचे आएगा सर्विस की जाएगी यानी खेल शुरू किया जाएगा. लेकिन बैडमिंटन में इस तरह से सर्विस नहीं की जाती है. पोस्टर में सर्विस का जो तरीका दिखाया गया है वह टेनिस का है.
टेनिस और बैडमिंटन में सर्विस का तरीका अलग-अलग होता है. टेनिस में गेम शुरू करने से पहले खिलाड़ी गेंद को कुछ देर में जमीन पर टप्पा खिलाने के बाद हवा में उछालता है और फिर सर्व करता है. वहीं बैडमिंटन में सर्विस शुरू करने से पहले शटल के ऊपरी हिस्से को एक हाथ में पकड़ा जाता है और फिर रैकेट के जरिए दूसरे पाले की तरफ मारा जाता है. हर बार इसी तरह से नई सर्विस होती है. अब पोस्टर में सायना को ऊपर दिखाना था तो क्रिएटिविटी करते हुए सर्विस के ढंग को ही बदल दिया गया है. यह बात साफ है कि फिल्म देखने जाने वाले एक सिनेमाप्रेमी को इस तरह की बारीकी से न तो मतलब होता है न ही लेना-देना.
लेकिन क्रिएटिविटी के नाम पर इस तरह की गड़बड़ी खेलप्रेमियों को सिनेमाघर में जाने से जरूर रोक सकती है. इस तरह के बेसिक गलती से फिल्म की ईमानदारी और मेहनत को लेकर उसके मन में संदेह होता है. वह पहले से ही एक धारणा बना लेता है और इसके चलते फिल्म देखने पर हर समय वह गलतियां ढूंढ़ता ही रह जाता है.
पहले भी क्रिएटिविटी के नाम पर हो चुकी है गड़बड़ी
भारत में वैसे भी खेल आधारित फिल्में कई मौकों पर दर्शकों को निराश कर चुकी है या फिर विवाद खड़ा कर चुकी है. गीता और बबीता फोगाट के जीवन पर बनी 'दंगल' में भी क्रिएटिविटी के नाम पर ली गई छूट ने विवाद खड़ा किया था. फिल्म के आखिर में दिखाया जाता है कि गीता का कोच आमिर खान को फाइनल मैच से पहले कमरे में बंद कर देता है. इससे लोगों में गीता के नेशनल कोच को लेकर गलत विचार गए. लोगों ने उन्हें विलेन समझा. फिर कोच को मीडिया में बयान देना पड़ा. इसके बाद फिल्म के कर्ता-धर्ता लोगों ने भी अपने हिस्से की सफाई पेश की.
क्रिकेट से जुड़ी फिल्मों में जमकर घपले
देश में क्रिकेट से जुड़ी फिल्मों में किस तरह का घपला और गड़बड़ी होती है वो किसी से छुपी नहीं है. अगर देश में खेलों से जुड़ी फिल्मों या बायोपिक को बायस्ड तरीके से देखा जाता है तो इसमें क्रिकेट से जुड़ी फिल्मों का एकतरफा योगदान है. जैसे भारतीय क्रिकेट टीम के सफलतम कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर बनी फिल्म में उनके भाई को दिखाया ही नहीं जाता है. एक ऐसा फैक्ट जो पूरी दुनिया के सामने हैं उसे अनदेखा कर दिया जाता है. इसी तरह मोहम्मद अजहरुद्दीन के फिल्म पर बनी 'अजहर' का नाम भी लिया जा सकता है. यह फिल्म इस तरह से बनाई गई हो मानो दर्शकों पर एहसान किया गया था.
भारत को खेलों पर आधारित बेहतरीन फिल्मों की जरूरत है. बच्चों के मन में किसी खेल के प्रति उत्सुकता पैदा करने के लिए महानायकों के जीवन पर फिल्म बनाने की जरूरत है. लेकिन उनमें अगर गड़बड़ियां की गईं, रिसर्च की कमी रही और तथ्यों को घुमाया गया तो लोग इन बायोपिक से मुंह फेर सकते हैं. जो बहुत-बहुत बुरी बात होगी. उम्मीद की जानी चाहिए की 'सायना' में पोस्टर जैसी गड़बड़ी नहीं होगी और यह बायोपिक आने वाली नस्लों को बैडमिंटन के मैदान पर लाने वाली फिल्म होगी.