अफवाह फैलाने वाले कभी दंडित नहीं किए जाते क्योंकि वे अपने पीछे सबूत नहीं छोड़ते
यह भी महत्वपूर्ण बात है कि सुधीर की फिल्म ‘अफवाह’ के साथ अनुभव सिन्हा भी जुड़े हैं
जयप्रकाश चौकसे का कॉलम:
गौरतलब है कि फिल्मकार सुधीर मिश्रा 'अफवाह' नामक फिल्म बनाने जा रहे हैं, जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी और भूमि पेडनेकर अभिनय करने वाले हैं। गौरतलब है कि सुधीर, विधु विनोद चोपड़ा की पहली फिल्म 'खामोशी' में सहायक थे। उनकी फिल्म 'ये साली जिंदगी' भी सीमित सफलता ही पा सकी। इसी तरह उनकी 'धारावी' को भी कम संख्या में दर्शकों ने देखा परंतु एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी में साधारण व्यक्ति कितनी कठिनाइयों से जी रहा है यह चित्रण हिला कर रख देता है।
उनकी फिल्म 'चमेली' एक स्ट्रीट वॉकर की कथा है। उन्होंने शरत बाबू के 'देवदास' और पारो को अगली सदी के सामाजिक वातावरण में रखकर प्रस्तुत किया। पूना फिल्म संस्थान में प्रशिक्षित रेणु सलूजा फिल्म संपादन में अत्यंत माहिर थीं। एक दौर में विधु विनोद चोपड़ा ने रेणु सलूजा से ब्याह किया था परंतु यह विवाह अधिक समय तक नहीं चला। सुधीर ने चोपड़ा और सलूजा के अलगाव के एक वर्ष पश्चात रेणु सलूजा से विवाह किया।
माना जाता था कि अत्यंत बेतरतीब तरीके से शूट की गई फिल्मों को भी रेणु एक सिलसिला देकर फिल्म में नए प्राण फूंक देती थीं। यह दुर्भाग्य है कि रेणु कैंसर पीड़ित होकर इस दुनिया को अलविदा कह गईं। चोपड़ा और रेणु सलूजा में अलगाव हुआ परंतु विधिवत तलाक नहीं हुआ था, अत: मित्रों ने तय किया कि रेणु सलूजा की चिता को सुधीर मिश्रा और चोपड़ा दोनों मिलकर अग्नि दें और सारे संस्कार भी करें।
यह भी महत्वपूर्ण बात है कि सुधीर की फिल्म 'अफवाह' के साथ अनुभव सिन्हा भी जुड़े हैं। अफवाह बहुत ही विध्वंसक होती है। यह अणु बम से अधिक खतरनाक होती है। पुलिस विभाग के एक सेवानिवृत्त अफसर जो कुछ समय तक महात्मा गांधी वर्धा पाठशाला के प्रमुख भी रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया था कि अफवाह की एक चिंगारी किस तरह आग लगा सकती है, रिश्ते तोड़ सकती है।
इसी अफसर ने 'कर्फ्यू' नामक उपन्यास भी लिखा है। हॉलीवुड की फिल्म 'द रशियन आर कमिंग' में रूस द्वारा अमेरिका पर आक्रमण की अफवाह कितनी चीजें बदल देती है। तोपों में बारूद भर दी जाती है, सैनिकों की छुट्टियां निरस्त कर दी जाती हैं। यहां तक कि एक टूटी हुई पुरानी तोप में एक नन्हीं चिड़िया का घोंसला भी तोड़ दिया जाता है। दरअसल डरा हुआ, अपने में सिमटा हुआ और भयभीत आम आदमी अफवाह पर आसानी से विश्वास कर लेता है।
सुधीर मिश्रा की फिल्म अफवाह के विषय के बारे में विस्तार से कोई जानकारी अभी उपलब्ध नहीं हो पाई है परंतु इससे जुड़े हुए लोगों की प्रतिभा और ट्रैक रिकॉर्ड से एक विलक्षण सिनेमाई अनुभव की उम्मीद की जा सकती है। आम आदमी के भीतर के शून्य के कारण अफवाह फैलती है और अपने अंधड़ के बाद वीराना छोड़ जाती है। यहां तक कि जमीन की ऊर्जा सोख लेती है।
अफवाह के उद्गम का स्रोत कभी मालूम नहीं पड़ता। अफवाह का खंजर उन हाथों में होता है, जिन्होंने मजबूत दस्ताने पहने हैं। यह तो मतदाता को भी भरम में डाल सकती है। अफवाह फैलाने वाले कभी दंडित नहीं किए जाते क्योंकि वे अपने पीछे सबूत नहीं छोड़ते। आजकल अफवाह फैलाना एक व्यवसाय हो गया है और बदले में खूब पैसे भी मिलते हैं।