Oxygen Crisis In India : आपदा के समय जब कुछ राजनेता सियासत कर रहे थे,ओडिशा-केरल मिसाल बने
देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है यह स्पष्ट हो चुका है. भारत हमेशा से मेडिकल ऑक्सीजन को लेकर सरप्लस देश रहा है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क |सुष्मित सिन्हा देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है यह स्पष्ट हो चुका है. भारत हमेशा से मेडिकल ऑक्सीजन को लेकर सरप्लस देश रहा है. आज देश में जब कोरोना की दूसरी लहर चरम पर है तो हर रोज लगभग 5000 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड आ रही है. जबकि इससे पहले सामान्य काल में केवल 700 मीट्रिक टन की ही डिमांड आती थी. हालांकि भारत में ऑक्सीजन निर्माण की कैपेसिटी हर दिन 7,287 मीट्रिक टन है. इस कारण हम बिल्कुल यह कह सकते हैं कि राज्यों में ऑक्सीजन की कमी ऑक्सीजन के उत्पादन से नहीं बल्कि ट्रांसपोर्टेशन, ऑक्सीजन के सिलेंडर और टैंकर की वजह से ज्यादा आ रही है.
लेकिन जब बात राज्यों को ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट करने की हो तो यह और भी मुश्किल हो जाता है. दरअसल ऑक्सीजन की खरीद और वितरण पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार में आपसी तालमेल नहीं दिखता है. यही कारण है कि बहुत सी जगहों पर चाहकर भी सही समय से ऑक्सीजन नहीं पहुंच रहा है. पर ऐसे घोर विपदा के समय भी कुछ राज्यों ने यह दिखा दिया कि अगर राजनीतिक हित की चिंता किए बिना इमानदार कोशिश हो तो कोई नियम कानून या संसाधन किसी भी उद्देश्य को पूरा करने में रोड़े नहीं अटकाते हैं.
केरल-ओडिशा से सीखने की जरूरत
देश में जब कुछ सियासतदां ऑक्सीजन की कमी से मरते हुए लोगों पर राजनीति कर रहे थे. वहीं उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक चुपचाप समस्या का समाधान कर रहे थे. उनके प्रयासों से कई राज्यों तक आसानी से ऑक्सीजन की पहुंच हो सकी. ऐसा ही कुछ केरल में भी हो रहा था. केरल ने केंद्रीय अफसरों से तालमेल करके न केवल अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है बल्कि अपने पड़ोसी राज्यों तमिलनाडु और कर्नाटक आदि को ऑक्सीजन सप्लाई भी कर रहा है
दिल्ली की तरह अन्य शहरों का भी है बुरा हाल
पिछले हफ्ते ही जब दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौतें हो रही थी तब दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लाइव कॉन्फ्रेंसिंग में ही इस बात का जिक्र किया था, कि दिल्ली को ऑक्सीजन की बेहद जरूरत है. हालांकि केजरीवाल को पीएम मोदी ने बीच में ही रोकते हुए कहा था कि उन्होंने प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है. जब प्रधानमंत्री राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग कर रहे हों तो उसका लाइव प्रसारण नहीं करना चाहिए. दरअसल केजरीवाल बता रहे थे कि दिल्ली के तमाम अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं जिस वजह से कई मरीजों की मृत्यु हो रही है. हालांकि वो जानते थे कि कोरोनावायरस से सिर्फ दिल्ली का ही हाल खराब नहीं है. बल्कि लखनऊ, वाराणसी, अहमदाबाद जैसे शहरों का भी बुरा हाल है.
नवीन पटनायक ने मिसाल पेश की
आपदा के समय में जब कुछ राजनेता सियासत कर रहे थे तब ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक एक मिसाल पेश कर रहे थे. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की और कहा कि उनका राज्य बाकी के अन्य राज्यों में जहां ऑक्सीजन की कमी है वहां ऑक्सीजन सप्लाई कर सकता है. इसके बाद नवीन पटनायक ने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव से बातचीत की और कहा कि ओडीशा अब इन राज्यों को ऑक्सीजन की सप्लाई कर यहां की आपूर्ति पूरा करेगा.
इसे लेकर ओडिशा पुलिस ने एक गलियारा बनाया है, जिससे ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली गाड़ियों को किसी दिक्कत का सामना न करना पड़े. नवीन पटनायक उड़ीसा में पिछले कई वर्षों से जीतते आ रहे हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी क्षेत्रीय दलों के नेतृत्व के बारे में नहीं सोचा. हालांकि कुछ ऐसे भी राजनेता है जो केवल एक दो बार जीतकर ही खुद को प्रधानमंत्री के तौर पर देखने लगते हैं और उन्हें लगता है कि वह भारत के सभी क्षेत्रीय दलों का नेतृत्व कर सकते हैं. प्रधानमंत्री मोदी के साथ ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का इस तरह से काम करना देश के लिए अच्छा संदेश है.
केरल की होनी चाहिए तारीफ
जब पूरा देश ऑक्सीजन की क्राइसिस से जूझ रहा है. हर रोज हॉस्पिटलों में लोग ऑक्सीजन न मिलने के चलते तड़प-तड़प कर मर रहे हैं, केरल ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया जिसे दूसरे राज्यों के चीफ मिनिस्टर सीख ले सकते हैं. आज केरल अपनी तैयारी के चलते ही ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों की खबर से दूर है. यह राज्य अपनी जरूरत का ऑक्सीजन न केवल उत्पादन कर रहा है, बल्कि अपने पड़ोसी राज्यों तमिलनाडु-गोवा और कर्नाटक को सप्लाई भी कर रहा है. पेट्रोलियम और एक्सपोल्सिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन (पेसो) के डिप्टी चीफ कंट्रोलर वेणुगोपाल ने खलील टाइम्स से बताया कि यह सब इसलिए हो सका क्योंकि केरल ने अपनी जरूरत के हिसाब से योजना बनाकर समय से उत्पादन शुरू कर दिया था. पेसो भारत सरकार के अन्तर्गत काम करने वाला एक विभाग है जो हर राज्य में ऑक्सीजन की सप्लाई, उसकी खरीद, ट्रांसपोर्टेशन, रख-रखाव और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है. पेसो हर राज्य में अपना एक नोडल अफसर नियुक्त करता है जो राज्य द्वारा नियुक्त नोडल अफसर के साथ मिलकर ऑक्सीजन का वितरण और उत्पादन करता है.
मेडिकल ऑक्सीजन पर किसी का नियंत्रण नहीं होता है
ऑक्सीजन की खरीद और वितरण पर केंद्र और राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता है. मेडिकल ऑक्सीजन कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिस पर किसी सरकार का नियंत्रण होता हो. नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी के तहत इसकी कीमत तय होती है और इसी पर राज्य और केंद्र सरकारें इसे खरीदती हैं. वर्तमान समय में ऑक्सीजन को केंद्रीय रूप में आवंटित किया जाता है और इसकी देखरेख EG2 करती है. राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रधानमंत्री कार्यालय के देखरेख में हो रहा है.