Russia Ukraine War : यूरोप को तेल संकट से बचाने के लिए अमेरिका की नजर ईरान और वेनेजुएला पर
यूरोप को तेल संकट से बचाने के लिए अमेरिका की नजर ईरान और वेनेजुएला पर
जहांगीर अली
यूक्रेन (Ukraine) के खिलाफ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) का युद्ध पूरी वैश्विक व्यवस्था को बदल रहा है और इसकी वजह से अमेरिका (America) को अपनी भू-रणनीति को दोबारा तैयार करना पड़ रहा है. एक ओर पश्चिमी देश रूस को आर्थिक और सैन्य चोट पहुंचाने के लिए नई-नई रणनीतियां अपना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वाशिंगटन ने यूरोप में एनर्जी के संभावित कमी से निपटने के लिए कूटनीति के नए रास्ते खोल दिए हैं. जिस दिन अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन से रूस से तेल और अन्य एनर्जी साधन आयात करने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने की घोषणा की, उसी दिन राष्ट्रपति निकोलस मादुरो, जिन पर अमेरिका और यूरोपीय देशों ने प्रतिबंध लगाया था, की अगुवाई वाले वेनेजुएला ने दो अमेरिकी नागरिकों को अपनी कस्टडी से छोड़ दिया, जिससे इनके रिश्तों में सुधार के संकेत मिलते हैं.
अमेरिका वेनेजुएला के विपक्षी नेता जुआन गुएदो को इस देश का वास्तविक शासक मानता है. 2019 में अमेरिका ने मादुरो के साथ अपने संबंधों को खत्म कर दिया था. जिसके बाद वेनेजुएला के चीफ जस्टिस और अन्य उच्च अफसरों के साथ मादुरो पर पाबंदी लगा दी गई. इस कार्रवाई की वजह थी 2014, 2017 और 2018 में मादुरो शासन द्वारा जनता के विरोध का दमन करना, गुएदो सरकार को बेदखल करना, देश की कानून व्यवस्था को बिगाड़ना, खाद्य संकट और महंगाई.
सऊदी साम्राज्य दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक है
ऐसा लगता है कि यूक्रेन युद्ध की वजह से वाशिंगटन में रणनीतिक समीकरण बदल रहे हैं. पिछले सप्ताहांत अमेरिकी डिप्लोमेट कैराकस गए थे, जहां उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को दोबारा तैयार करने के लिए मादुरो से मुलाकात की थी. तीन वर्षों में यह पहली बार हुआ है, जब अमेरिका ने इस प्रतिबंध को हटाने की पेशकश की है, लेकिन इसकी शर्त है कि वेनेजुएला अमेरिका को ऑयल एक्सपोर्ट की गारंटी देगा.
कैराकस, ओपेक का हिस्सा है और मादुरो सरकार यह दावा करती है कि वह प्रतिदिन एक मिलियन बैरल क्रूड ऑयल का उत्पादन करती है. हालांकि, ओपेक के मुताबिक यह आंकड़ा 6.8 लाख बैरल प्रतिदिन है. अमेरिका और वेनेजुएला के रिश्तों में सुधार की असल वजह है सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के नेताओं का यूक्रेन और यूरोप के संभावित एनर्जी संकट पर अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन से बात करने से इनकार कर देना.
खबरों के मुताबिक, अमेरिका यह उम्मीद कर रहा है कि सऊदी साम्राज्य पश्चिमी देशों में एनर्जी संकट को कम करने के लिए अपना उत्पादन बढ़ाएगा. सऊदी साम्राज्य दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक है और इसे अमेरिका के करीब माना जाता है. लेकिन इन दोनों देशों के संबंधों में तब खटास आ गई थी जब सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खाशोगी की हत्या कर दी गई थी, जिन्हें सऊदी साम्राज्य का आलोचक माना जाता था.
वाशिंगटन और तेहरान के रिश्तों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है
जांचकर्ताओं ने जमाल की हत्या में सऊदी के वास्तविक शासक मोहम्मद बिन सलमान की भूमिका की तरफ इशारा किया, जिसके कारण वाशिंगटन की ओर से सलमान को नाराजगी झेलनी पड़ी. हालांकि, सऊदी ने इन आरोपों से इनकार कर दिया और इसकी वजह से अमेरिका-सऊदी अरब के संबंध तनावपूर्ण हो गए और प्रिंस सलमान, क्रूड ऑयल और अन्य ऊर्जा संसाधनों की बढ़ती कमी को दूर कर वाशिंगटन की मदद करने के लिए तैयार नहीं हैं. वियना में वाशिंगटन और तेहरान के रिश्तों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. वैसे तो ईरान के मौलवियों ने विश्व शक्तियों के साथ 2015 के परमाणु समझौते पर अपनी शर्तों से पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिया है और अमेरिका के रुख को परखने के लिए इस बीच मंगलवार (8 मार्च) को उन्होंने अपना दूसरा सैन्य सैटेलाइट लॉन्च किया. लेकिन अमेरिका, जो कुछ महीने पहले तेहरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने का विचार कर रहा था, अब तेहरान के साथ कूटनीतिक पहल करने की कोशिश कर रहा है.
तेहरान को अमेरिका के लिए खतरा बताने वाले इंटेलिजेंस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने तेहरान के परमाणु समझौते को सही बताया. मंगलवार को अमेरिका ने परमाणु एजेंसी IAEA को बताया, "JCPOA (Joint Comprehensive Plan of Action) के पूर्ण क्रियान्वयन पर आपसी सहमति के लिए ठोस कूटनीति तैयार करने के लिए हमारे पास बहुत कम समय बचा है." बयान में उम्मीद के साथ यह कहा गया, "यदि यह बातचीत सफल होती है तो यह सहमति अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी और ईरान के परमाणु कार्यक्रम के प्रति हमारे दृष्टिकोण के संबंध में एक नए युग की शुरआत होगी."
रूस प्रतिदिन 11 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल का उत्पादन कर दुनिया की 10 फीसदी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है. यूरोप का 30 फीसदी ऑयल और 39 फीसदी गैस इम्पोर्ट रूस से आता है. कई यूरोपीय देश तो ऐसे हैं जो क्रूड और अन्य ऊर्जा संसाधन के लिए रूस पर करीब 75 फीसदी निर्भर हैं. 2020 में रूस ने 7 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल का निर्यात किया, जिसमें से आधा हिस्सा पाइपलाइन और टैंकर के जरिए यूरोपीय देशों को भेजा गया और बाकी एशिया और दूसरे देशों में निर्यात किया गया.
2021 में ईरान ने प्रतिदिन 2.4 मिलियन बैरल तेल का उत्पादन किया और उम्मीद की जा रही है कि अमेरिका द्वारा पाबंदी हटाए जाने के बाद यह उत्पादन 4 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक हो सकता है. वेनेजुएला के उत्पादन के साथ ईरान से मिलनी वाली सप्लाई से मौजूदा एनर्जी संकट से निपटने में निश्चित रूप से मदद मिलेगी. लेकिन बदलते वैश्विक परिदृश्य में सप्लाई-चेन और ट्रेडिंग रूट के सवाल का जवाब मिलना अभी बाकी है. सबसे अहम बात तो यह है कि 'रूस को सबक सिखाने' के अमेरिकी और पश्चिमी देशों के खेल में ईरान किस हद तक शामिल होता है, यह देखने वाली बात होगी.