पाकिस्तान : एक 'हादसे' से निकले कई संदेश, सीमा से 120 किलोमीटर अंदर और बेहद सटीक

अंदरूनी हालात नाजुक हैं और उसे अपनी मुसीबतों से छुटकारा पाने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा है।

Update: 2022-03-23 01:46 GMT

नौ मार्च को शाम के सात बजे भारत से चली हुई ब्रह्मोस मिसाइल पाकिस्तान सीमा के 120 किलोमीटर अंदर मियां चन्नू नामक स्थान पर गिरी। चूंकि मिसाइल के सर पर कोई आणविक वॉरहेड या पे-लोड नहीं था, लिहाजा जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ। लगभग 24 घंटे बाद, पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने कहा, 'एक तेज गति से उड़ने वाली वस्तु' भारत से आई और स्थानीय समयानुसार शाम सात बजे से थोड़ा पहले पाकिस्तानी क्षेत्र में उतरी।

मिसाइल के पाकिस्तान से टकराने के दो दिन बाद भारत सरकार ने सार्वजनिक रूप से पुष्टि की कि उसकी एक मिसाइल 'नियमित रखरखाव' के दौरान गलती से लॉन्च हो गई थी और यह पाकिस्तान में चली गई थी। घटना के छह दिन बाद यानी 15 मार्च को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में 'नियमित रखरखाव और निरीक्षण के दौरान एक मिसाइल का अनजाने में छोड़ा जाना' स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि भारत को 'बाद में पता चला कि मिसाइल पाकिस्तान के क्षेत्र में गिर गई थी।' भारत ने इस घटना पर गहरा खेद व्यक्त किया।
साथ ही यह राहत भी व्यक्त की कि किसी की जान नहीं गई। उक्त घटना के अन्य कूटनीतिक आयाम चाहे जो हों, लेकिन मिसाइल टेक्नोलॉजी को जानने वाले अच्छी तरह जानते हैं कि सतह से सतह तक मार करने वाली मिसाइल दुर्घटनावश चल ही नहीं सकती। उक्त मिसाइल ध्वनि की गति से चलने वाली यानी सुपरसोनिक थी। इस बात को अच्छी तरह समझने के लिए मिसाइल प्रक्षेपण के बारे में जानना जरूरी है। किसी भी मिसाइल का परीक्षण एक गंभीर मसला है। मिसाइल का लक्ष्य निर्धारित करना होता है कि वह कहां जाकर गिरेगी।
जहां तक क्रूज मिसाइल का सवाल है, क्रूज मिसाइलों को आम तौर पर मारक क्षेत्र या रेंज के बजाय इच्छित मिशन और लॉन्च मोड में वर्गीकृत किया जाता है। इनमें मोटी-मोटी दो श्रेणियां हैं- लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (एल.ए.सी.एम.) और एंटी शिपिंग क्रूज मिसाइल (ए.एस.सी.एम.)। इन दोनों में से किसी को भी किसी विमान, जहाज, पनडुब्बी या भूमि आधारित लांचर के माध्यम से चलाया जा सकता है। लैंड अटैक क्रूज मिसाइल एक मानव रहित, सशस्त्र वायवी उपकरण होता है, जिसे किसी चल या अचल भूमि आधारित निशाने पर हमला करने के लिए बनाया गया है।
यह मिसाइल बिल्कुल सटीक मार्गदर्शन तकनीकों और व्यवस्थाओं की मदद से किसी भी निशाने को- वह कितना ही छोटा क्यों न हो- भेद सकती है। क्रूज मिसाइल- सबसॉनिक, सुपरसॉनिक और हाइपरसॉनिक- तीन प्रकार की होती हैं। सबसॉनिक यानी जिनकी गति आवाज से कम होती है; सुपरसॉनिक आवाज से तीन गुना तेज गति से चलती हैं; और तीसरी हाइपरसॉनिक, जिनकी गति आवाज से पांच गुना अधिक होती है। फिलहाल भारत तीसरी किस्म यानी हाइपरसॉनिक क्रूज मिसाइल विकसित कर रहा है, जिसकी मारक क्षमता 800 से 1,000 किलोमीटर तक होगी। यह 2024 तक तैयार हो जाएगी।
