बुजुर्गों की दयनीय होती स्थिति
आज ऐसा कलियुग का समय आ गया है जिसमें बूढ़ों से प्यार-सत्कार समाप्त हो चुका है
आज ऐसा कलियुग का समय आ गया है जिसमें बूढ़ों से प्यार-सत्कार समाप्त हो चुका है। आजकल के बच्चे अपने बूढ़े अभिभावकों की देखभाल नहीं करना चाहते। पता नहीं आज के बच्चों को क्या हो गया है? वे जवानी में यह नहीं सोचते कि हमने भी एक दिन बूढ़े होना है। सरकारी सेवा करने वाले पुत्र-पुत्रियां भी करोड़ों की संपत्ति लेने को तैयार रहते हैं, परंतु सरकारी सेवा से निवृत्त पेंशन लेने वाले मां-बाप को अपने पास रखने को तैयार नहीं हैं। इस स्थिति में वे संपत्ति के अधिकारी कैसे हो सकते हैं? आजकल के युवा अपने परिवार के छह सदस्यों को देख सकते हैं, परंतु वृद्धावस्था में मां-बाप को देखना नहीं चाहते हैं। सरकार से अनुरोध है कि ऐसे पुत्र-पुत्रियों के लिए कठोर कानून बनाए ताकि बुढ़ापे में उनके अभिभावकों की दुर्दशा न हो।
-मेहरचंद दर्दी, जयंती विहार, कांगड़ा