जवाब में केजरीवाल ने कहा था कि हम पंजाब में इनके बिना जीत नहीं सकते। यह संगठन पार्टी को चंदा भी देता है। चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा।' केजरीवाल ने एक स्वतंत्र सूबे का पहला प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बनने का सपना भी पार्टी के उस मंच पर साझा किया था। यह खुलासा पंजाब चुनाव में 'शोलों' की तरह भड़का। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने केजरीवाल से स्पष्टीकरण मांगा कि वह आतंकियों के साथ हैं या नहीं! मुख्यमंत्री चन्नी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिख कर गहन जांच की मांग की। मुद्दा अलगाववाद और खालिस्तान का बन गया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सार्वजनिक बयान देकर जांच कराने का आश्वासन भी दे दिया। प्रधानमंत्री ने पंजाब की जनसभाओं में कहा कि कांग्रेस और 'आप' एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं। पंजाब की सुरक्षा उनके हाथों में सुरक्षित नहीं हो सकती। हालांकि हम कुमार विश्वास के संगीन आरोपों की पुष्टि नहीं करते, लेकिन मुद्दा ऐसा बन गया है, जिस पर देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने संज्ञान लिया है। उस दौर में कई और नेता 'आप' के साथ जुड़े थे, सांसद तक बने थे, लेकिन केजरीवाल की सियासत से असहमति के कारण सभी पार्टी छोड़ गए। डा. विश्वास भी गैर-राजनीतिक हो गए और आज वह एक विख्यात कवि हैं। उन्हें 'आप' वाले धमकियां दे रहे हैं, लिहाजा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें 'वाई' श्रेणी की सुरक्षा देने का निर्णय लिया है। हालांकि किसी भी दल और नेता ने केजरीवाल को निजी तौर पर 'आतंकवादी' करार नहीं दिया, लेकिन वह खुद को 'स्वीट आतंकवादी' मान रहे हैं।
केजरीवाल ने पंजाब में 'हिंदू असुरक्षित' हैं, यह बयान देकर स्पष्ट किया है कि वह धर्म और संप्रदाय के आधार पर भी चुनाव लड़ सकते हैं। यह चुनाव 'आप' के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि पंजाब के ग्रामीण अंचलों और नौजवानों में पार्टी की खूब चर्चा है। अब केजरीवाल की कथित अलगाववादी छवि के बाद पंजाबियों का मानस कितना बदलता है, यह मतदान और जनादेश से ही स्पष्ट होगा। बहरहाल मुख्यमंत्री चन्नी का बयान भी घोर आपत्तिजनक है। पंजाब यूपी, बिहार के प्रवासियों की मेहनत के बिना अधूरा है। सीजन के दौरान करीब 5 लाख प्रवासी पंजाब के खेतों, ढाबों और कारखानों में काम करते हैं। क्योंकि पंजाब में नौजवान विदेश पलायन कर जाते हैं, लिहाजा उनके विकल्प के तौर पर भी प्रवासी काम करते हैं। कोई भी उन्हें 'भइया' करार देकर पंजाब से बाहर रखने का आह्वान नहीं कर सकता, क्योंकि भारत एक अखंड देश है। उसका नागरिक देश के किसी भी हिस्से में काम करने जा सकता है। पंजाबी भी दूसरे राज्यों में जाते हैं और रोजगार करते हैं। यह 'इलाकावाद' की राजनीति स्वीकार्य नहीं हो सकती। कांग्रेस को मुख्यमंत्री के बयान पर स्पष्टीकरण देने पड़ रहे हैं, लेकिन भाजपा और अकाली दल ने यह बयान लपक लिया है और उसकी राजनीतिक व्याख्या कर रहे हैं। इसका भी सियासी फलितार्थ सामने आना चाहिए। बहरहाल पंजाब में नशा, नौजवानों का पलायन, माफियावाद, बिजली संकट, गिरता जल-स्तर और राज्य पर बढ़ते कर्ज का बोझ आदि कई मुद्दे हैं, जिन पर चुनाव तय होगा।