इन बातों के मद्देनजर उक्त मिसाइल का दुर्घटनावश चल जाना संदेहास्पद नजर आता है। इसके अलावा, पाकिस्तान अभी बालाकोट हवाई हमले को भूला नहीं है। क्या भारत ने इस 'दुर्घटना' के जरिये पाकिस्तान को कोई संदेश देने की कोशिश की है कि वक्ते जरूरत उसे घर में घुसकर भी मारा जा सकता है। बात सिर्फ मिसाइल के चल जाने की नहीं है। दरअसल पाकिस्तान को पता ही नहीं चला कि उक्त मिसाइल कब उसकी सीमा में घुस गई। पाकिस्तान के पास चीन से खरीदा हुआ हवाई प्रतिरक्षा सिस्टम एच.क्यू.9 है।
पिछले साल अच्छे-खासे पैमाने पर की गई इस खरीदी पर इस दुर्घटनावश चली मिसाइल ने पूरी तरह पानी फेर दिया है। पाकिस्तानी सेना में एच.क्यू.9 हाई-टू-मीडियम एयर डिफेंस सिस्टम के रूप में संदर्भित सतह से हवा में मार करने वाली (सर्फेस टू एयर) मिसाइल प्रणाली के तहत यह सिस्टम पिछले साल 13 अक्तूबर को कराची में संपन्न एक भव्य समारोह में शामिल किया गया था, लेकिन चीन से खरीदा गया यह सिस्टम पूरी तरह नाकामयाब साबित हुआ। इससे चीन को भी संदेश गया कि उसका उत्पाद बहुत से देशों के लिए अनुपयोगी है।
चीन द्वारा अन्य देशों को यह सिस्टम बेचने के प्रयासों को भी झटका लगना स्वाभाविक है। ब्रह्मोस भारत और रूस के एक संयुक्त उद्यम का परिणाम है, जिसके कारण रूसी पी-800 ओनिक्स एंटी-शिप क्रूज मिसाइल का संशोधन हुआ। ब्रह्मोस कार्यक्रम भारत के लिए सफल रहा है और तीनों भारतीय सैन्य सेवाओं के पास ये मिसाइलें हैं। यह दुनिया की सबसे तेज रफ्तार मिसाइलों में शामिल है। यह जमीन से कम ऊंचाई पर बहुत तेज गति से उड़ान भरती है, जिसकी वजह से इसे एंटी-मिसाइल सिस्टम से पकड़ना आसान नहीं होता है।
यही वजह है कि ये मिसाइल कम समय में लंबी दूरी तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। भारत ब्रह्मोस मिसाइलों के निर्यात की योजना पर काम कर रहा है और उसे हाल ही में अपना पहला विदेशी ग्राहक फिलीपींस मिला है। फिलीपींस के अलावा इंडोनेशिया, ताइवान और वियतनाम ने भी ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में दिलचस्पी जाहिर की है। फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम जैसे देश यदि ब्रह्मोस खरीदते हैं, तो भू-राजनीतिक दृष्टि से चीन की चिंताएं बढ़ना लाजिमी है। इस दृष्टि से भारत पाकिस्तान के मित्र चीन को भी यह संदेश दे रहा है कि समय आने पर उसकी सामरिक श्रेष्ठता पर भी प्रश्नवाचक चिह्न लग सकते हैं।
बहरहाल, भारत एक तीर से कई निशाने साध रहा है। वह अपने पड़ोसी को यह संदेश देने में सफल रहा है कि उसे अब हलके में लेना आत्मघाती साबित हो सकता है। पाकिस्तान फिलहाल एक डरा हुआ देश है। बालाकोट एयरस्ट्राइक के सदमे से वह आज तक उबर नहीं पाया है। उसे हर वक्त यह डर लगा रहता है कि भारत कहीं से भी घुसकर उस पर वार कर सकता है। वैसे भी हमेशा की तरह वहां के अंदरूनी हालात नाजुक हैं और उसे अपनी मुसीबतों से छुटकारा पाने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा है।

सोर्स: अमर उजाला 

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