जंग का दायरा
बीच में कई बार ऐसे हालात पैदा भी हुए जब युद्ध रुकने की उम्मीद पैदा हुई। लेकिन पिछले तीन-चार दिनों में जो घटनाक्रम सामने आया है, उसमें अब रूस और यूक्रेन के बीच की जंग एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई लगती है।
Written by जनसत्ता; बीच में कई बार ऐसे हालात पैदा भी हुए जब युद्ध रुकने की उम्मीद पैदा हुई। लेकिन पिछले तीन-चार दिनों में जो घटनाक्रम सामने आया है, उसमें अब रूस और यूक्रेन के बीच की जंग एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई लगती है।
सोमवार को देर रात रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव के अलावा नौ अन्य शहरों पर तिरासी मिसाइलें दागीं, जिसमें कई लोगों को मरने और घायल होने की खबर आई है। रूस के रुख का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि ताजा हमलों के बाद रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कहा कि अगर यूक्रेन ने रूस के शहरों और एटमी ठिकानों को निशाना बनाया तो आगे अंजाम भयानक होगा। गौरतलब है कि शनिवार को क्रीमिया के एक पुल के एक हिस्से को उड़ा दिया गया था, जिसके लिए रूस ने यूक्रेन को जिम्मेदार बताया।
माना जा रहा है कि रूस की ओर से किया गया ताजा हमला उसी का जवाब है, जिसमें यूक्रेन के अंदरूनी हिस्से में काफी जानमाल का नुकसान हुआ है। इससे एक बार फिर इस बात की आशंका खड़ी हो गई है कि कहीं यह युद्ध व्यापक दायरे में न फैल जाए और उसका खमियाजा यूक्रेन के साथ-साथ दूसरे देशों को भी न भुगतना पड़े। यों वैश्विक मंचों और अलग-अलग देशों की ओर से चल रही कूटनीतिक वार्ताओं के जरिए इस बात की कोशिश की जा रही थी कि किसी तरह रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को खत्म किया जाए।
भारत ने भी अलग-अलग मौके पर दोनों देशों को यह सलाह दी कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है; आपसी बातचीत के जरिए ही समाधान की राह तलाशी जा सकती है। लेकिन ऐसा लगता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे प्रयासों का फिलहाल रूस या यूक्रेन के रुख पर कोई असर नहीं पड़ा है। एक ओर युद्ध से होने वाले नुकसान के लिए रूस के रवैए की आलोचना करने के बावजूद यूक्रेन भी युद्ध को खत्म करने को लेकर कोई अतिरिक्त उत्साह नहीं दिखा रहा है और मौका मिलते ही रूस को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, वहीं रूस भी कोई वजह या बहाना मिलते ही यूक्रेन पर अपने हमले तेज कर देता है।
हाल ही में यूक्रेन पर अपने कब्जे वाले इलाकों को रूस ने मिला लेने की घोषणा की थी और वहां जनमत संग्रह भी करवा लिया। लेकिन यह मसला जब संयुक्त राष्ट्र में पहुंचा, तब कई देशों ने रूस का विरोध किया। संयुक्त राष्ट्र में कई मसलों पर रूस के विरोध में जाने से बचने के बावजूद भारत ने इस बार रूस की गुप्त मतदान की मांग के खिलाफ वोट दिया।
दूसरी ओर, भारत ने यूक्रेन में बढ़ते संघर्ष को लेकर चिंता भी जताई है। जाहिर है, इस बार भारत का स्पष्ट रुख रूस के लिए शायद चौंकाने वाला हो। यों यह समझना मुश्किल है कि रूस या यूक्रेन, दोनों ही युद्ध के मौजूदा स्वरूप में चलते रहते किस समस्या का हल निकाल लेंगे! इससे यह जरूर हो रहा है कि खासतौर पर यूक्रेन में आम जनता पिस रही है, भारी पैमाने पर तबाही हो रही है। खतरा इस बात का है कि अगर किन्हीं हालात में यह युद्ध यूक्रेन की सीमा से बाहर फैला तो वैश्विक स्तर पर होने वाले नुकसान की कल्पना भी मुश्किल है।