हद पार करते राहुल: न सिर्फ पीएम मोदी के प्रति अभद्र भाषा का इस्तेमाल, बल्कि सेना का भी कर रहे अपमान
लेकिन उनकी निंदा करने के लिए अब वह जैसी सड़कछाप भाषा का इस्तेमाल करने लगे हैं
यह किसी से छिपा नहीं कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फूटी आंख नहीं सुहाते, लेकिन उनकी निंदा करने के लिए अब वह जैसी सड़कछाप भाषा का इस्तेमाल करने लगे हैं और बिना किसी शर्म-संकोच उसमें इजाफा करते जा रहे हैं, वह अकल्पनीय है। किसी के लिए भी समझना कठिन है कि आखिर राहुल गांधी इतनी क्षुद्रता पर क्यों उतर आए हैं और इससे उन्हेंं हासिल क्या हो रहा है? यदि वह अथवा उनके सहयोगी यह समझ रहे हैं कि गाली-गलौज वाली भाषा का इस्तेमाल करने से उनकी लोकप्रियता बढ़ जाएगी तो यही कहा जा सकता है- विनाशकाले विपरीत बुद्धि। राहुल गांधी मोदी सरकार और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राजनीतिक हमला करने के लिए किस कदर आतुर रहते हैं, इसका ताजा और शर्मनाक उदाहरण है चीन से सैन्य तनाव घटाने संबंधी समझौते के मामले में उनका बेतुका और तथ्यों की अनदेखी करने वाला बयान। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बयान सामने आने के बाद ही राहुल गांधी ने इस समझौते को चीन के समक्ष मोदी का समर्पण करार दिया। शायद उनका इतने से मन नहीं भरा तो उन्होंने नए सिरे से प्रधानमंत्री के खिलाफ भड़ास निकाली। उन्होंने प्रधानमंत्री को कायर बताते हुए यह भी कहा कि गद्दारों ने भारत माता को चीरकर एक टुकड़ा चीन को दे दिया। हैरानी है कि राहुल यह सब कहते हुए 1962 में चीन की ओर से हड़पी गई जमीन को कैसे भूल गए?