सुरक्षा का टीका

पिछले दो साल से पूरी दुनिया सहित भारत में कोरोना संक्रमण की वजह से कैसे हालात पैदा हुए, कितने बड़े पैमाने पर लोग बीमार हुए, कितनों की जान चली गई, यह एक जगजाहिर हकीकत है।

Update: 2022-03-16 04:30 GMT

Written by जनसत्ता: पिछले दो साल से पूरी दुनिया सहित भारत में कोरोना संक्रमण की वजह से कैसे हालात पैदा हुए, कितने बड़े पैमाने पर लोग बीमार हुए, कितनों की जान चली गई, यह एक जगजाहिर हकीकत है। दुनिया को इस त्रासदी का गवाह इसलिए बनना पड़ा कि तब तक इस संक्रमण का कोई मुकम्मल इलाज नहीं था। हालांकि संक्रमण के बाद रोग का सामना करने के लिए कुछ दवाइयां प्रोटोकाल के तहत दी गर्इं और उससे बहुत सारे लोगों को बचाया जा सका।

लेकिन इस मामले में असली जटिलता यह थी कि वह कौन-सा उपाय हो, ताकि इसके संक्रमण की चपेट में आने से लोगों को बचाया जा सके। जाहिर है, इसके लिए सबसे बेहतर रास्ता यह माना गया कि कोरोना विषाणु की रोकथाम के लिए जो टीके तैयार किए जा रहे हैं, उनका सहारा लिया जाए और ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीकाकरण के दायरे में लाया जाए। इसके लिए सरकार ने समूचे देश में टीकाकरण की एक व्यापक योजना शुरू की, जिसके तहत अब तक देश भर में टीके की एक सौ अस्सी करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं।

इस क्रम में शुरुआत से ही यह ध्यान रखा गया कि टीकाकरण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आयुवर्ग के मुताबिक लोगों का चयन किया जाए। यह व्यवस्था वरिष्ठ नागरिकों से होते हुए कम आयुवर्ग के लिए होती गई, जिसके तहत पंद्रह से अठारह साल वालों को भी टीका दिया गया। सोमवार को सरकार ने टीकाकरण कार्यक्रम को विस्तार देते हुए यह घोषणा की कि अब बारह से चौदह साल के बच्चों को भी टीका दिया जाएगा। यानी अब इस आयुवर्ग के बच्चे भी टीका लगवाने के पात्र होंगे।

जाहिर है, सरकार का यह मानना है कि कोरोना विषाणु के संक्रमण की कोई निश्चित प्रकृति नहीं रही है, इसलिए समय के साथ उसकी चपेट में बच्चे भी आ सकते हैं। इसलिए उन्हें भी टीकाकरण के जरिए सुरक्षित बनाया जाए। इसके अलावा, सरकार ने उन बुजुर्गों के लिए टीके की एहतियाती खुराक देने की घोषणा की है, जिन्होंने पहले दो खुराक ले ली है। माना जा रहा है कि चूंकि कोविड-19 से ग्रसित होने के लिहाज से बुजुर्ग ज्यादा संवेदनशील होते हैं, इसलिए टीके की दोनों खुराक के बाद तीसरी और एहतियाती खुराक लेने से कोरोना विषाणु के संक्रमण के खतरे से बचाव में ज्यादा मदद मिलेगी!

हालांकि पिछले कुछ समय से कोरोना विषाणु के संक्रमण की रफ्तार में काफी कमी आई है। मौजूदा हालात को देखते हुए इसे एक सीमा तक सुरक्षित स्थिति के तौर पर देखा जा रहा है। यही वजह है कि कई राज्यों में कोरोना से बचाव के लिए घोषित सख्त नियम-कायदों और पाबंदियों में काफी राहत दी गई है। लेकिन यह ध्यान रखने की जरूरत है कि कोरोना और उसके अलग-अलग बहुरूप के संक्रमण की जो प्रकृति रही है, उसके मुताबिक अगर इससे बचाव और सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरती गई तो उसके गंभीर नतीजे सामने आ सकते हैं।

इसलिए देश भर में जहां भी कोरोना से संबंधित प्रतिबंधों में छूट दी गई है, वहां इससे बचाव के लिए एहतियात बरतने के भी निर्देश भी दिए गए हैं। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि कोरोना से बचाव के लिए जो पाबंदियां लगाई थीं, उसका देश की समूची अर्थव्यवस्था से लेकर कई स्तरों पर गहरा प्रभाव पड़ा था, मगर वह वक्त की जरूरत थी। अब अगर हालात में कुछ सुधार दिख रहा है तो इसकी वजह यही है कि वक्त पर बचाव और टीकाकरण जैसे एहतियाती कदमों के साथ महामारी का सामना किया गया।


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