PKL 2021-22: तमिल थलाइवाज ने अपने प्रदर्शन से चौंकाया, दबंग दिल्ली के नवीन ने रचा इतिहास
प्रो कबड्डी सीजन 8 के लीग दौर का तकरीबन एक तिहाई सफर पूरा होने को है
प्रो कबड्डी सीजन 8 के लीग दौर का तकरीबन एक तिहाई सफर पूरा होने को है और पहले 6 जगहों पर शामिल होने के साथ लीग खत्म करने की कवायद लगातार तेज होती जा रही है. शनिवार को ट्रिपल हेडर का दिन था और कल तक सभी टीमों के सात-सात मुकाबले पूरे हो चुके हैं. बेंगलुरु बुल्स, दबंग दिल्ली और पटना पायरेट्स टॉप 3 मे काबिज हैं, यह अलग बात है कि हर मुकाबले के बाद उनकी स्टैन्डिंग मे थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव दिखाई देता है. शनिवार से पहले तक बेंगलुरु टॉप पर था, तो कल फिर दबंग दिल्ली (Dabang Delhi) ने टॉप सीट पर हाथ साफ कर लिया. चौंकाया तमिल थलाइवाज (Tamil Thalaivas) ने है, जो इस समय पॉइंट्स टेबल मे 5वीं पायदान पर है. थलाइवाज पिछले तीन सीजन मे सबसे निचली पायदान पर थे, लेकिन इस बार इस टीम ने अद्भुत माद्दा दिखाया है. यह वही टीम है, जिसमें पिछले सीजन अनुभवी खिलाड़ियों की जमात थी, लेकिन नतीजा सिफर था. हैरत की बात यह कि उन्ही तजुर्बे के खिलाड़ियों का कोर अब दिल्ली मे दिखाई देता है, लेकिन दिल्ली उन्हीं के साथ बेहतर भी कर रही है. तो आखिर ऐसा क्या है जो किसी भी अन्य खेल की तरह कबड्डी में भी बेहद अहम है.
दबंग दिल्ली के डिफेंडरों ने दिखाया कमाल
जाहिर है किसी भी टीम का ताना बाना सिर्फ खिलाड़ियों से नहीं बनता, बल्कि उस टीम को संचालित करने वाले प्रबंधन और फ्रेंचाइजी से मिलकर भी बनता है. अगर किसी टीम में सीनियर प्लेयर्स ज्यादा है तो वहां कोच और स्पोर्ट स्टाफ को उन्हें नियंत्रित करना भी आना चाहिए. दबंग दिल्ली मे जो चार डिफेंडर हैं उन सभी के पास सौ मैचों से ज्यादा का अनुभव है. मंजीत छिल्लर तो लीग मे अब तक सबसे ज्यादा पॉइंट्स डिफेंस में समेट चुके हैं, उनके अलावा संदीप नरवाल, जोगिंदर और जीवा ऐसे डिफेंडर हैं जो जिस दिन चले तो किसी के लिए भी मुश्किलों की दावत है. लेकिन टीम के कोच कृष्ण कुमार हुड्डा का अपना दबदबा है और इसलिए टीम चलाने मे दिक्कत नहीं होती. लेकिन इससे पहले जब यही कोर तमिल थलाइवाज में था और उससे पहले पुणेरी पलटन मे तो चीजें हाथ से निकल रही थीं.
दिल्ली के रेडर नवीन कुमार ने रचा इतिहास
वैसे टॉप दो में बनी हुई दबंग दिल्ली और बेंगलुरु बुल्स का प्रदर्शन अब तक असर डालने वाला रहा है, लेकिन यह दोनों ही टीमे इंडिविजुअल ब्रिलियन्स पर बेस्ड हैं. दबंग दिल्ली के लिए नवीन कुमार इस तरह से पॉइंट्स ला रहे हैं जैसे वह अपनी मर्जी से खेल रहे हों. सात मैचों मे नवीन के अब तक 123 रेड पॉइंट्स हैं, जो खुद में एक इतिहास है. करीबन 18 रेड पॉइंट्स प्रति मैच निरन्तरता के साथ हासिल करना कोई आसान काम नहीं है, लीग में इससे पहले किसी भी सीजन मे किसी भी रेडर ने इस औसत से पॉइंट्स नहीं जुटाए हैं. हालांकि सपोर्ट रेडर के तौर पर विजय मलिक अब थोड़ा बहुत साथ देते दिखाई देते हैं, लेकिन टीम मे सब कुछ एकतरफा दिखाई देता है. इसी तरह बेंगलुरु बुल्स अभी नंबर दो पर चल रही है, लेकिन इसमें भी पवन सहरावत पर पूरा दारोमदार है. चंद्रन रंजीत ने शुरुआत बेहतर दी थी, लेकिन बाद मे पवन पर टीम की निर्भरता बढ़ती गई, हालांकि लगातार दो सीजन लीग के टॉप स्कोरर रहे पवन सहरावत अभी नवीन से काफी पीछे हैं और अब तक 100 का आंकड़ा भी हासिल नहीं कर पाए हैं.
