पीएम ने राज्यों को संकट से उबारने के साथ ही टीकाकरण पर सस्ती राजनीति पर लगाया विराम
राष्ट्र के नाम संबोधन के माध्यम से प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट करके राज्यों को संकट से उबारने के साथ ही टीकाकरण को
राष्ट्र के नाम संबोधन के माध्यम से प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट करके राज्यों को संकट से उबारने के साथ ही टीकाकरण को लेकर हो रही सस्ती राजनीति पर भी विराम लगाने का काम किया कि दो सप्ताह बाद यानी 21 जून से राज्य सरकारों को टीका खरीदने की कोई आवश्यकता नहीं रह जाएगी। ज्ञात हो कि अभी तक टीका निर्माताओं से कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार, 25 प्रतिशत राज्य सरकारें और शेष 25 प्रतिशत निजी अस्पताल खरीद रहे थे। अब राज्यों के 25 प्रतिशत हिस्से की खरीद भी केंद्र ही करेगा। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हुआ कि राज्यों के हिस्से की 25 प्रतिशत खरीद किस दाम पर होगी, लेकिन इसे लेकर किसी को और खासकर राज्यों को सिर खपाने की जरूरत नहीं, क्योंकि अब उन्हें केंद्र से ये अतिरिक्त 25 प्रतिशत टीके भी मुफ्त ही मिलेंगे। चूंकि अब केंद्र और राज्यों के लिए टीके के अलग-अलग दाम का कोई सवाल नहीं रह गया है, इसलिए उम्मीद की जाती है कि सुप्रीम कोर्ट की आपत्तियां भी खत्म हो जाएंगी। प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद टीका खरीद को लेकर उपजे भ्रम के माहौल और राज्यों की शिकायतों का भी समाधान हो जाना चाहिए। ये शिकायतें राजनीति प्रेरित अधिक थीं, इसकी ओर संकेत करके प्रधानमंत्री ने यह रेखांकित करके सही किया कि राज्य अब सारा ध्यान टीकाकरण पर लगाएं। उन्हें ऐसा करना भी चाहिए, क्योंकि कई राज्य ज्यादा से ज्यादा टीका लगाने पर ध्यान देने और उनकी बर्बादी रोकने के बजाय इस पर ध्यान केंद्रित किए हुए थे कि टीकाकरण नीति को लेकर केंद्र को कैसे कठघरे में खड़ा किया जाए?