Power Crisis: सिर उठाता बिजली संकट को दूर करने के लिए रेलवे ने संभाला मोर्चा

ओपिनियन

Update: 2022-05-01 04:23 GMT
बढ़ती गर्मी के बीच देश के कई हिस्सों में बिजली संकट गहराने की खबरें चिंता का कारण हैं। बिजली संकट का एक कारण कोयले की कमी बताया जा रहा है, लेकिन केंद्रीय कोयला मंत्री की मानें तो देश में पर्याप्त कोयला मौजूद है। यदि वास्तव में ऐसा है तो फिर कुछ राज्यों में बिजली कटौती की शिकायतें क्यों आ रही हैं? प्रश्न यह भी है कि यदि कोयले से संचालित बिजलीघर उसकी कमी का सामना नहीं कर रहे हैं तो फिर रेलवे को कोयले की ढुलाई के लिए विशेष व्यवस्था क्यों करनी पड़ रही है?
बिजलीघरों को कोयले की आपूर्ति करने के लिए जिस तरह कई यात्री ट्रेनों को रद किया गया, उससे तो यही लगता है कि कहीं कोई समस्या है। वस्तुस्थिति को स्पष्ट किया जाना चाहिए, ताकि न तो किसी संशय की गुंजाइश रहे और न ही केंद्र और राज्यों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की। वैसे भी यह समय आरोप-प्रत्यारोप का नहीं, केंद्र और राज्यों को मिलकर ऐसी व्यवस्था करने का है, जिससे बिजली संकट वैसा रूप न लेने पाए, जिसकी आशंका जताई जा रही है। इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में बिजली की मांग और बढ़ने के ही आसार हैं।
यदि मांग के अनुरूप बिजली की आपूर्ति नहीं हुई तो इसका बुरा असर उद्योग-धंधों पर भी पड़ेगा।यह पहली बार नहीं जब कोयले की कमी के कारण बिजली संकट गहराने का शोर मचा हो। कुछ समय पहले भी ऐसा हुआ था। संयोग से तब समय रहते बिजली संकट को गहराने से रोक लिया गया था। तब कोयले की कमी का कारण बारिश में उसका भीग जाना और समय पर उसका आयात न किया जाना था। इस बार यूक्रेन संकट के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले के साथ-साथ गैस के दाम भी बढ़ गए हैं। इससे गैस आधारित बिजली संयंत्र भी वैसे ही संकट से दो-चार बताए जा रहे, जैसे कोयला आधारित बिजलीघर।
यह संभव है कि बिजली कंपनियां महंगे कोयले का आयात करने से बच रही हों, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयला महंगा होने का यह मतलब नहीं हो सकता कि बिजली का उत्पादन कम कर दिया जाए और वह भी तब, जब उसकी मांग बढ़ रही हो। चूंकि अपने देश में बिजली का अधिकांश उत्पादन कोयला आधारित बिजलीघरों से होता है, इसलिए कोयले की आपूर्ति पर विशेष निगरानी रखी जानी चाहिए।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय 
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