जयपुर पिंक पेंथर्स के अर्जुन देसवाल ने किया कमाल
जयपुर पिंक पेंथर्स अभी लीग मे 7वें पायदान पर है, लेकिन अर्जुन देसवाल ने अपने प्रदर्शन से लोगों को चौंकाया है. 7 मैच के बाद टोटल रेड पॉइंट्स के मामले मे कुल 92 रेड पॉइंट्स के साथ अर्जुन इस समय लीग मे नंबर दो पर है. अर्जुन का मामला भी दिलचस्प है, और इसमें भी एक सबक है. सबक यह कि अगर प्रबंधन का भरोसा किसी खिलाड़ी पर बढ़ जाए तो आम तौर पर उसके खेल का स्तर भी बढ़ जाता है. प्रदीप नरवाल, पवन सहरावत लीग के कुछ ऐसे नाम हैं, जिन्हे शुरुआती सीजन मे बड़े खिलाड़ियों की छत्रछाया मे गुमनामी मे खेलते देखा, लेकिन जैसे ही खुलकर खेलने का मौका मिला, दोनों टॉप पर पहुंच गए. इस सीजन न सिर्फ अर्जुन देसवाल, बल्कि वी अजीथ कुमार, अभिषेक सिंह और राकेश नरवाल जैसे खिलाड़ियों ने खुद को टॉप 10 मे काबिज रखा है. यानि एक बात तय है की लीग मे ज्यादातर खिलाड़ियों को बड़े दरख्तों के साये मे पनपते नहीं देखा, बल्कि जैसे ही उन्हें खुली धूप और पानी मिला है, उन्हें लहलहाते हुए जरूर देखा है.
तमिल थलाइवाज के कप्तान सुरजीत भी छाए
डिफेंडर्स की कहानी भी जुदा नहीं है. तमिल थलाइवाज के कप्तान सुरजीत 22 टैकल पॉइंट्स के साथ टॉप पर हैं. इसी तरह एक और अनुभवी खिलाड़ी सुरिंदर नारा ने दो सीजन के गैप के बाद वापसी के बावजूद अपना मिदास टच खोया नहीं है. यूपी के दो डिफेंडर्स सुमित और आशु सिंह टॉप 10 में काबिज हैं, लेकिन सीजन 6 मे 100 टैकल पॉइंट्स लेकर इतिहास बनाने वाले नितेश कुमार अब तक असर नहीं छोड़ सके हैं. पिछले सीजन मे नितेश ने 75 पॉइंट्स लिए थे. यू मुंबा के एमवाईपी रिंकू और जयदीप के अलावा ईरान से आकर पटना पायरेट्स के लिए खेलने वाले लेफ्ट कॉर्नर डिफेंडर मोहम्मद रेजा चियाने ने भी काफी प्रभावित किया है और यह बताया है, कि आने वाले दिनों में ईरान के सुल्तान का तगमा अगर वह ले लें तो हैरत नहीं होगी.
जोखिम उठाने से बच रही हैं सभी टीमें
एक बात और खास इस सीजन में देखने को मिली है, वह यह कि लीग का एक तिहाई सफर अभी खत्म नहीं हुआ है और कुल 42 मुकाबलों मे 9 टाई खेले जा चुके है, जबकि 6 में फैसला सिर्फ 1 पॉइंट के फासले से हुआ है. इसके लिए प्रो कबड्डी लीग की विभिन्न टीमों की बढ़ती परिपक्वता ही वजह हो सकती है. आम तौर पर दम-खम का खेल माने जाने वाले कबड्डी मे इस तरह का गुणा भाग देखने को नहीं मिलता था, लेकिन अब हालात बदले हैं. टीमों को यह लगने लगा है कि जीत हार से कही ज्यादा अहम पॉइंट्स हासिलं करना है, और वह किसी भी सूरत मे पॉइंट्स गंवाना नहीं चाहते. चूंकि टाई होने पर 3-3-पॉइंट्स दोनों टीमों को मिलते हैं, लेकिन महज 1 पॉइंट से हारने के बाद लीग पॉइंट्स टेबल मे सिर्फ 1 पॉइंट ही जुड़ता है, तो फिर जोखिम क्यों मोल लिया जाए.
कोई शक नहीं कि हर बीतते सीजन के साथ प्रो कबड्डी लगातार परिपक्व हो रही है. अब कबड्डी मे सिर्फ जोश और जुनून की ही जगह नहीं है, बल्कि शतरंज की बिसातें बिछने लगी हैं, जहां थोड़ी सी चूक हुई और जीत मुट्ठी मे बंधी रेत की तरह फिसल जाती है.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
ब्लॉगर के बारे में
संजय बैनर्जी
संजय बैनर्जी, ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट व कॉमेंटेटर
ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट व कॉमेंटेटर. 40 साल से इंटरनेशनल मैचों की कॉमेंट्री कर रहे हैं.