अक्षय ऊर्जा की संभावनाएं

अब तक एक सौ दस देश इस समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं और नब्बे देशों ने इस पर हस्ताक्षर की सहमति दी है। ऊर्जा जरूरतें पूरी करने के लिए अधिकतर परंपरागत स्रोतों का इस्तेमाल किया जाता है

Update: 2022-10-27 05:14 GMT

रंजना मिश्रा: अब तक एक सौ दस देश इस समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं और नब्बे देशों ने इस पर हस्ताक्षर की सहमति दी है। ऊर्जा जरूरतें पूरी करने के लिए अधिकतर परंपरागत स्रोतों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें पेट्रोलियम उत्पाद, कोयला, गैस, लकड़ी, गोबर, खेती की घास-फूस आदि ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय स्रोत शामिल हैं। जीवाश्म र्इंधन, जो हजारों सालों तक पृथ्वी के नीचे दबे पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के जीवाश्म से प्राप्त होते हैं, उनके भंडार सीमित हैं।

समय के साथ-साथ ऊर्जा जरूरतें बढ़ती और इन स्रोतों के समाप्त होने की स्थिति पैदा होती जा रही है। ऐसे में भारत सहित विश्व भर में ऊर्जा संकट गहरा रहा है। साथ ही जीवाश्म र्इंधन से पर्यावरण दूषित हो रहा है। पारंपरिक संसाधनों से प्राप्त होने वाली बिजली की कीमतें लगातार बढ़ने और विश्व भर में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा होने के चलते अब अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) या हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) की मांग बढ़ती जा रही है।

भारत की बढ़ती जनसंख्या के मुताबिक ऊर्जा जरूरतें पूरी करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। विकासशील अर्थव्यवस्था वाले भारत के औद्योगिक विकास और कृषि कार्यों हेतु शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है। इसलिए अब बिजली की नियमित आपूर्ति के लिए भारत को न्यूनतम लागत के साथ विद्युत उत्पादन में आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है, जिससे औद्योगिक विकास और अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में मदद मिलेगी। पर्यावरण प्रदूषण कम करने और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में सौर ऊर्जा एक महत्त्वपूर्ण विकल्प के रूप में मौजूद है। सौर ऊर्जा के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं।

भारत ने वर्ष 2030 तक साढ़े चार सौ गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इस साल तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित करने का प्रयत्न है, जिसमें खासतौर पर सौर ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किया गया है। अभी तक लगभग सत्तर गीगावाट सौर ऊर्जा भारत में स्थापित हो चुकी है और लगभग चालीस गीगावाट विभिन्न चरणों में बनाई जा रही है। इस तरह 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित करने के महत्त्वपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भारत लगातार आगे बढ़ रहा है और साथ ही दुनिया के दूसरे देशों का सहयोग भी कर रहा है।

आधुनिक विकास ने प्रकृति और पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचाई है। इसलिए अब सूर्य के प्रकाश के साथ जुड़ कर ही हम इस बिगड़े हुए प्राकृतिक संतुलन को साध सकते हैं। सूर्य कभी अस्त नहीं होता, उसकी रोशनी दुनिया के किसी न किसी कोने में हर समय पहुंचती रहती है। विश्व के कई ऐसे देश हैं, जहां सूर्य का प्रकाश भरपूर मात्रा में पहुंचता है, लेकिन प्रौद्योगिकी और संसाधनों की कमी के कारण वहां सौर ऊर्जा का उपयोग नहीं हो पा रहा।

उन्नत तकनीक की उपलब्धता, आर्थिक संसाधन, कीमतों में कमी, भंडारण तकनीक का विकास, बड़े पैमाने पर निर्माण और नवोन्मेष जैसे सभी जरूरी संसाधन सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बहुत आवश्यक हैं। पूरे विश्व में सौर ऊर्जा की आपूर्ति करने वाला एक राष्ट्रपारीय बिजली ग्रिड विकसित करने के उद्देश्य से, दुनिया भर के सभी देशों को एक साथ लाने का प्रयास 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' प्रोजेक्ट के माध्यम से किया जा रहा है। भारत की इस महत्त्वाकांक्षी सौर ऊर्जा परियोजना का उद्देश्य सामान्य संसाधनों का उपयोग करके बुनियादी ढांचे और सौर ऊर्जा के लाभों को वैश्विक सहयोग के माध्यम से साझा करना है। यह अंतरराष्ट्रीय ग्रिड विश्व भर में उत्पन्न सौर ऊर्जा को विभिन्न केंद्रों तक पहुंचाएगी।

