रिक्त पद भरने की तैयारी: सामाजिक समरसता के उद्देश्य को हासिल करने के लिए आरक्षित पदों को भरने का काम हो प्राथमिकता के आधार पर
उन्हें यह आभास होना चाहिए कि लाखों की संख्या में रिक्त पद प्रशासनिक व्यवस्था को कमजोर करने का ही काम करते हैं।
एक ऐसे समय जब नौकरियों का सवाल सिर उठाए हुए है, तब यह सूचना राहत देने वाली है कि केंद्र सरकार रिक्त पदों को भरने की तैयारी कर रही है। एक अनुमान के अनुसार अकेले केंद्र सरकार में लाखों पद रिक्त हैं। चूंकि इनमें करीब 50 हजार पद वे है, जो एक लंबे अर्से से रिक्त हैं इसलिए समय-समय पर यह सवाल उठता रहा है कि आखिर इन बैकलाग पदों पर भर्ती करने में देरी क्यों हो रही है? यह अच्छी बात है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह ओबीसी आरक्षण के तहत आने वाले बैकलाग पदों को भी भरने की निगरानी करे, लेकिन उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि इस लंबित काम में और देरी न होने पाए। यह अपेक्षा इसलिए, क्योंकि एक अर्से से यह देखने में आ रहा है कि एक ओर ओबीसी आरक्षण की वकालत की जाती है और दूसरी ओर इस वर्ग के लिए आरक्षित पदों को समय रहते भरने में हीलाहवाली की जाती है। आम तौर पर ऐसा दिखावे की राजनीति के तहत होता है। इस राजनीति के तहत ऐसे दावे तो खूब किए जाते हैं कि सरकार ओबीसी के हितों के प्रति प्रतिबद्ध है, लेकिन यह प्रतिबद्धता तब नजर नहीं आती, जब ओबीसी कोटे के रिक्त पदों को भरने की बारी आती है। यही स्थिति अनुसूचित जाति एवं जनजाति कोटे के पदों के मामले में भी दिखती है। इससे वंचित-पिछड़े तबकों के हितों की अनदेखी ही नहीं होती, बल्कि उन्हें बराबरी पर लाने के प्रयासों पर पानी भी फिरता है।