बदले के लिए बलात्कार! क्या वाकई औरत ही औरत की दुश्मन है?

दिल्ली में एक तरफ़ गणतंत्र का जश्न मनाया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ़ इसी दिल्ली में हैवानियत का नंगा नाच चल रहा था

Update: 2022-01-28 15:10 GMT
दिल्ली में एक तरफ़ गणतंत्र का जश्न मनाया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ़ इसी दिल्ली में हैवानियत का नंगा नाच चल रहा था. शाहदरा के कस्तूरबा नगर इलाके में एक 20 साल की लड़की के साथ जो हैवानियत की गई, इससे हर किसी का सर शर्म से झुक गया. देश की राजधानी की लड़की से सामूहिक दुष्कर्म किया गया, उसके बाद उसके चेहरे पर कालिख पोती गई और जूतों की माला पहनाकर उसे सड़क पर घुमाया गया.
इस मामले में सबसे शर्मनाक पहलू ये है कि इस वारदात में पुरुषों का साथ महिलाओं ने दिया. आरोप है कि जब पुरुष युवती के साथ दुष्कर्म कर रहे थे, तो दूसरी तरफ़ महिलाएं उन्हें उकसा रही थीं. सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें साफ़ नज़र आ रहा है कि महिलाएं पीड़ित युवती के चेहरे पर कालिख पोतकर उसके साथ मारपीट करती हैं और उसे सरेआम घुमाती हैं.
हैरानी ये कि वीडियो में साफ़ दिख रहा है कि भी़ड़ पीड़ित को बचाने के बदले तालियां बजा रही है. किसी ने भी पीड़ित महिला को बचाने की कोशिश नहीं की.
देश की राजधानी में हुई इस घटना ने हंगामा खड़ा कर दिया है. इस मामले में पुलिस ने 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिसमें 9 महिलाएं शामिल हैं. नफ़रत की आड़ में अंधी इन आरोपी महिलाओं ने ज़रा भी नहीं सोचा कि वो क्या कर रही हैं. कहा जा रहा है आरोपी परिवार के एक युवक ने पिछले साल आत्महत्या कर ली थी, जिसके लिए ये परिवार पीड़ित महिला को ज़िम्मेदार मानता है. युवक की आत्महत्या का बदला लेने की नीयत से इस वारदात को अंजाम दिया गया है.
आरोप है कि महिलाओं के उकसाने पर ही दो नाबालिग और एक लड़के ने महिला के साथ गैंगरेप किया, उसके प्राइवेट पार्ट्स में मिर्ची पाउडर डाला.
ये घटना की गांव खेड़े या दूरस्थ ग्रामीण इलाके की नहीं है, बल्कि देश की राजधानी की है. वीडियो में आरोपी महिलाएं अच्छे परिवार की लग रही हैं. लेकिन, ये जो वारदात हुई है, उससे सब सन्न रह गए हैं. बदला लेने के लिए महिलाओं से हैवानियत की सारी हदें पार कर दी और खुद ये भूल गईं कि वो भी महिला हैं. कहा ये भी जा रहा है कि आरोपी नशे का कारोबार करते हैं. महिला होने के नाते मैं शर्मिंदा हूं कि इस वारदात में महिलाएं शामिल रही हैं.
हालांकि बदला लेने के लिए महिलाओं के साथ बलात्कार ये कोई पहली घटना नहीं है. पितृसत्ता में बदला इसी तरह लिया जाता है. पुरुष का अहंकार यहीं करता है. महिला से बदला उसके साथ बलात्कार कर लिया जाता है, उसे सरेआम ज़लील कर लिया जाता है. हैरानी इस बात कर कतई नहीं कि इसमें महिलाएं शामिल हैं क्योंकि पितृसत्ता की जड़ें इतनी गहरी हैं कि महिलाओं को खुद पता नहीं चलता है कि वो इसकी वाहक बन गई हैं.
आरोपी महिलाओं के हौसले कितने बुलंद थे ये वीडियो से साफ़ है. वो दिल्ली जैसे बड़े शहर की गलियों में एक लड़की का बलात्कार करवाती हैं, उसके बाल काटती हैं और उसका मुंह काला कर उसे सड़क पर घुमाती हैं, उन्हें किसी का ख़ौफ़ नहीं रहा. लड़के ने खुदकुशी की उसके लिए लड़की को ज़िम्मेदार मानकर ये सज़ा मुकर्रर की गई. आरोपी औरतों ने जो हैवानियत की, उसके के लिए वो कड़ी सज़ा की हक़दार हैं. इस घटना ने दिल्ली ही नहीं देश को भी शर्मिंदा किया है.
महिला ही महिला की दुश्मन है, ये लाइन हमेशा बोली जाती है, जबकि इसकी हकीकत कुछ और है. लेकिन, इस घटना ने इस तरह की सोच रखने वालों को एक मौका और दिया है. महिलाएं नफ़रत में, बदला लेने में इतनी अंधी हो गईं की वो ये भूल गईं कि वो खुद महिला हैं. इस अपराध में कोई एक महिला शामिल नहीं हैं बल्कि परिवार की तमाम महिलाएं शामिल हैं, किसी एक महिला ना भी क्या इस घिनौने अपराध को रोकने या अपने परिवार को ऐसा करने से रोकने की कोशिश नहीं की.
बलात्कार जैसा घिनौना अपराध जो एक महिला की उसके परिवार की पूरी ज़िंदगी बदल देता है, इसको करवाने से पहले महिलाओं ने महिला होकर नहीं सोचा होगा क्या. सवाल बहुत से हैं, बदला लेने का ये तरीका बहुत पुराना है लेकिन इसमें महिलाओं ने जो किया वो हिलाकर रखने वाला है.
महिला होने के नाते में शर्मिंदा हूं इस घटिया, घिनौनी वारदात में महिलाओं के शामिल होने से. महिलाओं के अंदर की ये कौन से मर्दानिगी है जो एक एकेली महिला पर निकली. आरोपी महिलाएं गिरफ़्तार हो गई हैं उन्हें सज़ा भी मिल जाएगी लेकिन ये घटना साबित कर रही है कि महिलाओं में भी पितृसत्ता की जड़े कितनी गहरी हैं.


(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
निदा रहमान पत्रकार, लेखक
एक दशक तक राष्ट्रीय टीवी चैनल में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी. सामाजिक ,राजनीतिक विषयों पर निरंतर संवाद. स्तंभकार और स्वतंत्र लेखक.
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