नवीकरणीय ऊर्जा, खासकर सौर ऊर्जा के लिए विश्व के अन्य देशों के साथ सहयोग बहुत जरूरी है और इसी के लिए अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना की गई है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन एक संधि-आधारित अंतरराष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका प्रमुख उद्देश्य सदस्य देशों को सस्ती दरों पर सौर तकनीक का प्रबंध कराना और इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है।

अब तक एक सौ दस देश इस समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं और नब्बे देशों ने इस पर हस्ताक्षर की सहमति दी है। भारत सरकार, ब्रिटेन और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन ने विश्व बैंक के सहयोग से वर्ष 2021 में अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन काप-26 के दौरान वैश्विक ग्रीन ग्रिड इनीशिएटिव वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड का शुभारंभ किया था। इस परियोजना में सदस्य देश प्रौद्योगिकी, वित्त और कौशल के जरिए नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों में निवेश आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

सभी देशों के सहयोग से इस परियोजना की लागत में कमी आएगी, इसकी क्षमता में बढ़ोतरी होगी और सभी को इसका लाभ प्राप्त होगा। 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' के तहत क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक दूसरे से जुड़े हुए ग्रीन ग्रिड के माध्यम से विभिन्न देशों के बीच ऊर्जा साझा करने और ऊर्जा आपूर्ति में संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। इस परियोजना के तीन चरण हैं, जिनमें से पहले चरण में मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच हरित ऊर्जा स्रोतों, जैसे कि सौर ऊर्जा को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। दूसरे चरण में एशिया में जोड़े हुए ग्रिडों को अफ्रीका से जोड़ा जाएगा और तीसरे चरण में वैश्विक स्तर पर विद्युत ग्रिडों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

सौर ऊर्जा स्वच्छ ऊर्जा होने के साथ-साथ सबसे सस्ती है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और अंतरराष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, यह पूरे विश्व में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी मुहैया करा रही है। नवीकरणीय ऊर्जा और रोजगार वार्षिक समीक्षा 2022 नामक इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले वर्ष करीब एक करोड़ सताईस लाख लोगों को नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्राप्त हुए। कोविड महामारी और ऊर्जा संकट के बावजूद लगभग सात लाख लोगों को नई नौकरियां प्राप्त हुर्इं। 2021 में इस क्षेत्र में लगभग तैंतालीस लाख रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए। दरअसल, सौर ऊर्जा का क्षेत्र बहुत तेजी से वृद्धि करने वाला क्षेत्र माना जाता है।

तेल के सीमित भंडार के कारण पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की जगह अब इलेक्ट्रिक वाहन ले रहे हैं और इस दिशा में लगातार नए प्रयोग किए जा रहे हैं। विभिन्न कंपनियां डीजल-पेट्रोल पर निर्भरता कम करने और इनके प्रदूषण से पर्यावरण को बचाने के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाले वाहन बना रही हैं। हालांकि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व के सामने कई बड़ी चुनौतियां भी हैं।

जैसे इसके कार्यान्वयन के लिए बड़ी चुनौतियों में से एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में स्थित ग्रिड बनाए रखना होगा। बिजली ग्रिड दुर्घटनाओं, साइबर हमलों और मौसम की चपेट में आ सकता है। इसके सदस्य देशों में अमीर और गरीब दोनों देश शामिल हैं, जिससे लागत साझाकरण का तंत्र भी चुनौतीपूर्ण होगा। सौर परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए मजबूत वित्तीय उपायों को अपनाने की आवश्यकता है, हरित बांड, संस्थागत ऋण और स्वच्छ ऊर्जा निधि जैसे अभिनव प्रयास महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने की जरूरत है, विशेषकर भंडारण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में। सौर अपशिष्ट प्रबंधन और विनिर्माण हेतु भारत को एक मानक नीति अपनाने की जरूरत है। उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन तथा 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' जैसे कदम और सभी देशों के आपसी सहयोग तथा प्रयासों के चलते हम अगली पीढ़ी को एक बेहतर भविष्य दे सकते हैं, जिसमें सूर्य के प्रकाश से मिलने वाली असीमित सौर ऊर्जा का लाभ सबको मिलता रहे।

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